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आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन, है कोटि नमन - है कोटि नमन : डॉ. वी.के. वर्मा

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  आचार्य रामचंद्र शुक्ल जयंती पर उनकी स्मृति में वरिष्ठ समाजसेवी और चिकित्सक डॉ. वी. के. वर्मा ने स्वरचित कविता समर्पित की है : -      तुमसे सचमुच गमक रहा है,      हिंदी का साहित्य सदन।     आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन।    है कोटि नमन, है कोटि नमन।   तुम तो लिखकर अमर हो गए,    हिंदी का सम्यक इतिहास।    अद्भुत शोध किया है तुमने,     पतझड़ में लाया मधुमास।     तुमने अपने लेखन से ही,     अंग्रेजी का किया दमन।     आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन,     है कोटि नमन है कोटि नमन।     आज तुम्हारा ग्राम अगौना,        फूला नहीं समाता।      तुम पर कैसा गर्व कर रही,        अपनी भारत माता।      तुमसे ही हो रहा चतुर्दिक,       हिंदी का गुलजार चमन।      आचार्य शुक्ल है तुम्हे नमन,     है कोटि नमन, है कोटि नमन।       आज तुम्हारे ऊपर करते,   ...

बस्ती में मनई, हे देव वरूण और हम बच्चे प्यारे का शानदार विमोचन

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                   (नीतू सिंह) बस्ती (उ. प्र.)। साहित्य संसद्-बस्ती एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद्-बस्ती के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब- बस्ती में आयोजित जनपद बस्ती के तीन साहित्यकारों राम मणि शुक्ल की कृति 'मनई', सर्वेंद्र नारायण द्विवेदी की कृति 'हे देव वरुण' तथा डॉ वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी की कृति 'हम बच्चे प्यारे-प्यारे' का विमोचन पूर्व अपर संयुक्त गन्ना आयुक्त श्री रमाशंकर सिंह के गरिमामय मुख्य आतिथ्य, साहित्य संसद् के अध्यक्ष श्री कमलापति पाण्डेय 'कँवल' की अध्यक्षता तथा डॉ विकास भट्ट 'कामिल' के संचालन में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि श्री रमाशंकर सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य सृजन निरंतर चलता रहना चाहिए। अलग अलग विषय वस्तु पर लिखी गई तीनों पुस्तकें पठनीय हैं और समाज को संदेश देने की दिशा में एक सफल प्रयास है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री के पी पाण्डेय जी ने तीनों ही पुस्तकों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि 'मनई' शब्द का प्रयोग बहुत ही कम हो गया है मानव जीवन लेने वाले सभी पुरुष मनई कहे जाते हैं प...

बस्ती के डॉ. मुकेश कुमार मिश्र, रूस- आर्मेनियाई आमंत्रित

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               ( नीतू सिंह) बस्ती (उ. प्र.)। बस्ती जनपद के कर्मा देवी स्मृति पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मुकेश कुमार मिश्र को रूस - आर्मेनियाई विश्वविद्यालय,येरेवान, आर्मेनिया के ओरिएंटल स्टडीज विभाग द्वारा अतिथि व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया है। डॉ. मिश्र भारतीय, इतिहास, दर्शन के साथ हिंदी भाषा और साहित्य से ओरिएंटल स्टडीज के छात्र - छात्राओं को परिचित कराएंगे। डॉ. मिश्र मुख्य रूप से हिंदी विषय के नवीनतम पाठ्यक्रम के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे। डॉ. मुकेश मिश्र वहां ओरिएंटल स्टडीज के निदेशक डॉ. गारनीक आसातरयान के आमंत्रण पर जा रहे हैं‌।  डॉ. मिश्र हिंदी के प्रचार प्रसार में विदेशों मे अपनी भूमिका निभाते रहे हैं। वह बस्ती जनता जनपद के अंतरराष्ट्रीय हिंदी प्रचारक स्वर्गीय मधुर नारायण मिश्र जी के पुत्र हैं।           ➖   ➖   ➖  ➖ देश दुनिया की खबरों के लिए गूगल पर जाएं लाग इन करें : - tarkeshwartimes.page सभी जिला व तहसील स्तर पर संवाददाता चाहिए मो. न. : - 9450557628

संस्कृति और भावी पीढ़ी - प्रतिमा पाठक

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        संस्कृति और भावी पीढ़ी  संस्कृति की जड़ों में बसी है,  हमारी अस्मिता की कहानी। प्राचीन सभ्यता के पन्नों में लिखी,  अपनी गौरव बानी।। संस्कृति की गूँज देती युगों युगों का संदेश। धरोहर ये हमारी, अखंड रहे सदा परिवेश।। संगीत, नृत्य कला की धारा,  संस्कारों की अनमोल माला। पुरुखों के आदर्शों की झलक,  नई पीढ़ी को दे उजाला।। भावी पीढ़ी का होता जब आगमन,  संस्कृति बनती उनका आधार। आधुनिकता के युग मे भी करें,  अपनी संस्कृतिका श्रृंगार।। नई पीढ़ी को बतायें संस्कृति है हमारी पहचान। जो जोड़ती है हमें जड़ों से और देती नई उड़ान।।

योग का पथ है प्यारा, तन को मन को साधे सारा : योग दिवस पर प्रतिमा पाठक की कविता

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योग दिवस पर कवियित्री प्रतिमा पाठक की कविता  योग का जो ये  पथ है प्यारा। तन मन को ये साधे सारा।। करते रहो तुम  नित प्रति योग। जीवन मे सदा  रहो निरोग।।  योग आसन से  बल पाओगे। सभी बीमारियों का हल पाओगे।। योग है जीवन  की दरकार। रहो स्वस्थ करो सपने साकार।। सूर्य नमस्कार की  महिमा निराली। इससे जीवन में  मिले खुशहाली।। ध्यान मुद्रा को  जो साधते। मन को संयमित बनाते।। योग को बनाओ  दिनचर्या का हिस्सा। खत्म करो सभी बीमारियों का किस्सा।। योग दिवस पर  लो ये संकल्प। योग से अच्छा  नही कोई विकल्प।। योग करे सब  मिलकर आज। बनाये विकसित अपना समाज।।     प्रतिमा पाठक महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी लेखनी जागरूक करने का काम करती हैं                कवियत्री /लेखिका             प्रतिमा पाठक / दिल्ली 

मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर माल्यार्पण और संगोष्ठी

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                   (विशाल मोदी)  बस्ती (उ. प्र.)। मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर गवर्नमेंट इंटर कालेज के प्रांगण में स्थित मुंशी प्रेमचन्द जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात एक संगोष्ठी की गयी। कार्यक्रम में प्रबुद्धजनों, साहित्यकार, चिकित्सक एवं समाजसेवियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रमुख समाज सेवी, जनपद के प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ . वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द जी ने कहानी, लेख और कविताओं के माध्यम से समाज के आमजन से लेकर समाज के आखिरी व्यक्ति को बात अत्यंत सरल शब्दों में कहा है। मुंशी जी ने कहानी मंत्र के माध्यम से एक झाड़-फूंक कराने वाले किसान की उपयोगिता, ईदगाह में मेले से चिमटा जैसी वस्तु का खरीद कर मां को देना कहानी हर दिल में उतर जाती है ऐसी ही तमाम कहानियों के कैनवास में हमें मुंशी जी सोचने को विवश कर देते हैं।   आयुष चिकित्साधिकारी डॉ. वी के वर्मा ने मुंशी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि मुंशी जी ने साहित्य के माध्यम से तमाम कुरीतियों...

जयन्ती पर याद किये गये मुंशी प्रेमचंद, सम्मानित हुईं विभूतियां

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                  (विशाल मोदी) बस्ती (उ. प्र.)। प्रेमचंद साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द्र को उनकी जयन्ती पर याद किया गया। प्रेस क्लब सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि जब तक देश में गरीबी, असमानता, अशिक्षा है प्रेमचंद्र का साहित्य प्रांसगिक बना रहेगा। शिव हर्ष किसान पी.जी. कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. रघुवंशमणि त्रिपाठी ने कहा कि महान साहित्यकार, हिंदी लेखक और उर्दू उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में कई रचनाएं लिखी हैं। जिसमें गोदान, कफन, दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, ठाकुर का कुआं, बूढ़ी काकी, नमक का दरोगा, कर्मभूमि, गबन, मानसरोवर, और बड़े भाई साहब समेत कई रचनाएं शामिल हैं। वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपने पूरे जीवन काल में 12 से अधिक उपन्यास और 250 कहानियां समेत कई निबंध लिखे। इसके अलावा उन्होंने कई विदेशी साहित्य का हिंदी में अनुवा...

श्रीलंका में चीफ गेस्ट होंगे बस्ती के प्रो. मुकेश मिश्र

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                     (विशाल मोदी)  बस्ती (उ.प्र.)। स्थानीय शहर से सटे करमा देवी स्मृति पीजी कालेज संसारपुर के प्राचार्य प्रोफेसर मुकेश कुमार मिश्र हिंदी दिवस के अवसर पर श्रीलंका के केलानिया यूनिवर्सिटी में बतौर मुख्यअतिथि व्याख्यान देंगे। यह बस्ती के लिए गर्व की बात है। प्रो. मिश्रा इसके पूर्व फिजी, मारीशस, सियोल व अन्य विभिन्न देशों में हिंदी विषय पर व्याख्यान दे चुके हैं। 14 सितंबर ( हिन्दी – दिवस ) के दिन श्रीलंका के केलानिया विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष आनंद अबेसुंदारा ने “वैश्विक पटल पर हिंदी” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में इन्हें आमंत्रित किया है। प्रो. मिश्रा ने बताया कि इसके लिए कई प्रमुख बिंदुओं पर तैयारी की जा रही है।       ➖    ➖    ➖    ➖    ➖ देश दुनिया की खबरों के लिए गूगल पर जाएं लॉग इन करें : - tarkeshwartimes.page सभी जिला व तहसील स्तर पर संवाददाता चाहिए मो. न. : - 9450557628

बहुत याद आते हैं मुझको कॉलेज वाले दिन

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               कॉलेज वाले दिन  बहुत याद आते हैं मुझको कालेज वाले दिन,  आंख किताबी, कलम, वो पढ़ने जाने वाले दिन। घर से चलना सखी साथ, चटपटी बातें वाले दिन,  मां से छुपकर इमली खाना, नमक चटपटी चाटों के दिन,  और कक्षा में पढ़ते पढ़ते गाने वाले दिन।  पढ़ना अच्छा था पर डांट भी खाने वाले दिन,   दिनभर पापा के ताने सुनने वाले दिन।   लड़कों से बचकर कक्षा में चूरन वाले दिन,  सबको छोड़कर अपने में इतराने वाले दिन।  याद बहुत आते हैं मुझको कॉलेज वाले दिन।।                          -   अनुभा अग्निहोत्री अनुभा अग्निहोत्री बाल शिक्षा और बाल साहित्य में रूचि रखती हैं और बालिकाओं की शिक्षा और स्वस्थ मनोरंजन के प्रति वैचारिक अभियान की पक्षधर हैं। 

भारत और भारतीय मन सत्य सनातन गाएगा - सरिता त्रिपाठी

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की उत्कृष्ट राष्ट्रवादी लेखिका सरिता त्रिपाठी ने एक बहुत रचना भारतवर्ष और सनातनधर्म के ऊपर लिखी है। जो अत्यन्त प्रासंगिक है। कविता का शीर्षक है -              महानायक  युगों युगों तक नाम तुम्हारा आयेगा।  भारत और भारतीय मन सत्य सनातन गायेगा।।  हुआ बहुत और बहुत है होना,  कुछ पाना और कुछ है खोना।  जीवन की कठिनाई को जो,  सरल हल सिखलायेगा। हर उस जिह्वा पर सदा नाम तेरा ही आयेगा।।  जागो अपनी माटी ख़ातिर,  जागो अपनी संस्कृति ख़ातिर।  खुद पर कीचड़ डाल मनुजता,  कभी उभर न पायेगा।  समय अभी है चेत लो सारे समय नहीं फिर आयेगा।।  युगों युगों तक नाम तुम्हारा आयेगा।  भारत और भारतीय मन सत्य सनातन गायेगा।।  वंश बुरा है जाति बुरी है,  जो मानो सिद्धांत बुरा है।  जब तक इन बातों का मतलब,  गैर कोई बतलायेगा। दुनियाभर में नाम तेरा एक दिन फिर मिट जायेगा।।  युगों युगों तक नाम तुम्हारा आयेगा।  भारत और भारतीय मन सत्य सनातन गायेगा।।  आया है युग पुरुष सिखाने...

अतिथि व्याख्यान हेतु हैदराबाद आमंत्रित हुए बस्ती के डॉ. मुकेश मिश्र

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                              (विशाल मोदी)  बस्ती (उ.प्र.)। करमा देवी स्मृति पी जी कालेज संसारपुर बस्ती के प्राचार्य डॉ. मुकेश कुमार मिश्र को 75वें  अमृत महोत्सव हेतु हिंदी महाविद्यालय हैदराबाद के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा आधुनिक हिंदी कविता : एक विमर्श पर अतिथि व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया है। डॉ. मुकेश मिश्र पूर्व में भी विभिन्न देशों और भारत के दक्षिण प्रान्तों में हिंदी के प्रचार प्रसार में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पर्यवेक्षक के रूप में अपना सहयोग देते रहे हैं। वह 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन, मारीशस में भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रूप में प्रतिभाग कर चुके हैं।          ➖    ➖    ➖    ➖    ➖ देश दुनिया की खबरों के लिए गूगल पर जाएं लॉग इन करें : - tarkeshwartimes.page सभी जिला व तहसील स्तर पर संवाददाता चाहिए मो. न. : - 9450557628

बेंगलुरु विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हुआ बस्ती के डॉ. मुकेश मिश्र का यात्रा वृतांत

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                                 (नीतू सिंह)   बस्ती (उ.प्र.)। करमा देवी स्मृति पी जी कालेज के प्राचार्य डॉ. मुकेश कुमार मिश्र का यात्रा वृतांत हमारे पूर्वजों का भारत मॉरीशस को बेंगलुरु विश्वविद्यालय के हिंदी पाठ्यक्रम के बीबीए, एचएमटी, बीएमटी हेतु चयनित किया गया है। इसके पूर्व डॉ. मिश्र की रचनाएं हिंदीतर प्रान्तों एटानिमस कालेजों एवं विश्वविद्यालय में हिंदी पाठ्यक्रम में चयनित हुए हैं। डॉ. मिश्र देश विदेश के हिंदी संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत होते रहे हैं।  दक्षिण भारत से लौटकर और बाबूजी यादों में उनके प्रमुख यात्रा वृतांत एवं संस्मरण हैं। उनकी इस उपलब्धि पर डॉ. हरिओम श्रीवास्तव, डॉ. गोपेश्वर दत्त पांडेय, डॉ. विनोद कुमार द्विवेदी, डॉ. शर्मिला बिस्सा, डॉ. रेखा भारद्वाज, डॉ. अशोक उपाध्याय, डॉ. राधेश्याम द्विवेदी, सम्पादक आमोद उपाध्याय, संजय गोंड, डॉ. अनिता सिंह एवं रमेश चन्द्र सिंह आदि ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।         ➖    ➖  ...

डॉ. जगमग को भारत गौरव सारस्वत सम्मान

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                             (नीतू सिंह)  बस्ती (उ.प्र.) । विक्रमशिला हिन्दी विद्या पीठ द्वारा वरिष्ठ कवि डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ को उनके योगदान के लिये ‘भारत गौरव’ सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया है। गुरूवार को उनके सम्मान में वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति एवं प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान की ओर से कलेक्ट्रेट परिसर में एक संगोष्ठी आयोजित कर वक्ताओं ने उनका उत्साहवर्धन करते हुये अंग वस्त्र एवं फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। शिव हर्ष किसान पी.जी. कालेज के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रामदल पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी कविता के क्षेत्र में डॉ. जगमग की साहित्य यात्रा स्वंय में विविधता लिये हुये हैं। उनकी कृति ‘चाशनी’ से लेकर ‘ किसी की दिवाली किसी का दिवाला’ विलाप खण्ड काव्य, ‘हम तो केवल आदमी है’ ‘ सच का दस्तावेज’ ‘बाल सुमन’ आदि कृतियों में वे कभी हास्य तो कभी गंभीर दर्शन के रूप में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त करते हुये उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। कहा कि इन दिनों वे ‘स्वामी विवेकानन्द’ पर केन्द्रित महाकाव्य...

डॉ. वीके वर्मा को युग काव्य प्रणेता सम्मान

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                             (विशाल मोदी)  बस्ती (उ.प्र.)। जिला चिकित्सालय में आयुष चिकित्साधिकारी एवं कवि, साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा को कबीर संस्थान अयोध्या द्वारा युग काव्य प्रणेता सम्मान से सम्मानित किया गया। डा. वर्मा को मिले इस सम्मान पर कलेक्ट्रेट परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें स्मृति चिन्ह और प्रमाण-पत्र, अंगवस्त्र भेंट किया गया। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि डा. वी.के. वर्मा कुशल चिकित्सक होने के साथ ही संवेदनशील नागरिक हैं और कोरोना काल में उन्होने मरीजों की सेवा के साथ ही प्रतिदिन कोरोना पर काव्य सृजन कर लोगों को खतरोें से सचेत किया। वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि डा. वी.के. वर्मा गौतम बुद्ध पर प्रबन्ध काव्य का सृजन कर रहे हैं। इसका शीघ्र प्रकाशन होगा। डा. वी.के. वर्मा को कबीर संस्थान अयोध्या द्वारा युग काव्य प्रणेता सम्मान से सम्मानित किये जाने पर प्रमुख अधीक्षक डा. आलोक वर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अनूप क...

सुभाषिनी लता कुमार, फिजी मूल की हिंदी साध्वी : प्रो. मुकेश मिश्र

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 सुभाषिनी लता कुमार के 44 वें जन्मदिन पर विशेष आलेख गिरमिटिया मजदूर के रुप में 1879 में फिजी चले गये थे पूर्वज और आज बज रहा भारतीय सभ्यता - संस्कृति का डंका, भारतीय मूल की फिजीयन हैं लेखिका सुभाषिनी लता कुमार आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं डॉ. मुकेश कुमार मिश्र। लेखक करमा देवी स्मृति पीजी कालेज बस्ती में प्राचार्य हैं और हिंदी साहित्य में विशेष रूचि रखते हैं।  फिजी दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर के मध्य स्थिति छोटा सा देश है जहां कि 37 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल के फिजीयन लोगों की है। कभी ब्रिटेन का उपनिवेश रहा फिजी में भारतीय मूल के बहुत से गिरमिटिया भाई-बहन 1879 ईस्वी में लियोनीदास जहाज पर सवार होकर 481 मजदूरों का एक जत्था फिजी में पहुंचा था जहां वह अपने रीति रिवाज लोक संगीत धार्मिक ग्रंथों के साथ अपनी भाषा और साहित्य के द्वारा वहां अपने को स्थापित किये हमारी संस्कृति, भाषा और साहित्य ने आज फीजी में जो स्थान प्राप्त किया है वह अत्यंत विशिष्ट है खासतौर पर भाषा साहित्य संस्कृति के संदर्भ में है फिजी लोग भी हमारी भाषा साहित्य और संस्कृति के प्रति अगाध प्रेम रखते हैं उन्हीं में एक नाम...

जीवन - रिटर्न टिकट

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      जीवन  रिटर्न टिकट तो कन्फर्म है,  इसलिए, जी भर कर जिएं,  मन में भरकर न जिएं।  छोड़िए शिकायत, शुक्रिया अदा कीजिए।  जितना है पास,    पहले उसका मजा लीजिए। चाहे जिधर से गुजरिए, मीठी सी हलचल मचा दीजिए। उम्र का हर एक दौर मजेदार है, अपनी उम्र का मजा लीजिए। क्योंकि - रिटर्न टिकट तो कन्फर्म है।।

कविराज वैद्य आत्माराम का निधन

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                      (बृजवासी शुक्ल)  गोरखपुर (उ.प्र.)। देश विदेश में पूर्वांचल की पहचान बन चुके वैद्य प्रवर, कविराज वैद्य आत्माराम दुबेजी का आज प्रातः 6:30 बजे दिल्ली के मेदांता अस्पताल में कोरोना संक्रमण से निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे।  गोलोक वासी वैद्य आत्माराम दुबे जी का जन्म चौरी चौरा के पास स्थित सुविख्यात ब्रह्मपुर गांव में वैद्य गया प्रसाद दुबे के घर हुआ था, जिनकी वेद्यकी के चर्चे पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त थे। आप ने 1961 में काशी से ए एम बी एस की उपाधि धारण की थी और 1961 से अहर्निश रोगियों की सेवा में आपने 60 वर्ष गुजारे। ओजस्वी व्यक्तित्व और गंभीर वाणी के साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी, आयुर्वेद के साथ-साथ वेद, दर्शन, तंत्र, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू साहित्य के ज्ञान और ज्योतिष तथा अध्यात्म की आभा से प्रकाशमान होकर आपने मानवीय संवेदनाओं के साथ चिकित्सकीय दायित्व का आजीवन निर्वहन किया । गर्मियों में धोती कुर्ता और कंधे पर एक गमछा और जाड़े में अचकन और चूड़ीदार पजामा और सर पर टोपी धारण करने वाले 6 फीट स...

कोरोना के मिट जाएं सारे अवरोध - डॉ. वीके वर्मा की नई रचना

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वैश्विक महामारी कोरोना पर डॉ. वीके वर्मा ने की रचनाएं लिखी हैं, प्रस्तुत है डॉ. वर्मा की ताजा रचना  कोरोना की रोक - थाम में, लगे हैं सब सरकारी तन्त्र। कोरोना नेस्तनाबूत हो, कौन भला दे ऐसा मन्त्र। कैसे करें इसे काबू में, करें डाक्टर इस पर शोध। यही कामना कोरोना के, मिट जायें सारे अवरोध। कोरोना का दमन शीघ्र हो, धरती पर आये उल्लास। जीवन के नीरस कानन में, फिर से आ जाये मधुमास।                       - डा0 वी0 के0 वर्मा,        चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय-बस्ती

यह कैसा मंजर है कोरोना - आनन्द गौरव शुक्ल

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        मंजर   (कोरोना से उत्पन्न स्थिति पर एक रचना)            हाले दिल - आनंद गौरव शुक्ल यह कैसा मंजर है, यह कैसा मंजर है ? हर इंसान खूनी खंजर है !!  भाग रहे हैं लोग अपनों से ऐसे।  जैसे जी लेंगे जीवन अकेले में वैसे।।  हर तरफ दर्द ही दर्द और बेबसी फैला हुआ है।  इंसान अब जानवर सा हुआ है।।   संस्कृति, रीति -रिवाज एवं संस्कारों का हो रहा चीरहरण,  यह कैसा दुशासन है जो हर घर मे पला है ?  इस बार भी आओ कन्हैया।  इस बार भी लाज बचाओ कन्हैया।। लोग जान बचाने मे लगे है, झूठा आस लगाने मे लगे हैं।   मानवता को मिटाने मे लगे हैं।।  न सिंहासन का झगड़ा न अधिकारों की लड़ाई, फिर कुरुक्षेत्र में युद्ध कैसे है सजाई।  किसके सारथी बनोगे यह बताओ कन्हैया। इस बार लाज मानवता की बचाओ कन्हैया।।       - लेखक आनन्द गौरव शुक्ल सामाजिक सरोकारों से जुड़े साहित्यिक अभिरूचि के व्यक्ति हैं।            ➖     ➖     ➖  ...