चुनावी सरगर्मी के बीच सूनी पड़ीं चाय की दुकानें
हरैया (बस्ती) । चुनाव आते ही लोग घरों से निकल कर चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा करने के लिए नुक्कड़ और चौराहों पर आ जाते थे, जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता था जगह जगह चुनावी चर्चा तेज हो जाती थी। चाय पान की दुकानों से लेकर चौक चौराहों पर चुनाव की स्थिति परिस्थिति की समीक्षा की जाती थी। इस बार के चुनाव में इसके उलट स्थिति देखने को मिल रही है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और खेती किसानी के कार्य फैले होने के कारण रंगत फीकी है और चाय की दुकानों पर भी सन्नाटा है।
प्रायः चाय पान की दुकानों पर घण्टों चलने वाली बहस के दौरान लोग बिभिन्न प्रत्याशियों की चर्चा से लेकर पार्टियों के जीत व हार पर बहस करते थे। प्रत्याशियों के शुभचिंतक अंजान लोगों से हाल चाल जानने के बहाने चाय की चुस्की के साथ चुनावी राग छेड़़ देते थे। इतना ही नहीं लोग उल्टा सीधा गणित बैठाकर चहेते प्रत्याशी के अप्रत्याशित जीत होने की भविष्यवाणी भी कर देते थे। परंतु इस बार माहौल कुछ अलग ही दिख रहा है। कटाई मड़ाई का सीजन चल रहा है। लोग अपने अपने खेतों में काम मे व्यस्त हैं, ऊपर से कोरोना का कहर।शायद इसी वजह से चौक चौराहों की चाय की दुकानों पर चुनावी चर्चा फीकी पड़ गयी है। भारतीय स्टेट बैंक केशवपुर के ठीक सामने अशोक गुप्ता लगभग 15 सालों से चाय की दुकान करते हैं। अशोक गुप्ता ने बताया कि उनका मूल निवास बस्ती सदर विकास खण्ड का समसपुर गांव है। पिछले लगभग 15 सालों से परिवार सहित वो स्टेटबैंक के बगल रहते हैं और यहीं चाय की दुकान चलाते हैं। उनका कहना है कि 15 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब चुनावी सरगर्मी के बीच लोग दुकानों पर नही आ रहे हैं। जिससे बिक्री पर भी काफी असर पड़ा है। उनका यह भी कहना है कि शायद गेहूं के कटाई मड़ाई सीजन का भी असर हो सकता है। अशोक की चाय की दुकान चार पांच ग्राम सभाओं का केंद्र है। पर हर बार की तरह इस बार दुकानों पर कोई रौनक नही है। उनका यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण भी तेजी से फैल रहा है इसका भी असर है। पर 15 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दुकान सूनी सूनी लग रहे है।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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