बस्ती 07 अक्टूॅबर 2023 सू.वि., धान में हल्दिया रोग (फाल्स स्मट) तथा गंधी कीट से बचाव हेतु किसान बन्धुओं का सतर्क होना बहुत आवश्यक है। धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में इस समय बालिया निकल रही है। फफूदजनित आभासी कण्ड रोग फसल को प्रभावित कर सकता है। उक्त जानकारी देते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने दी है। उन्होने बताया है कि सापेक्षित आद्रता 90 प्रतिशत तथा तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस की स्थिति में अचानक वर्षा होने से रोग की स्थिति उत्पन्न होती है। खेत में अधिक नाइट्रोजन की मात्रा से भी यह रोग तेजी से फैलता है। 

 उन्होने बताया कि इस रोग के उपाचार हेतु तत्काल प्रोपीकोनाजोल 25 ई.सी. की 500 मिली. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें या कॉपर आक्सीक्लोराइड की 2 से 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होने बताया कि धान का गंधी बग कीट अत्यधिक नुकसान पहुॅचाने वाला कीट है, जो लगभग 19 मि.मी. लम्बा, पतले शरीर, लम्बी टॉगो व सर पर एन्टिना वाला कीट है। इसका निम्फ तथा प्रौढ दोनों धान की फसल के कोमल भागों से अपने चूषकांगों से रस चूस लेते है, दुग्धावस्था में धान की बालियों में गंधी के प्रकोप से बालिया सफेद रह जाती है तथा दाने नही बन पातें। 

       इस रोग के नियंत्रण हेतु मेड़ो की खरपतवार को साफ कर दें, जिससे गंधी कीट के निम्फ धान की वेजिटेटिव व रिप्रोडक्टिव अवस्था तथा मिल्की अवस्था में रस चूस कर फसलों को क्षति ना पहुॅचाने पाये। यदि गंधी कीट का प्रकोप फसलों में है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रति की ए एम.एल. प्रति लीटर पानी में या मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल की 20 किग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें। मैलाथियान 50 प्रतिशत ई.सी. की 1 लीटर, पानी 500 लीटर में धोलकर फसल पर छिड़काव कर सकते है। 

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