यूपी में हड़ताली बिजली कर्मियों और इंजीनियर्स पर लगेगा एस्मा व रासुका

                          (बृजवासी शुक्ल) 

लखनऊ। सरकार और बिजली विभाग के इंजीनियर और कर्मचारी अब सामने - सामने आ चुके हैं। कर्मचारियों ने जहां गुरुवार को कार्य बहिष्कार जारी रखते हुए रात 10 बजे से हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। वहीं, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने प्रेस वार्ता करते हुए हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों और इंजीनियरों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्यवाही करने की बात कही है। इसका असर दिखने लगा है। प्रयागराज, महोबा और महारागंज समेत कई जिलों में कर्मचारियों और नेताओं की गिरफ्तारी हो चुकी है।बिजली कर्मियों की हड़ताल को देखते हुए पीएसी तैनात कर दी गई है। इसके चलते शक्ति भवन पर बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती कर दी गई है।

बारिश के बाद कानपुर, उन्नाव, बंदायू, लखीमपुर के पलिया और बस्ती जिले सहित जगहों पर फॉल्ट की बढ़ गया है। बारिश के बाद बिजली गई तो उसको किसी ने सही नहीं किया है। ऐसे में परेशानी बढ़ने लगी है। सूत्रों का कहना है कि पूरे प्रदेश में छोटे - बड़े हजारों फॉल्ट हो गये हैं।

    संविदा कर्मचारियों को किया गया टारगेट

सरकार ने सबसे पहले संविदा और आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों को टारगेट करने का फैसला किया है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि संविदा वालों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। जबकि एस्मा के तहत नियमित कर्मचारियों को छह महीने से लेकर एक साल तक जेल में डाला जा सकता है। अभी तक अलग - अलग शहरों को मिलाकर करीब 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

             कर्मचारियों की प्रमुख मांगें 

1 - 9 साल, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए। 2 - निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए। 3 - बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए। 4 - ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए। 5 - 765 / 400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए। 6 - पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए। 7 - आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए। 8 - ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। 9 - तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। 10 - बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए। 11 - भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।

यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मचारी और इंजीनियर बुधवार रात 12 बजे के बाद से कार्य बहिष्कार पर है। मांगों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज इंजीनियरों ने 16 मार्च रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। ऐसे में 3 करोड़ बिजली उपभोक्ता की परेशानी बढ़ सकती है। लखनऊ में गुरुवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल पर 1500 से ज्यादा इंजीनियर और कर्मचारी प्रदर्शन किया। संगठन के नेता सभा को संबोधित कर रहे हैं। लेखा संगठन आंदोलन में शामिल नहीं है। लेकिन ज्यादातर काम कर्मचारियों से संबंधित होते हैं। ऐसे में यहां भी कोई काम नहीं हो रहा है। हालांकि इनके कार्य बहिष्कार के बाद मंत्री एके शर्मा ने भी सख्त रूप अपनाया है।
 जानकारी के अनुसार, राजधानी में बिजली कटौती पर फॉल्ट का काम सुचारु रूप से चल रहा है। बाकी काम जैसे कि उपभोक्ता अपना बिल सुधार काम प्रभावित हो रहा हैं। क्योंकि जेई , एसडीओ और एक्सईएन के अकाउंट से ही यह काम होते हैं। इसमें करीब 90 फीसदी लोग कार्यबहिष्कार में शामिल हैं। राजभवन डिवीजन के अधिशासी अभियंता का कमरा खाली है। वहां कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं है। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उनके समर्थन में पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारियों अपने - अपने प्रदेश में मार्च निकालने का फैसला किया है। देश के सभी बड़े बिजली नेता समर्थन में लखनऊ भी आ रहे हैं।
मंत्री एके शर्मा ने कहा है कि आंदोलन के चलते अगर बिजली व्यवस्था में परेशानी आती है तो प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने इस मामले में दलित इंजीनियरों के संगठन पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन को अपने साथ कर लिया है। संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मंत्री को आश्वासन दिया है कि उनके साथ के लोग दो घंटा अतिरिक्त काम करेंगे। जरूरत पड़ी तो वह 24 घंटे काम करेंगे। लेकिन बिजली व्यवस्था बिगड़ने नहीं होने देंगे।

            नए कनेक्शन और लोड प्रभावित

प्रदेश के विभिन्न जिलों में अप्रैल से पहले उपकेंद्रों के मरम्मत का काम चल रहा है। कार्यबहिष्कार की वजह से वह काम प्रभावित होगा। इसके अलावा नए कनेक्शन मिलने वाले काम भी नहीं होंगे। अगर कोई उपभोक्ता अपना बिल सही कराने के लिए उपकेंद्र जाता है तो उसको भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही अगर कहीं फॉल्ट आता है तो बिजली कर्मचारी उसको बनाने से इंकार भी कर सकता है। ऐसे में आम आदमी के लिए अगले 72 घंटे परेशानी वाले होगी।

वैसे तो लिखित में कोई भी नेता चेयरमैन को हटाने की सीधी मांग नहीं कर रहा है। लेकिन लिखित समझौते का आश्वासन देकर यह बताया जा रहा है कि चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ऐसे में उस प्रक्रिया के तहत चुनाव होना चाहिए। अब ऐसे में वह प्रक्रिया अपनाई जाती है तो पहले मौजूदा चेयरमैन एम देवराज को हटाना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि अगर केवल यह मांग पूरी होती है तो आंदोलन वापस ले लिया जाएगा। हालांकि सरकार इस मांग को पूरी करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अभी टकराव बढ़ गया है।

      योगी से हस्तक्षेप की मांग

बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कार्यबहिष्कार पर जाने से पहले इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कार्यबहिष्कार मजबूरी में कर रहे है। ऊर्जा मंत्री ने लिखित समझौता करने के बाद अब हमारी मांगों को मानने से इंकार कर दिया है। ऐसे में कार्यबहिष्कार पर जाना हमारी मजबूरी है। बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि 3 दिसंबर 2022 को मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पूरा करने का आश्वासन दिया था। इसको लेकर लिखित समझौता हुआ था। मगर, तीन महीने बीत जाने के बाद कॉर्पोरेशन प्रबंधन और मंत्री दोनों अपनी बात से मुकर रहे है।

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