बस्ती में फैलेगी कालानमक की खुशबू : बनेगा हब

                          (विशाल मोदी) 

बस्ती (सू.वि.उ.प्र.)। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के निदेशक एवं कालानमक धान के जनक डा0 ए0के0 सिंह ने आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती पर आई.ए.आर.आई. नई दिल्ली के सहयोग से कालानमक धान की 34 लाइनों के ट्रायल एवं पूसा-1638 तथा एसएल 03 के बीजोत्पादन कार्यक्रम का अवलोकन किया तथा जनपद में इसके प्रचार एवं प्रसार हेतु किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। केन्द्र द्वारा आयोजित पूसा कालानमक धान उत्पादक परिचर्चा एवं प्रक्षेत्र दिवस का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. एके सिंह, निदेशक आई.ए.आर.आई. द्वारा किया गया। उन्होने अपने मुख्य सम्बोधन में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कालानमक धान की उत्पादकता एवं सुगन्ध बढाने के लिए निरन्तर नये शोध करके अधिक उत्पादन देने वाली झुलसा रोग अवरोधी प्रजातियाॅ विकसित कर रहा है। ये नवीनतम् प्रजातियाॅ पूर्वान्चल के जनपदों के लिए कितनी उपयुक्त है, इसी उद्देश्य से 11 केन्द्रों (बस्ती, सन्तकबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोण्डा व बहराइच) पर कालानमक धान का ट्रायल लगाया गया है तथा पूर्व वर्षों में लगे ट्रायलों से पूसा 1638 एवं एसएल 03 का चयन किया गया है जो कालानमक उत्पादन वाले जनपदों में 40 - 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी दे रही है। उन्होने कहा कि बस्ती जनपद के कालानमक धान की ख्याति पूरे भारत में फैल गयी है। आशा करता हूं कि भविष्य में इसके उत्पादन क्षेत्र में बृद्धि होगी। इसलिए इसे और विस्तार देने की जरूरत है जिससे कृषकों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके और उनकी आय को दोगुना करने में अहम् भूमिका निभा सके।

गोविन्द राजू एन.एस. (आई.ए.एस.), मण्डलायुक्त बस्ती मण्डल बस्ती ने अपने सम्बोधन में कहा कि कालानमक धान बस्ती की पहचान बन गया है। इसे एक जनपद एक उत्पाद में शामिल किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती पर आई.ए.आर.आई. के सहयोग से विभिन्न प्रजातियों के जो ट्रायल लगाये गये है वह जैव विविधता का एक अच्छा माडल है, जिसे देखकर किसान भाई अपनी मिट्टी के अनुसार उन्नतिशील प्रजाति का चयन कर सकते है। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है जिसके लिये केन्द्र के अध्यक्ष एवं उनकी टीम प्रशंसनीय है। कालानमक धान एवं केन्द्र की अन्य गतिविधियों के प्रचार प्रसार में जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा।
पूर्व कृषि निदेशक डॉ. ओपी सिंह पूर्व कृषि निदेशक, उपकृषि निदेशक शोध आज़मगढ़ मण्डल, आज़मगढ़, डॉ. हरिथा वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने भी परीक्षण का अवलोकन किया। केन्द्राध्यक्ष प्रो. एसएन सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अवगत कराया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के सहयोग से विगत कई वर्षों से कालानमक धान की विभिन्न प्रजातियों का ट्रायल इस केन्द्र पर लगाया जा रहा है। जिनमें से पूसा 1638 एवं एसएल 03 की उत्पादन क्षमता 40-45 कु. प्रति हेक्टेयर को देखते हुए इस केन्द्र पर इन लाइनों का बीजोत्पादन कराया गया। जिसका लगभग 30 कु. बीज बस्ती जनपद के अलावा अन्य जनपदों के कृषकों को भी केन्द्र से बीज उपलब्ध कराकर प्रदर्शन आयोजित कराया गया है। उन्होंने कहा कि बस्ती जनपद में लगभग 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कालानमक धान का उत्पादन किया जा रहा है जिसके और बढने की सम्भावना है। इसके लिए कालानमक धान की उन्नतिशील एवं रोग अवरोधी प्रजातियों की उत्पादन तकनीक का जनपद में बृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है तथा सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की स्थापना कराकर उत्पादन एवं मार्केटिंग का कार्य कराया जा रहा है।
इस कृषक परिचर्चा में प्रगतिशील कृषक परमानन्द सिंह, अरविन्द सिंह, राम मूर्ति मिश्र, अरविन्द पाल ने भी कालानमक धान की विशेषता पर अपने विचार व्यक्त किये तथा कहा कि इस जनपद में कालानमक धान की मार्केटिंग व्यवस्था सुदृढ कर दी जाय तो बस्ती जनपद कालानमक धान का हब बन जायेगा। प्रगतिशील कृषकों ने कहा कि कालानमक धान उत्पादक कृषकों का समूह बनाकर विभिन्न जनपदों एवं आई.ए.आर.आई. पूसा नई दिल्ली में भ्रमण कराकर जागरूक किया जाये, जिससे जनपद के किसान कालानमक धान के उत्पादन की बारीकियों को अच्छी तरह देख एवं समझकर अधिक आय अर्जित कर सके। कालानमक धान उत्पादक प्रगतिशील कृषक अरविन्द पाल ग्राम बरडीहा, ब्लाक राम नगर के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया तथा फसल का अवलोकन कर प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर डॉ. प्रेम शंकर, डॉ. अंजलि वर्मा, हरिओम मिश्र, जेपी शुक्ल, प्रहलाद सिंह, प्रगतिशील कृषक श्री अमित मोहन त्रिपाठी, आज्ञा राम वर्मा, दिनेश वर्मा, योगेन्द्र सिंह, विजेन्द्र पाल आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीबी सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. डीके श्रीवास्तव ने किया।

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