बस्ती में 17 विद्यालयों के 500 बच्चों ने की भव्य दिव्य रामलीला : सनातन धर्म संस्था बस्ती की शानदार प्रस्तुति
(बृजवासी शुक्ल)
बस्ती (उ.प्र.)। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम रावण का वध और विभीषण को लंका का राजपाट सौंपकर चौदह वर्षों के वनवास के पश्चात् जानकी जी, लखन लाल और हनुमानजी सहित अयोध्या आ गये और उनका राज्याभिषेक हो गया। बस्ती की सनातन धर्म संस्था द्वारा विक्रम संवत 2079 कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि से एकादशी तिथि (27 अक्टूबर से 04 नवम्बर 2022) तक भव्य एवं दिव्य रामलीला के दर्शन कराये गये। रामलीला में महाराज दशरथ के पुत्र्येष्टि यज्ञ से लेकर श्रीराम जन्म, वनवास, सीता हरण, सुग्रीव से मित्रता, ज्योतिर्लिंग स्थापना, रामसेतु, लंका दहन, मेघनाद - कुम्भकर्ण वध के पश्चात् रावण वध के दृश्य का सजीव मंचन श्री धनुषधारी अवध रामलीला मण्डल श्रीधाम अयोध्या के निर्देशन में किया गया।
प्रभु बिलोकि मुनि मन अनुरागा।तुरत दिब्य सिंघासन मागा॥
रबि सम तेज सो बरनि न जाई।
बैठे राम द्विजन्ह सिरु नाई।।
अयोध्या वापस आने पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को देखकर मुनि वशिष्ठजी के मन में प्रेम भर आया। उन्होंने तुरंत ही दिव्य सिंहासन मँगवाया, जिसका तेज सूर्य के समान था। उसका सौंदर्य वर्णन नहीं किया जा सकता। ब्राह्मणों को सिर नवाकर श्री रामचंद्रजी उस पर विराज गए।
(गुरु वशिष्ठ और माताओं का चरण स्पर्श करते श्रीराम)सनातन धर्म संस्था बस्ती द्वारा बस्ती मण्डल मुख्यालय पर बस्ती क्लब में ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन किया गया। रामलीला में बस्ती जिले के सत्रह विद्यालयों के पांच सौ बच्चों ने अपने हजारों हजार दर्शकों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।
'रामराज्य' में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं।
रबि सम तेज सो बरनि न जाई। बैठे राम द्विजन्ह सिरु नाई॥
प्रभु को देखकर मुनि वशिष्ठजी के मन में प्रेम भर आया। उन्होंने तुरंत ही दिव्य सिंहासन मँगवाया, जिसका तेज सूर्य के समान था। उसका सौंदर्य वर्णन नहीं किया जा सकता। ब्राह्मणों को सिर नवाकर श्री रामचंद्रजी उस पर विराज गए।
प्रभु बिलोकि मुनि मन अनुरागा। तुरत दिब्य सिंघासन मागा॥
रबि सम तेज सो बरनि न जाई। बैठे राम द्विजन्ह सिरु नाई॥
भावार्थ:-प्रभु को देखकर मुनि वशिष्ठजी के मन में प्रेम भर आया। उन्होंने तुरंत ही दिव्य सिंहासन मँगवाया, जिसका तेज सूर्य के समान था। उसका सौंदर्य वर्णन नहीं किया जा सकता। ब्राह्मणों को सिर नवाकर श्री रामचंद्रजी उस पर विराज गए।
(सनातन धर्म संस्था बस्ती के सक्रिय सदस्य अखिलेश दूबे ने रामलीला में योगदान देने वाले सुधी सज्जनों को स्मृति चिह्न के रुप में श्रीराम दरबार भेंट किया गया)जनकसुता समेत रघुराई। पेखि प्रहरषे मुनि समुदाई॥
बेद मंत्र तब द्विजन्ह उचारे। नभ सुर मुनि जय जयति पुकारे॥
श्री जानकीजी के सहित रघुनाथजी को देखकर मुनियों का समुदाय अत्यंत ही हर्षित हुआ। तब ब्राह्मणों ने वेदमंत्रों का उच्चारण किया। आकाश में देवता और मुनि 'जय, हो, जय हो' ऐसी पुकार करने लगे।
(भगवान श्रीराम की आरती उतारते मण्डलायुक्त गोविंद राजू एनएस व मंच पर वयोवृद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता अयोध्या प्रसाद शुक्ल, अखिलेश दूबे, डॉ. वीरेन्द्र त्रिपाठी व अन्य)प्रथम तिलक बसिष्ट मुनि कीन्हा। पुनि सब बिप्रन्ह आयसु दीन्हा॥
सुत बिलोकि हरषीं महतारी। बार बार आरती उतारी॥
सबसे पहले मुनि वशिष्ठजी ने तिलक किया। फिर उन्होंने सब ब्राह्मणों को (तिलक करने की) आज्ञा दी। पुत्र को राजसिंहासन पर देखकर माताएँ हर्षित हुईं और उन्होंने बार-बार आरती उतारी।
(वरिष्ठ अधिवक्ता अयोध्या प्रसाद शुक्ल, रमेश सिंह, पुनीत ओझा, भूपेन्द्र चौधरी व अजय श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न भेंट किया)बिप्रन्ह दान बिबिधि बिधि दीन्हे। जाचक सकल अजाचक कीन्हे॥
सिंघासन पर त्रिभुअन साईं। देखि सुरन्ह दुंदुभीं बजाईं॥
भावार्थ:-उन्होंने ब्राह्मणों को अनेकों प्रकार के दान दिए और संपूर्ण याचकों को अयाचक बना दिया (मालामाल कर दिया)। त्रिभुवन के स्वामी श्री रामचंद्रजी को (अयोध्या के) सिंहासन पर (विराजित) देखकर देवताओं ने नगाड़े बजाए।
नभ दुंदुभीं बाजहिं बिपुल गंधर्ब किंनर गावहीं।नाचहिं अपछरा बृंद परमानंद सुर मुनि पावहीं॥
भरतादि अनुज बिभीषनांगद हनुमदादि समेत ते।
गहें छत्र चामर ब्यजन धनु असिचर्म सक्ति बिराजते॥
आकाश में बहुत से नगाड़े बज रहे हैं। गन्धर्व और किन्नर गा रहे हैं। अप्सराओं के झुंड के झुंड नाच रहे हैं। देवता और मुनि परमानंद प्राप्त कर रहे हैं। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्नजी, विभीषण, अंगद, हनुमान् और सुग्रीव आदि सहित क्रमशः छत्र, चँवर, पंखा, धनुष, तलवार, ढाल और शक्ति लिए हुए सुशोभित हैं।
सनातन धर्म संस्था द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के नवम दिवस पर श्री राम के अयोध्या वापसी के साथ राम राज्य की स्थापना और आमजन के लिए प्रभु श्री राम के नीति उपदेश के साथ रामलीला सम्पन्न हुई।
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