खनन माफिया का पीछा करते सड़क पर इनकाउंटर, भाजपा नेता की पत्नी की मौत, पुलिस इंस्पेक्टर सहित 3 को लगी गोली
(बृजवासी शुक्ल)
मुरादाबाद (उ.प्र.)। खनन माफिया का पीछा करते हुए उत्तराखंड पहुंची यूपी पुलिस के एनकाउंटर में एक भाजपा नेता की पत्नी की मौत हो गई। जिस वक्त फायरिंग हुई महिला ड्यूटी से लौट रही थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने खबर मिलने पर खुद ही ऑपरेशन प्लान किया था, लेकिन एनकाउंटर के दौरान माफिया ने 12 पुलिसवालों को करीब एक घंटे तक बंधक बनाए रखा। पुलिस की गाड़ी फूंक दी, हथियार लूटे। महिला की मौत से नाराज ग्रामीणों के गुस्से का फायदा उठाकर फरार हो गया।
पूरे एनकाउंटर को सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए
बुधवार दोपहर शुरू हुआ एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश पुलिस को बुधवार दोपहर को पता चला कि खनन माफिया जफर मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा इलाके में है। पुलिस ने शाम साढ़े पांच बचे दबिश दी, तो जफर ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई।
(ये फोटो 50 हजार इनामी खनन माफिया जफर की है। पुलिस इसी का पीछा कर रही थी)घिरने लगा तो उत्तराखंड भागा, यूपी पुलिस भी पहुंची
खुद को घिरता देख जफर यहां से यूपी बॉर्डर क्रॉस कर उत्तराखंड में ऊधम सिंह नगर जिले में कुंडा थाने के गांव भरतपुर पहुंच गया। यूपी पुलिस की टीम भी पीछा करते भरतपुर पहुंच गई। बरेली जोन के एडीजी (ADG) राजकुमार ने बताया कि माफिया जफर भरतपुर में भाजपा नेता गुरताज सिंह के फार्म हाउस पर जाकर छुप गया। ठाकुरद्वारा थाने से भरतपुर की दूरी बमुश्किल 8 किमी है।
(कई थानों की फोर्स लेकर एसपी ठाकुरद्वारा पहुंचे)
यूपी पुलिस के जवान सादे कपड़ों में थे। कुछ वीडियो में दिख रहा है कि भुल्लर के फॉर्महाउस पर 10-12 लोग पिस्टल लेकर घुस रहे हैं और यहां सादे कपड़ों में पुलिसवाले थे। शुरुआत में भुल्लर की फैमिली ने पुलिसवालों को बदमाश समझा। हालांकि मुरादाबाद पुलिस टीम ने अपना परिचय दिया और फार्म हाउस में घुसे 50 हजार के इनामी खनन माफिया जफर को अपने हवाले करने को कहा। लेकिन भुल्लर की फैमिली लोकल पुलिस को बुलाने की मांग करने लगी। इसी बीच स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।(भाजपा नेता की पत्नी को गोली लगने से मौत की सूचना पर ग्रामीणों ने कुंडा तिराहे पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया)(ये फोटो भाजपा नेता गुरताज भुल्लर और उनकी पत्नी गुरमीत कौर की है। पुलिस एनकाउंटर के दौरान गुरमीत कौर को गोली लगी थी)ड्यूटी से लौट रही महिला को गोली लगी
बहस के दौरान पुलिस को माफिया जफर दिखा। तभी फायरिंग शुरू हो गई। इसी दौरन भुल्लर की पत्नी गुरुजीत कौर (28 साल) ड्यूटी करके लौट रही थीं। उन्हें गोली लग गई। परिजन आनन-फानन उन्हें निजी डॉक्टर के पास लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।परिजनों का कहना है कि गुरजीत की मौत मुरादाबाद पुलिस की गोली लगने से हुई है। इस घटना में उत्तराखंड के कुंडा थाने में मुरादाबाद के 4 पुलिसकर्मियों को नामजद करते हुए 10-12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। गुरजीत सहकारी समिति में लिपिक थीं।
पुलिसवालों को बनाया बंधकजानकारी के मुताबिक, जफर और उसके साथियों ने 12 पुलिसवालों को एक घंटे तक बंधक बनाए रखा। हथियार लूटे और पुलिस वाहन को भी आग लगा दी। महिला की मौत से ग्रामीण नाराज हो गए थे। इसी नाराजगी का फायदा उठाकर जफर फरार हो गया। ग्रामीणों ने उत्तराखंड में कुंडा तिराहे पर जाम लगाकर हंगामा किया। इसके बाद पुलिस वालों पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। यूपी पुलिस ने भी कुछ ग्रामीणों पर केस दर्ज कराया है। उनके खिलाफ मारपीट का आरोप है।
जफर ने एसडीएम को बंधक बनाया था, डंपर छीन ले गया था इसी केस में वांटेड है जफर
13 सितंबर को एसडीएम की टीम को बंधक बनाकर डंपर छीन ले जाने के मामले में खनन माफिया जफर वांटेड था।
डीआईजी शलभ माथुर ने बताया कि बुधवार को पुलिस टीम को जफर की लोकेशन का पता चला। ठाकुरद्वारा पुलिस और SOG की टीम के 10 जवान उसे पकड़ने के लिए गए थे। लेकिन जफर को इसकी भनक लग गई और वह भाग गया। एनकाउंटर में इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसवाले घायल हैं। 3 को गोली लगी है और 2 मारपीट का शिकार हुए हैं। (घायल सिपाही का अस्पताल में चल रहा इलाज)खनन माफिया के एसडीएम पर हमले और डंपर छीन ले जाने की घटना से सीएम योगी आदित्यनाथ खासे खफा थे। 25 सितंबर को हुई वीडियो कांफ्रेंस में उन्होंने मुरादाबाद के डीआईजी शलभ माथुर को फटकार लगाते हुए खनन माफिया पर कड़ा एक्शन लेने के निर्देश दिए थे। सीएम ने हिदायत दी थी कि खनन माफिया पर एक्शन लेने के साथ -साथ उन दोषियों को भी चिन्हित किया जाए जो खनन सिंडिकेट को सपोर्ट कर रहे हैं।
(खनन माफिया की गोली से घायल सिपाही)मुरादाबाद मंडल के 5 में से 3 जिलों की सीमा उत्तराखंड से सटी है। मुरादाबाद, रामपुर और बिजनौर जिला उत्तराखंड से बॉर्डर शेयर करता है। इसलिए यहां अवैध खनन के साथ-साथ अवैध खनन के उत्तराखंड से ट्रांसपोर्ट का बाकायदा एक सिंडिकेट रन होता है। करोड़ों रुपए महीने के टर्नओवर वाले इस धंधे में खनन विभाग, पुलिस, प्रशासन और स्थानीय नेताओं तक के नाम उछलते रहे हैं। सरकारें बदलती रहीं लेकिन खनन के इस अवैध कारोबार को कभी रोका नहीं जा सका है।
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