कृषि विभाग द्वारा विकसित बीजों से बढ़ेगा 15 - 20 प्रतिशत उत्पादन : अविनाश त्रिपाठी जेडी कृषि

 

                          (विशाल मोदी) 

बस्ती (सू.वि.उ.प्र.)। कृषि विभाग द्वारा अधिक उत्पादन हेतु नई विकसित प्रजाति के बीजों का प्रयोग प्राथमिकता के आधार पर किया जाना आवश्यक है। उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र त्रिपाठी ने बताया है कि गुणवत्तायुक्त मानक बीजो का प्रयोग करने से 15 से 20 प्रतिशत उत्पादकता में वृद्धि होती है। जो कृषक भाई राजकीय कृषि बीज भण्डार या निजी बीज भण्डारों से टैग सहित प्रमाणित बीज क्रय करता है और बुआई करते है, वे अगले साल इससे उत्पादित बीज को पुनः बुआई में निम्न उपायों द्वारा विश्वसनीय बीज (Truthful Seed) के रूप में बुआई कर सकते है।

  उन्होंने बताया कि बीज पुष्ट दाने का हो, रोग से ग्रसित न हो तथा बीज को झरने से छान कर पतले बीज को निकाल ले केवल मोटे बीज को बुआई हेतु रखे, बीज को फफूंदनाशी (बीज शोधन ) थीरम/जीरम 2.5 ग्राम प्रति कि०ग्रा० अथवा कार्बेन्डाजिम 03 ग्राम प्रति कि०ग्रा० से बीज का शोधन करे। बुआई के पूर्व बीज अंकुरण परीक्षण अवश्य किया जाना चाहिए। इसके लिए एक ट्रे में गिनकर बीज को किसी कपड़े में भिगों कर फैला दें, जिससे नमी बनी रहें। 05 दिन के अन्दर अंकुरित बीज को गिन लेना चाहिए। यदि बीज का अंकुरण 80 प्रतिशत से अधिक है, तो बीज बुआई के लिए उपयुक्त है। 80 प्रतिशत से कम अकुंरण क्षमता वाले बीज की बुआई नही करनी चाहिए अन्यथा उत्पादकता में कमी आती है।
 संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकार प्रमाणित बीज को विश्वसनीय बीज के रूप में केवल दो बार अंकुरण परीक्षण करके ही प्रयोग किया जा सकता है। भूमि के उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा 2 प्रतिशत डब्लू पी की 2.5 कि०ग्रा० मात्रा प्रति हे0 60 से 75 कि०ग्रा० सड़े हुए गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 08 से 10 दिन तक छाया में रखने के बाद आखिरी जुताई के समय खेत में मिला दे। भूमि की जुताई पूर्ण करने के बाद सीड कम फर्टिलाइजर या सुपर सीडर से बुआई पंक्ति में की जानी चाहिए। श्री त्रिपाठी ने बताया कि बीज का परीक्षण कराने के उपरान्त ही बुआई की जानी चाहिए, जिससे बीज की निर्धारित सही मात्रा प्रयोग हो। कैलीब्रेशन हेतु प्रविधिक सहायकों का सहयोग लिया जाय। बीज शोधन के पश्चात ही बायोफर्टिलाइजर, गेहूँ के लिए एजिटोवेक्टर एवं फास्फेटिका तथा दलहनी फसलों के बीज उपचार हेतु राइजोबियम कल्चर का प्रयोग बीज जनित रोग के नियंत्रण हेतु किया जाय।

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