गोण्डा में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली उजागर, पीएचसी में ठेले पर इलाज और जिला अस्पताल में बेटे की गोद में पिता की मौत

 

                         (बृजवासी शुक्ल) 

गोण्डा (उ.प्र.)। यूपी के गोण्डा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। यहां स्वास्थ्य विभाग की बदहाली और डॉक्टरों की लापरवाही के दो मामले सामने आए हैं। पहले मामले में एक घायल बुजुर्ग को एंबुलेंस नहीं मिली तो परिवार वाले ठेले पर पीएचसी पहुंचे, जहां उन्हें बेड भी नसीब नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने ठेले पर ही इलाज शुरू कर दिया। वहीं दूसरे केस में एक बेटा अपने बुजुर्ग पिता को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा तो उसे स्ट्रेचर नहीं मिला। वह पिता को लेकर भटकता रहा। डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया और पिता ने बेटे की गोद में ही दम तोड़ दिया। बाद में शव वाहन भी नहीं मिला तो बेबस बेटा पिता के शव को गोद में लेकर ही चल पड़ा।

दरअसल, गोंडा के कौड़िया थाना क्षेत्र के आर्यनगर-करनैलगंज मार्ग पर 24 अगस्त बुधवार दोपहर बाद करीब 4 बजे हादसा हो गया था। बनगाई गांव के निवासी 65 वर्षीय अलीजान बकरी चराकर लौट रहे थे। आर्यनगर से कौड़िया की तरफ जा रहे बाइक सवार ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार भोलेनाथ व बुजुर्ग अलीजान दोनों सड़क पर गिरकर घायल हो गए। राहगीरों ने पुलिस व एंबुलेंस को सूचना दी। एक एंबुलेंस तो पहुंच गई और बाइक सवार भोलेनाथ को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रूपईडीह ले गई। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहीं घायल बुजुर्ग अलीजान को एंबुलेंस भी नहीं मिली। इस कारण परिवार वाले उन्हें ठेले पर लादकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रुपईडीह ले गए। लेकिन बुजुर्ग को पीएसची में बेड भी नहीं मिला। हद तो तब हो गई जब डॉक्टरों ने लापरवाही कर बुजुर्ग का ठेले पर ही इलाज शुरू कर दिया। डॉक्टरों ने ठेले पर लेटे अलीजान को ग्लूकोज भी चढ़ाना शुरू कर दिया। हालत नाजुक देखकर उन्हें भी जिला अस्पताल रेफर कर दिया। लोगों ने बदहाली की तस्वीर खींचकर वायरल कर दी। ठेले पर इलाज के बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुपईडीह के अधीक्षक डॉक्टर अजय यादव ने पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अगर ठेले पर घायल बुजुर्ग का इलाज किया गया है और ग्लूकोज लगाया गया है तो गलत है, जांच कराकर संबंधित डॉक्टर के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

     बेटे की गोद में पिता ने दम तोड़ा

दूसरा मामला गोण्डा के जिला अस्पताल की इमरजेंसी का है। एक युवक एंबुलेंस न मिलने पर अपने बुजुर्ग पिता को गोद में लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा था। संवेदनहीन डॉक्टरों ने बाप बेटे को बाहर ही बिठा दिया और हाथ लगाकर देखने की जहमत भी नहीं उठाई। मजबूर बेटा पिता की हालत खराब होती देख गोद में ही पिता को इमरजेंसी में ले गया और ऑक्सीजन लगा दी। कुछ देर बाद डॉक्टर पहुंचे और बोले कि इनकी मौत हो चुकी है, घर ले जाईये। इमरजेंसी से शव बाहर लाने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं दी गई। बेबस बेटा फिर पिता की लाश को गोद में लेकर निजी शव वाहन तक अस्पताल के बाहर तक ले गया। वहां से अपने घर ले गया।

(गोद में अपने पिता की लाश लेकर जाते सोहनलाल, इनके पिता ने इलाज न मिलने पर गोंडा के जिला अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर गोद में ही दम तोड़ दिया) 

              बेटे ने सुनाई पूरी कहानी

ये मामला भी 24 अगस्त बुधवार दोपहर करीब दो बजे का है। मोतीगंज थाना क्षेत्र के पिपरा भिटौरा गांव निवासी सोहन लाल अपने बुजुर्ग पिता राम उदित को सांस लेने की समस्या होने पर जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे। सोहनलाल ने बताया कि, "इमरजेंसी में भीड़ होने के कारण उन्हें बाहर बरामदे में बैठा दिया गया और नंबर आने पर अंदर आने को कहा। वह बाहर अपने बुजुर्ग पिता को लेकर आधे घंटे तक बैठे रहे लेकिन कोई देखने नहीं पहुंचा। कुछ देर बाद पिता के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो वह उन्हें लेकर इमरजेंसी में घुस गए और खुद ऑक्सीजन लगा दी। तब एक डॉक्टर ने आकर कहा कि इनकी मौत हो चुकी है, शव घर ले जाईये।

"सोहन लाल ने बताया, " पिता की मौत के बाद रोना भी आया और डॉक्टरों पर गुस्सा भी लेकिन कुछ नहीं कर पाया। मजबूरी में मैंने गोद में पिता के शव को उठाया और बाहर लाकर शव वाहन की तलाश की। अस्पताल में चार शव वाहन मौजूद हैं। इसके बावजूद भी शव ले जाने के लिए वाहन नहीं दिया गया। मजबूरन शव को गोद में उठाकर अस्पताल के बाहर प्राइवेट वाहन तक पहुंचाया और फिर उसपर लादकर पिता की लाश को घर ले गया।" प्रमुख चिकित्साधीक्षक डॉ. इंदुबाला का कहना है कि इमरजेंसी में मरीज अटेंड न करना गंभीर बात है। किसकी ड्यूटी थी इसका पता लगाया जाएगा। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। रही बात शव वाहन न मिलने की तो तीमारदारों को शव वाहन के बारे में जानकारी देनी चाहिये थी। किसी ने भी इस मामले की शिकायत नहीं की है।

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