कर्नाटक की महिला स्वतंत्रता सेनानी नागम्मा पाटिल : आजादी का अमृत महोत्सव

              !! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !! 

"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज हैं कर्नाटक की महिला स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी जिन्हें कर्नाटक में "अम्मा" के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी, जेल गयीं और कर्नाटक में महिलाओं व हरिजन बच्चों के कल्याण के लिए काम किया तथा हरिजन लड़कियों के लिए एक "छात्रावास" शुरू करने वाली वह पहली व्यक्ति थीं। ऐसी महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी हैं "नागम्मा पाटिल।" वे महात्मा गाँधी जी के आह्वान पर भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हुईं तथा एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में महिलाओं और हरिजन बच्चों को शिक्षित करने उनके उत्थान के लिए खुद को समर्पित कर दिया था।

                                प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव

58 - नागम्मा पाटिल का जन्म 16 दिसम्बर 1905 को हुआ था। उन्होंने 1923 में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की और "कर्नाटक लिबरल एजुकेशन सोसाइटी" के संस्थापक और दिग्गज नेता "पद्मश्री" सरदार वीरगौड़ा पाटिल से शादी की। नागम्मा पाटिल ने अपने पति के साथ मिलकर कर्नाटक में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं की स्थिति के उत्थान के लिए काम किया। सन् 1923 में ही उन्होंने महात्मा गाँधी जी के मार्गदर्शन में हुबली में हरिजन लड़कियों के लिए "हरिजन बालिका आश्रम" एक "छात्रावास" शुरू किया, जो गाँधीवादी सिद्धान्तों पर आधारित था। यह महात्मा गाँधी जी के साबरमती आश्रम के अलावा हरिजन बच्चों की सेवा करने वाला एकमात्र स्थान बन गया था। सन् 1951 में जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने उस आश्रम का दौरा किया तो उस छात्रावास का नाम बदलकर "कस्तूरबा बालिका आश्रम" नाम रख दिया गया। बाद में नागम्मा पाटिल ने अपने पति के साथ हुबली में एक "महिला विद्यापीठ" की स्थापना की। हरिजन लड़कियों के लिए छात्रावास शुरू करने वाली ये पहली व्यक्ति थीं। साल 1937 में उन्होंने ब्याडगी में दूसरा बालिका आश्रम शुरू किया, जिसे ब्रिटिश राज के खिलाफ गतिविधियों के लिए अपना आधार बनाया था।

महात्मा गाँधी जी के आह्वान पर नागम्मा पाटिल अपने पति के साथ 1938 में स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं। अँग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के कारण उसी वर्ष उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन महीने के लिए बेलगाम में हिंडालगा जेल में डाल दिया गया तथा 1942 भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें यरवदा सेंट्रल जेल में 13 महीने के लिए कैद कर लिया गया था। उन्होंने "कस्तूरबा निधि" के लिए धन संग्रह में सक्रिय भाग लिया और कथित तौर पर उसी के लिए अपनी खुद की सोने की अँगूठी दान कर दी थी। आज़ादी के बाद उन्होंने खुद महिलाओं और बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया और खुद को समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। कर्नाटक में "अम्मा" के नाम से जानी जाने वाली नागम्मा पाटिल जी का 97 वर्ष की आयु में 23 मई 2002 को निधन हो गया।

 आइए हम महान स्वतन्त्रता सेनानी समाज सुधारक प्रेरणाश्रोत नागम्मा पाटिल जी को प्रणाम करें उनसे प्रेरणा लें! सादर नमन! भावपूर्ण श्रद्धान्जलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!

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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।

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