महान स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी पांडा : आजादी का अमृत महोत्सव

               !! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!

 "आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज मैं उस एक मात्र ओडिया महिला क्रान्तिकारी की बात कर रही हूँ जो मात्र 14वर्ष की छोटी सी आयु में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की रानी झाँसी रेजीमेन्ट में शामिल हुईं तथा देश की आज़ादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी! "लक्ष्मी पांडा" उर्फ लक्ष्मी इंदिरा पांडा।

                                        प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव

65 - लक्ष्मी पांडा उर्फ लक्ष्मी इंदिरा पांडा महिला स्वतन्त्रता सेनानी का जन्म 1930 को रंगून के पास बर्मा में हुआ था। उनके पति का नाम खगेश्वर पांडा था। लक्ष्मी पांडा के माता पिता 1943 में एक ब्रिटिश हवाई हमले में मारे गए थे। जिसके बाद वह और उनका एक छोटा भाई था जो अनाथ हो गए थे। वह अपने माता पिता की मौत का बदला लेने के लिए दृढ थीं और आईएनए में शामिल हो गयीं। लक्ष्मी पांडा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की इंडियन नेशनल आर्मी (INA) भारतीय राष्ट्रीय सेना की "रानी झाँसी रेजीमेन्ट" में सेवा देने वाली सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थी तथा एकमात्र ओडिया महिला थीं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने व्यक्तिगत रूप से "लक्ष्मी पांडा" को "इंदिरा" का नया नाम दिया था ताकि कोई भ्रमित न हो। क्योंकि रानी झाँसी रेजीमेंट की कप्तान का नाम "लक्ष्मी सहगल" था।

मात्र 14 वर्ष की आयु में लक्ष्मी पांडा ने देश की आज़ादी के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। सात अक्टूबर 2008 को लंबी बीमारी के बाद एम्स दिल्ली में उनका निधन हो गया। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया और ओडिशा पुलिस की ओर से उन्हें "गार्ड ऑफ ऑनर" भी दिया गया था। ओडिशा सरकार ने अक्टूबर 2008 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी स्मृति में जयपोर में उनकी एक मूर्ति स्थापित की। पचीस अक्टूबर 2008 को उन्हें "राष्ट्रीय स्वतन्त्र सैनिक सम्मान" से सम्मानित किया गया जो भारत में एक स्वतन्त्रता सेनानी को प्रदान की जाने वाली सर्वोच्च उपाधि है। 

आइए हम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की "भारतीय राष्ट्रीय सेना" (INA)की सबसे कम उम्र की सदस्य एकमात्र ओडिया महिला को सैल्यूट करें! सादर नमन! भावभीनी श्रद्धान्जलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!

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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।

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