स्वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत स्वतंत्रता सेनानी विजयलक्ष्मी पंडित : आजादी का अमृत महोत्सव
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज आज़ादी की लड़ाई के दौरान हर आन्दोलन में भाग लेने और जेल जाने वाली जेल से बाहर आकर फिर से आन्दोलन में जुट जाने वाली महिला स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी जो आज़ादी के बाद स्वतन्त्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं। भारत के इतिहास की पहली महिला कैबिनेट मंत्री और वर्ष 1953 में "संयुक्त राष्ट्र महासभा" की "अध्यक्ष" बनने वाली "विश्व की पहली महिला" थीं जिनके कारण देश में "पंचायती राज व्यवस्था" लागू हुई थी।
प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव
47 - विजयलक्ष्मी पंडित भारतीय महिला स्वतन्त्रता सेनानी हैं "विजयलक्ष्मी पंडित।" भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में अपना अमूल्य योगदान देने वाली क्रान्तिकारी महिला विजयलक्ष्मी पंडित देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की बहन थीं। उनकी माता का नाम स्वरूपरानी नेहरू तथा पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। जो एक प्रसिद्ध वकील, राजनीतिक नेता व स्वतन्त्रता सेनानी थे। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनैतिक थी। उनका जन्म 18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था। उनकी औपचारिक शिक्षा स्कूल में नहीं इलाहाबाद में उनके घर में ही हुई थी। वे नेहरू जी से 11 वर्ष छोटी थीं और बहन कृष्णा से 07 वर्ष बड़ी थीं। उनका बचपन का नाम स्वरूप कुमारी था। वर्ष 1921 में उनकी शादी काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पंडित से हुई थी उनकी तीन पुत्रियाँ थीं।वर्ष 1919 में जब महात्मा गाँधी जी इलाहाबाद आनन्द भवन में आकर रूके तो विजयलक्ष्मी पंडित उनसे बहुत प्रभावित हुई तथा प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ींं। "असहयोग आन्दोलन" में भाग लिया जेल गयीं। 1942 भारत छोड़ो आन्दोलन में वे फिर से गिरफ्तार हुईं लेकिन बीमारी होने के कारण 9 महीने बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। विजयलक्ष्मी पंडित ने देश की आज़ादी के लिए कई आन्दोलनों में हिस्सा लिया और महात्मा गाँधी व नेहरू के साथ स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के हर आन्दोलनों में वे आगे रहती थीं। जेल जातीं, रिहा होती, फिर जेल से बाहर आकर आन्दोलनों में जुट जाती थीं। उनके पति को भारत की स्वाधीनता के लिए किए जा रहे आन्दोलनों का समर्थन करने के आरोप में अँग्रेज़ी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, जहाँ 14 जनवरी 1944 को उनका निधन हो गया। पति के निधन के बाद उन्हें व उनकी बेटियों को घर की सम्पत्ति से बेदखल कर दिया गया और पूरी सम्पत्ति पर पति के भाई ने कब्ज़ा कर लिया था। उन्होंने महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया और उनकी ही मेहनत से आज़ादी के बाद महिलाओं को अपने पति और पिता की सम्पत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त हुआ। विजयलक्ष्मी पंडित ब्रिटिश राज के दौरान कैबिनेट मंत्री के पद पर रहने वाली पहली महिला थीं।आइए स्वतन्त्र भारत की पहली महिला राजदूत, महाराष्ट्र की पहली महिला गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली विश्व की पहली महिला स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी से हम प्रेरणा लें! प्रणाम करें! सादर नमन! भावभीनी श्रद्धांजलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!
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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।