अब द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाएगी भाजपा

 

                          (बृजवासी शुक्ल) 

नई दिल्ली। झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह ऐलान किया है। उड़ीसा की रहनेवाली द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं, जो झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रहीं। पिछले बार भी इनका नाम राष्ट्रपति के लिए चला था। अंत में रामनाथ गोविंद का फाइनल हुआ।


बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनके नाम का ऐलान किया। इसी सिलसिले में बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में पीएम मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। बीजेपी की इस हाई लेवल मीटिंग में राष्ट्रपति पद के लिए कई उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया गया। आखिरकार आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को इस पद का उम्मीदवार चुना गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्रौपदी मुर्मू को इस पद की उम्मीदवारी के लिए बधाई दी है।
बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लेकिन बाद में बीजेपी ने तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी।

              25 को नामांकन करेंगी मुर्मू

एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 25 जून को नामांकन दाखिल कर सकती हैं। वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को नामांकन करेंगे। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है। राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई को होगा। वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। 25 को नए राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे।

  जानिए द्रौपदी के नाम पर ही क्यों लगी मुहर ? 

 राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर प्रो. प्रवीण मिश्र कहते हैं, 'जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से देश की सियासत में कई नई चीजें देखने को मिली हैं। द्रौपदी मुर्मू के रूप में पहली बार कोई आदिवासी महिला राज्यपाल बनीं। अब द्रौपदी के नाम एक और इतिहास जुड़ जाएगा। भाजपा उम्मीद करेगी की उसे इसका सियासी फायदा भी हो।' उन्होंने द्रौपदी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के पांच बड़े कारण बताए।

1. अनुसूचित जनजाति पर फोकस : द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं। ये पहली बार होगा जब कोई आदिवासी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगा। इसका संदेश देश के 8.9 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर्स को जाएगा। कई राज्यों की कई सीटों पर आदिवासी वोटर्स निर्णायक हैं। ऐसे में भाजपा ने द्रौपदी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर अनुसूचित जनजाति के वोटर्स को अपनी ओर करने की कोशिश की है।

2 - महिला शक्ति का भी एहसास होगा : द्रौपदी मुर्मू अगर चुनाव जीतती हैं तो दूसरी महिला होंगी जो राष्ट्रपति बनेंगी। भारत में महिलाओं की आबादी पुरुषों के बराबर है। द्रौपदी का नाम प्रत्याशी के तौर पर एलान करने से महिलाओं में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। द्रौपदी के संघर्ष की कहानी भी लोग जानते हैं। 

महिला वोटरों का झुकाव भाजपा की ओर माना जाता है। खुद प्रधानमंत्री कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं। ऐसे में एक महिला को राष्ट्रपति बनाने से भाजपा को महिला वोटर्स में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।

3 - आदिवासी बाहुल राज्यों पर फोकस : अगले दो सालों में 18 राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें दक्षिण के चार बड़े राज्य शामिल हैं। ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना। वहीं, पांच राज्य ऐसे हैं जहां अनुसूचित जनजाति और आदिवासी वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। इनमें झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र शामिल हैं। इन सभी राज्यों की 350 से ज्यादा सीटों पर मुर्मू फैक्टर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

4 - लोकसभा चुनाव : 2024 में ही लोकसभा चुनाव भी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 47 लोकसभा और 487 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। हालांकि, अनुसूचित जनजाति और आदिवासी वोटर्स का प्रभाव इनसे कहीं ज्यादा सीटों पर है। 2019 लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 सीटों में 31 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।

 हालांकि, विधानसभा चुनावों में जरूर भाजपा को आदिवासी इलाकों में हार का सामना करना पड़ा था। खासतौर पर छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और राजस्थान में। ऐसे में भाजपा को लोकसभा में अपनी पुरानी जीत बरकरार रखने के लिए अनुसूचित जनजाति को अपने साथ रखने की पूरी कोशिश कर रही है। 5 - समानता और एकता का संदेश : द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए आते ही इसकी चर्चा होने लगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में यहां से किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद पर ले जाने से समानता और एकता का बड़ा संदेश जाएगा।

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