पद्म भूषण से सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी यशोधरा दासप्पा : आजादी का अमृत महोत्सव

              !!देश की आज़ादी के 75 वर्ष!!

 "आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज हैं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलनों के साथ साथ कई सामाजिक आन्दोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाने वाली देश का तीसरा सर्वोच्च नगरिक पुरस्कार "पद्म भूषण" से सम्मानित कर्नाटक में "कैबिनेट मंत्री" बनने वाली "पहली महिला" बंगलोर की "फॉयरब्राण्ड" गाँधीवादी जिन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया था। भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी और समाजसुधारक - "यशोधरा दासप्पा"

                                   प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव

54 - यशोधरा दासप्पा इस महान भारतीय स्वतन्त्रता कार्यकर्ता, गाँधीवादी, समाजसुधारक महिला क्रान्तिकारी का जन्म - बंगलोर में वोक्कालिगा परिवार में 28 मई 1905 को हुआ था। उनके पिता का नाम केएच रमैया था जो एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे। एक समृद्ध परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता बनने और भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला किया और भारत के स्वाधीनता संग्राम के साथ साथ कई आन्दोलनों में भाग लिया। उनकी शिक्षा लंदन मिशन स्कूल में पढाई के बाद मद्रास स्थित क्वीन मैरी कॉलेज से हुई थी। उनकी शादी जाने माने वकील एचसी दासप्पा से हुई।

यशोधरा दासप्पा ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के साथ साथ 1930 के दशक में हुए "वन सत्याग्रह" आन्दोलन में भाग लिया, जिसमें 1200से अधिक लोगों को कैद किया गया था। 25 अप्रैल 1938 को विदुराश्वथ के ग्रामीणों ने एक सत्याग्रह का आयोजन किया था, जिसके दौरान पुलिस ने उन पर गोलियाँ चलायीं, जिसमें 35 लोग मारे गए थे तथा यशोधरा दासप्पा को जेल भेज दिया गया। उन्होंने ऐसे कई सामाजिक आन्दोलनों में भाग लिया था। स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में उन्होंने महिलाओं को "सत्याग्रह आन्दोलन" के लिए प्रोत्साहित किया था। उनका घर भूमिगत सत्याग्रही गतिविधियों के लिए एक मिलन स्थल था। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आक्रामक भाषण दिए थे तथा हैमिल्टन के नाम पर एक इमारत का नाम रखने का फैसला किया जो स्वतन्त्रता आन्दोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्रूरता के लिए जाना जाता था। महात्मा गाँधी जी की अनुयायी होने के कारण उन्होंने हरिजनों के उत्थान के लिए भी काम किया। एक स्वतन्त्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में संघर्ष में उनका योगदान उल्लेखनीय था लेकिन बहुत से लोग स्वतन्त्रता आन्दोलन में उनकी भूमिका के बारे में नहीं जानते। उनके दो बेटे एक बेटी थी। देश की आज़ादी के बाद उनके पति देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की सरकार में मंत्री बने तथा छोटे बेटे तुलसीदास दासप्पा को चौधरी चरण सिंह जी की सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
यशोधरा दासप्पा जी एक भारतीय स्वतन्त्रता कार्यकर्ता और समाजसुधारक होने के साथ साथ भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के साथ भी राजनीतिक रूप से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने सन् 1962 एस.आर. कांथी एवम् 1969 निजलिंगप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक राज्य सरकारों में मंत्री के रूप में भी कार्य किया। एक वरिष्ठ मंत्री के रूप में सेवा करते हुए 1969 में उन्होंने कर्नाटक राज्य में शराबबंदी हटाने के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा देकर सुर्खियाँ बटोरी थीं। समाज में उनके अनेकों बहुमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 1972 में देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से उन्हें सम्मानित किया गया था। वे कर्नाटक में कैबिनेट मंत्री बनने वाली पहली महिला थीं। वे अपने जीवन के अन्त तक कर्नाटक एकीकरण और भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के लिए काम करती रही थीं। बंगलोर की फॉयरब्रांड यशोधरा दासप्पा जी का 1980 में निधन हो गया।

 आइए हम महान स्वतन्त्रता सेनानी और समाजसुधारक हमारी प्रेरणाश्रोत यशोधरा दासप्पा जी को याद करते हुए उन्हें प्रणाम करें! सादर शत शत नमन! सादर विनम्र श्रद्धान्जलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय!

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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।

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