हिन्दुस्तानियों में जोश भरने वाली आजादी की दीवानी गुलाब कौर : आजादी का अमृत महोत्सव
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज "यदि कोई अपने देश की आज़ादी के लिये हाथ आए सुअवसर से पीछे हटता है तो वह ये चूड़ियाँ पहनकर बैठ जाए। हम महिलायें उनके स्थान पर लड़ूँगी" इस उदबोधन से हिन्दुस्तानियों में दुगुना जोश भर देने वाली पंजाब की पहली महिला क्रान्तिकारी जिन्होंने अपनी मातृभूमि की आज़ादी के लिए पति के साथ अमेरिका जाने के लिए घर से निकली और मनीला (फिलीपीन्स) पहुँची वहाँ गदर पार्टी के क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आने के बाद अमेरिका जाने का सपना त्यागकर देश की आज़ादी के लिए गदर पार्टी के आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव
35 - गुलाब कौर इन्होंने फिलीपींस में भारतीय प्रवासियों को एकजुट किया और अपनी सुकूनभरी ज़िन्दगी के साथ साथ अपने पति का भी त्याग कर "गदर पार्टी" के क्रान्तिकारियों के साथ आज़ादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए भारत वापस लौट आयी थीं। पंजाब की जांबाज बेटी पंजाब की पहली महिला क्रान्तिकारी हैं - "गुलाब कौर" बीबी गुलाब कौर और गदरी गुलाब कौर के नाम से जानी जाने वाली महान क्रान्तिकारी महिला का जन्म - पंजाब के संगरूर जिला के बख्शीवाला गाँव के एक गरीब सिख परिवार में वर्ष 1890 को हुआ था। पिता एक गरीब किसान थे। उनका बचपन बहुत ही साधारण बीता था। छोटी सी उम्र में ही परिवार वालों ने उनका विवाह मानसिंह नामक युवक से कर दिया। उस वक्त पंजाब में निम्न वर्ग मज़दूर और किसान अँग्रेजों की हिंसा और क्रूरता से थक चुके थे। ब्रिटिश नीतियों के कारण अपनी खेती और जमीनों को भी खो चुके थेे। जिस कारण रोजी रोटी के लिए विदेशों की तरफ पलायन करने पर मजबूर थे।गुलाब कौर और उनके पति मानसिंह ने भी एक बेहतर भविष्य की कल्पना कर अमेरिका जाने का विचार बनाया और घर से अमेरिका जाने के लिए निकले। वे मनीला (फिलीपीन्स) पहुँचे। संसाधन सीमित होने के कारण उन्होंने सोचा कि यहीं रहकर पहले कुछ धन कमा लें फिर अमेरिका जायेंगे और मनीला में ही रहने लगे। मनीला में रहने के दौरान गुलाब कौर ने उपमहाद्वीप को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से सिख व पंजाबियों द्वारा स्थापित "गदर पार्टी" नामक संगठन की मनीला शाखा में एक लोकप्रिय देशभक्त हाफिज अब्दुल्ला के नेतृत्व में काफी सक्रिय थीं। ये गदर पार्टी की सभाओं में भाग लेने लगीं। उस दौरान हाफिज अब्दुल्ला, बाबा हरनाम सिंह और बाबा बंता सिंह आदि क्रान्तिकारियों ने उन्हें काफी हद तक प्रेरित किया। उनकी बातों से गुलाब कौर बहुत प्रभावित हुई और भारत से अँग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिए गदर पार्टी के आन्दोलन में शामिल हो गयींं। गुलाब कौर को भी पार्टी के काम सौंपे जाने लगे। जिनमें उन्होंने अपनी क्षमता और योग्यता साबित की तथा गदर पार्टी की मुख्य आयोजकों में से एक बन गयीं। फिर गुलाब कौर को पार्टी की प्रिंटिग प्रेस का महत्वपूर्ण काम सौंपा गया और एक पत्रकार का कार्ड भी दिया गया तो गुलाब कौर ने न केवल प्रिंटिंग प्रेस की देखभाल की बल्कि पत्रकार की भूमिका निभाते हुए उन्होंने गदर पार्टी के क्रान्तिकारियों के लिए गुप्त रूप से हथियार पहुँचाने का ज़ोखिम भरा काम भी किया था। उन्होंने भारतीय प्रवासियों को संगठित करने के लिए पूरे फिलीपीन्स की यात्रा की और पार्टी के लिए हथियार और पैसा भी इकट्ठा किया था। इन सबके साथ वह लोगों को पार्टी से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहीं। गदर पार्टी की मनीला शाखा का विस्तार काफी तेजी से हुआ था और अब लक्ष्य था देश को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद कराने के लिए अपने देश भारत वापस लौटना। इसके लिए वहाँ गुरूद्वारा साहिब में गदरियों की बैठक हुई और भारत जाने की तारीख तय हुई।आइये ऐसी बहादुर देश प्रेम से ओत प्रोत भारत की जाबांज बेटी को प्रणाम करें! उनसे प्रेरणा लें! सादर शत शत नमन! भावभीनी श्रद्धांजलि! जय हिन्द! जय भारत! वन्दे मातरम! भारत माता जी की जय।
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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।