हटा दिए गये यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल, इन चार नामों की चर्चा

                            (विशाल मोदी) 

लखनऊ। यूपी के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी मुकुल गोयल को योगी सरकार ने पद से हटा दिया है। उन पर शासन के कामों में लापरवाही और क्राइम कंट्रोल न कर पाने का आरोप लगा है। गोयल को सिविल डिफेंस का डीजी बनाया गया है। शामली के रहने वाले मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं और एक जुलाई को यूपी पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। अखिलेश यादव के शासन में मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर रहे हैं। नए अफसर के चयन तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार डीजीपी का काम संभालेंगे।

मुकुल गोयल को 30 जून, 2021 को डीजीपी नियुक्त किया गया था। मुकुल गोयल गेलेंट्री अवार्ड और ग्रह मंत्रालय से अति उत्कृष्ट सेवा पदक सहित कई अवॉर्ड भी प्राप्त कर चुके हैं। मुकुल गोयल इसके पहले केंद्र में तैनात थे। यूपी चुनाव से पहले उनको उत्तर प्रदेश लाया गया था। मगर, योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के दो महीने बाद ही उन्हें हटा दिया गया। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी उनके काम से खुश नहीं थे। यही वजह है कि मुकुल गोयल को हटाने की काफी समय से यह चर्चा चल रही थी। दरअसल, यूपी में आपराधिक घटनाएं बढ़ने को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। 22 फरवरी, 1964 को मुजफ्फरनगर के शामली में जन्मे मुकुल गोयल आईआईटी, दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक हैं। उन्होंने एमबीए भी किया है। 1987 में आईपीएस बनने के बाद मुकुल गोयल की पहली तैनाती बतौर एडिशनल एसपी नैनीताल में हुई थी। उस समय यूपी और उत्तराखंड एक था। प्रोबेशन पीरियड खत्म करने के बाद एसपी सिटी बरेली के तौर पर उनकी नियुक्त हुई।
चर्चा है कि नया डीजीपी दिल्ली से आ सकता है। हालांकि वरिष्ठता के आधार पर डीजीपी बनने की रेस में 4 आईपीएस के नाम हैं। इनमें आरपी सिंह, जीएल मीणा और आरके विश्वकर्मा और डीएस चौहान शामिल हैं। डीएस चौहान अभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। अभी उनका कार्यकाल 3 साल बाकी है।
बतौर कप्तान मुकुल गोयल का पहला जिला अल्मोड़ा था। अल्मोड़ा के बाद वह लगातार कई जिलों के कप्तान रहे। इनमें जालौन, मैनपुरी, आजमगढ़, हाथरस, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मेरठ शामिल हैं। वह 2004 में आगरा कानपुर बरेली लिए रेंज के डीआईजी रहे। यहां से वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। उन्हें डीआईजी आईटीबीआई बनाया गया था। 2009 में IG के पद पर प्रमोट होने के बाद उनके पास एनडीआरएफ और सिविल डिफेंस की जिम्मेदारी आ गई। यूपी चुनाव, 2022 से पहले मुकुल गोयल को यहां भेजा गया था। वर्ष 2000 में मुकुल गोयल सहारनपुर में एसएसपी थे। वहां भाजपा नेता निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई। इसके बाद मुकुल गोयल को सस्पेंड कर दिया गया था। आरोप लगा था कि निर्भय पाल ने जान-माल अंदेशा जताते हुए मदद मांगी थी। लेकिन समय पर पुलिस नहीं पहुंची। साल 2005-06 में कथित पुलिस भर्ती घोटाले में 25 आईपीएस अधिकारियों के नाम सामने आए थे, उनमें एक मुकुल गोयल भी थे।

           हाईकोर्ट में दायर थी याचिका

डीजीपी नियुक्त होने के बाद मुकुल गोयल के खिलाफ हाईकोर्ट ने मामला दर्ज कराया गया था। हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि मुकुल गोयल पर 2005 - 06 में यूपी पुलिस भर्ती में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस मामले में उनके खिलाफ लखनऊ के महानगर थाने में केस भी दर्ज हुआ था। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस मामले में 2007 में तत्कालीन राज्य सरकार ने जांच के आदेश भी दिए थे। तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह ने केस की जांच एंटी करप्शन डिपार्टमेंट को सौंपी थी। इस केस में 23 फरवरी 2018 को गृह मंत्रालय में आईपीएस सेक्शन सचिव मुकेश साहनी ने भ्रष्टाचार की जांच के लिए यूपी के तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह को पत्र भी लिखा था।

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