महान वीरांगना दुर्गा भाभी : आजादी का अमृत महोत्सव
!! देश की आज़ादी के 75 वर्ष !!
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" में आज मैं बात कर रही हूँ भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी भारत की आयरन लेडी की। जिन्होंने देश की आज़ादी के लिये ब्रिटिश सरकार को देश से बाहर खदेड़ने के लिये सशस्त्र क्रान्ति में सक्रिय भूमिका निभाई। तारकेश्वर टाईम्स भारत की स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव में पचहत्तर वीरांगनाओं के जीवन चरित्र प्रकाशित कर रहा है। प्रस्तुति - शान्ता श्रीवास्तव
13 - "दुर्गा देवी बोहरा" उर्फ - (दुर्गा भाभी) - देश की आज़ादी के लिये अपने क्रान्तिकारी जीवन में अपने प्राणों को खतरे में डालकर अँग्रेजी सरकार में गवर्नर पर गोली चलाने व पुलिस कमिश्नर को गोली मारने जैसे कई बड़े काम करने वाली दुर्गा भाभी का जन्म - 07 अक्टूबर 1907 को उत्तर प्रदेश के शहजादपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम- पंडित बाँके बिहारी था। मात्र 11साल की उम्र में ही इनकी शादी लाहौर निवासी भगवती चरण बोहरा से हो गयी। भगवती चरण बोहरा के पिता - शिवचरण बोहरा रेलवे में उच्च पद पर आसीन थे। अँग्रेजी सरकार ने उन्हें "राय साहब" की पदवी दी थी। पिता के प्रभाव से दूर भगवती चरण का क्रान्तिकारियों से मिलना जुलना था। उनका संकल्प देश को अँग्रेजी दासता से मुक्त कराना था। वे क्रान्तिकारी संगठन के प्रचार सचिव थे। शादी के बाद दुर्गा देवी पति का सहयोग करने लगी। जब भगवतीचरण ने बीए पास की और दुर्गा देवी ने प्रभाकर पास किया तो दुर्गा देवी के ससुर शिवचरण ने चालीस हजार रूपये और दुर्गा देवी के पिता - बाँकेबिहारी ने पाँच हजार रूपये संकट की घड़ी में काम आने के लिये दोनों पति पत्नी को दिये थेे। लेकिन इन दम्पति ने क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर देश की आज़ादी के लिये इन पैसों का उपयोग किया था। सन - 1920 में पिता - शिवचरण जी की मृत्यु के बाद भगवतीचरण बोहरा और उनकी पत्नी दुर्गा देवी दोनों पति पत्नी खुलकर क्रान्तिकारियों का साथ देने लगे और "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" के सदस्य बन गये। इस एसोसिएशन के सभी सदस्य उनके घर आते जाते थे। दुर्गा देवी सभी का आदर करतीं स्नेहपूर्वक सभी का सेवा सत्कार करतीं, इसलिये सभी क्रान्तिकारी इन्हें "भाभी" कहने लगे। धीरे धीरे इनका घर क्रान्तिकारियों का "आश्रय स्थल" हो गया और दुर्गा देवी "दुर्गा भाभी" के नाम से प्रसिद्ध हो गयीं। मार्च 1926 में दुर्गा भाभी के पति भगवतीचरण और महान क्रान्तिकारी भगत सिंह ने संयुक्त रूप से "नौजवान भारत सभा" का प्रारूप तैयार किया और रामचन्द्र कपूर के साथ मिलकर इसकी स्थापना की। सैकड़ों नौजवानों ने देश को आज़ाद कराने के लिये अपने प्राणों का बलिदान वेदी पर चढाने की शपथ ली।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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शान्ता श्रीवास्तव वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ये बार एसोसिएशन धनघटा (संतकबीरनगर) की अध्यक्षा रह चुकी हैं। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद एवं जनहित भूख हड़ताल भी कर चुकी हैं। इन्हें "महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, कन्या शिक्षा, नशामुक्त समाज, कोरोना जागरूकता आदि विभिन्न सामाजिक कार्यों में योगदान के लिये अनेकों पुरस्कार व "जनपद विशिष्ट जन" से सम्मानित किया जा चुका है।