फ्लू जैसी बन जाएगी कोरोना की स्थिति

 

                             (प्रशांत द्विवेदी) 

 नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दो साल बीत चुके हैं। अब इसका कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट ने दुनियाभर में चिंता बढ़ा दी है। जितनी तेजी से यह वैरिएंट लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है और कई देशों में रिकार्ड मामले सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए चिंता स्वाभाविक भी है। हालांकि इसके तेज संक्रमण के साथ-साथ आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि ओमिक्रोन का संक्रमण बहुत ज्यादा घातक नहीं है। जितनी तेजी से लहर फैल रही है, उतनी ही तेजी से इसका ढलान भी दिख रहा है। विज्ञानियों का एक वर्ग यह भी मान रहा है कि ओमिक्रोन ही महामारी के अंत का कारण बनेगा।

   फ्लू जैसी बन जाएगी स्थिति

 टीकाकरण ने ओमिक्रोन के संक्रमण को गंभीर होने से रोकने में कारगर भूमिका निभाई है। संक्रमण के बहुत कम मामले ही गंभीर हो रहे हैं। अमेरिका के सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने संक्रमित लोगों के लिए क्वारंटाइन की अनिवार्यता को घटाकर पांच दिन कर दिया है। ओमिक्रोन के संक्रमण से शरीर में बनी एंटीबाडी डेल्टा और पिछले अन्य वैरिएंट के खतरे से बचाती है। यह भी अच्छा संकेत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ समय बाद वायरस व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा शक्ति, टीके व अन्य संक्रमण के आधार पर लोगों के लिए सामान्य सर्दी-जुकाम जैसा बनकर रह जाएगा। कुछ लोगों में यह घातक भी हो सकता है, जैसा फ्लू के मामले में भी संभव है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इम्युनोलाजिस्ट अली एलबेडी कहते हैं, ‘अब लोग 2019 जैसे नहीं हैं। अब स्थिति बदल गई है। बड़ी आबादी ने संक्रमण का सामना कर लिया है। मनुष्य के शरीर की बड़ी खूबी है कि वह पिछले संक्रमणों को याद रखता है। महामारी ने जब हमला किया था तब किसी सूखे के मौसम में लगी जंगल की आग जैसी स्थिति थी। अब उस तरह का सूखा नहीं है। अब आग उतनी नहीं फैलेगी।’

 अमेरिका के येल स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के डा. अल्बर्ट को कहते हैं, ‘ओमिक्रोन इस बात की चेतावनी है कि यदि हम सतर्क नहीं हुए तो क्या हो सकता है। यह सच है कि कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं होगा।’ विज्ञानी यह भी मानते हैं कि एक स्थिति ऐसी आएगी जब संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने या जान जाने के मामले बहुत कम हो जाएंगे और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसे महामारी की श्रेणी से बाहर कर देगा। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि किस स्तर पर डब्ल्यूएचओ ऐसा फैसला करेगा।

जल्द मिल सकती है ओमिक्रोन केंद्रित वैक्सीन

शुरुआती शोध बताते हैं कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन के मामले में कम एंटीबाडी बना रहे हैं। इसलिए विज्ञानियों के समक्ष ज्यादा कारगर टीका विकसित करने की चुनौती है। बढ़ते संक्रमण के बीच करीब दर्जनभर कंपनियां खास इस वैरिएंट को ध्यान में रखकर वैक्सीन बनाने में जुट गई हैं। इस दौड़ में फाइजर, बायोएनटेक, माडर्ना, भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, सिनोफार्म, साइनोवेक, गेमेलिया, नोवावैक्स, एस्ट्राजेनेका व कुछ अन्य कंपनियां शामिल हैं। उम्मीद है कि जल्द ही ओमिक्रोन के खिलाफ कारगर वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। भारत में इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी नए वैरिएंट पर कोवैक्सीन और कोविशील्ड का असर जांचने के लिए शोध शुरू कर दिया है।

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