यूपी में सात चरणों में होंगे चुनाव, अधिसूचना जारी

                            (संजीव पाण्डेय) 

लखनऊ । निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव तय समय पर ही होंगे। मतदाता सूची भी जारी हो चुकी है। सभी चुनावी राज्यों में सियासी हलचलें तेज हैं। सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश चुनाव की है। 403 विधानसभा सीट वाले इस प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राजनीतिक बयानबाजी से नेता एक - दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।

 उत्तर प्रदेश में 2022 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से चुनाव की शुरुआत हो रही है और 7 फरवरी तक चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होंगे और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। यूपी चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही उत्तर प्रदेश में आदर्श चुनाव सहिंता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैै। चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि राज्य में आदर्श आचार संहिता (Code of Conduct in UP) लागू हो गई है। राज्य में स्वतंत्र चुनाव के लिए आचार संहिता (Model Code of Conduct) का पालन करना सभी राजनैतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। वर्ष 2017 में 4 जनवरी को चुनाव की घोषणा हो गई थी और 36 दिनों बाद यानी 11 फरवरी से 8 मार्च तक सात चरणों में वोटिंग हुई थी। 

   उत्तर प्रदेश चुनाव का पूरा कार्यक्रम

पहला चरण - 10 फरवरी, दूसरा चरण - 14 फरवरी, तीसरा चरण - 20 फरवरी, चौथा चरण - 23 फरवरी, पांचवां चरण - 27 फरवरी, छठां चरण - 3 मार्च, सातवां चरण - 7 मार्च 

अब उत्तर प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, तो राजनीतिक दल से लेकर आम मतदाता तक को भी इसका पालन करना होगा। आदर्श आचार संहिता के तहत कई नियम हैं, जिनका पालन जरूरी होता है। साथ ही नियम तोड़ने वालों को लिए सजा का भी प्रावधान है। आचार संहिता के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जो कई तरह की हो सकती हैं।

           क्या है आचार संहिता

दरअसल, देश अथवा राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। आदर्श आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक पार्टियों में होने वाले मतभेदों को रोकना, सार्वजनिक धन के प्रयोग को रोकना, निष्प्क्ष चुनाव कराना और शांति व्यवस्था को बनाए रखना होता है। चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न हो सके इसके लिए कड़े नियम और कानून मौजूद हैं। आचार संहिता के नियमों के तहत ही चुनाव को निष्पक्ष कराया जाता है और इसकी जिम्मेवारी पूरी तरह से चुनाव आयोग पर ही होती है।

     आदर्श आचार संहिता में पाबंदियां

1 - सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद, 2 - नए कामों की स्वीकृति बंद, 3 - सरकार की उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स नहीं लगेंगे, 4 - संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में नहीं होंगे शासकीय दौरेे, 5 - सरकारी वाहनों में नहीं लगेंगे सायरन, 6 - सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स हटाए जाएंगे, 7 - सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों के फोटो निषेध रहेंगे, 8 - सरकार की उपलब्धियों वाले प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे, 9 - किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन से बचें. ना दें, ना लें, 10 - सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर खास खयाल रखें क्योंकि आपकी एक पोस्ट आपको जेल भेजने के लिए काफी है।

          आम आदमी पर भी लागू

कोई आम आदमी भी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर भी आचार संहिता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसका आशय यह है कि अगर आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं तब भी आपको इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा। अगर कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी। ज्यादातर मामलो में आपको हिरासत में लिया जा सकता है।

राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। चुनाव आचार संहिता चुनाव आयोग के बनाए वो नियम हैं, जिनका पालन हर पार्टी और हर उम्मीदवार के लिए जरूरी है। इनका उल्लंघन करने पर सख्त सजा हो सकती है। चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है। एफआईआर हो सकती है और उम्मीदवार को जेल भी जाना पड़ सकता है।

                  ये काम हैं वर्जित

चुनाव के दौरान कोई भी मंत्री सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यहां तक कि कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। केंद्र सरकार हो या किसी भी प्रदेश की सरकार, न तो कोई घोषणा कर सकती है, न शिलान्यास, न लोकार्पण कर सकते हैं। सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन भी नहीं किया जाता है, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। इस पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।

         थाने में देनी होती है जानकारी

उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है। इसकी जानकारी निकटतम थाने में भी देनी होती है। सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को देना होती है।

कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े और घृणा फैले। मत पाने के लिए रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना भारी पड़ सकता है। व्यक्तिगत टिप्पणियां करने पर भी चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है।

     शराब या पैसे देने की मनाही

किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार या भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकता। मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक लग जाती है। पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं की जाएगी। चुनाव के दौरान यह माना जाता है कि कई बार कैंडिडेट्स शराब वितरित करते हैं, इसलिए कैंडिडेट्स द्वारा वोटर्स को शराब का वितरण आचार संहिता में एकदम मना है।

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