गोरखपुर : सरकारी जमीनों को जियो टैगिंग व फोटोग्राफी कराकर किया जाएगा सुरक्षित

                          (विशाल मोदी) 

गोरखपुर। नजूल एवं सील‍िंग से जुड़ी सरकारी जमीन को सुरक्षित एवं कब्जामुक्त रखने के लिए जिला प्रशासन विशेष कार्ययोजना बना रहा है। जिले में सरकारी सभी जमीन चिह्नित कर उसकी फोटोग्राफी एवं जियो टैग‍िंंग कराई जाएगी। इसके बाद रिकार्ड सुरक्षित रखा जाएगा। किसी तरह की शिकायत आने पर प्रशासन आसानी से जमीन के बारे में विवरण जान सकेगा। यही नहीं, जमीन पर नए कब्जे के बारे में भी पता चल सकेगा और कब्जा करने वालों का दावा आसानी से खारिज हो जाएगा।

सदर तहसील के महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन एवं चौरीचौरा तहसील में खोराबार क्षेत्र के रुद्रापुर में करीब 400 एकड़ से अधिक सीलिंग की जमीन है। झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन में करीब 33 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन बेची जा चुकी है। रुद्रापुर में भी बड़े पैमाने पर निर्माण कराया जा रहा है। मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य रुकवाने का निर्देश दिया था। इसी के बाद सीलिंग की जमीन की सुरक्षा को लेकर कार्ययोजना बनाने का काम भी शुरू हो गया।

    लेखपालों को देना होगा प्रमाण पत्र

लेखपालों को इस बात का प्रमाण पत्र देना होगा कि उनके क्षेत्र में सरकारी जमीन पर किसी प्रकार का कब्जा नहीं है।

सील‍िंग एवं नजूल की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए जमीन की फोटोग्राफी के साथ जियो टैग‍िंग भी होगी। तहसील अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। - विजय किरन आंनद, जिलाधिकारी

 झांसा देकर 2.65 करोड़ की जालसाजी

जमीन देने का झांसा देकर बसेरा इन्फ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ज्ञान प्रकाश मणि से जालसाजों ने 2.65 करोड़ रुपये ले लिए। एसएसपी के आदेश पर शाहपुर पुलिस आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है। एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में ज्ञान प्रकाश ने लिखा है कि शाहपुर में मल्टी स्टोरी बिङ्क्षल्डग बनवाने के लिए उन्होंने सालिकराम निवासी रामचंद्र सोनकर, उनके भाई हरिनाल सोनकर, दिनेश सोनकर, विपिन सोनकर और सुनीता से संपर्क किया। एग्रीमेंट होने पर 1.20 करोड़ रुपये दे दिए। जमीन पर कब्जा मिलने के बाद उन्होंने भूखंड पर चहारदीवारी बनवा दी और 50 लाख रुपये अन्य मद में खर्च हो गए।

दिसंबर 2018 में नक्शा स्वीकृत करने के लिए आवेदन हुआ, लेकिन नक्शा स्वीकृत नहीं हो पाया। नक्शा निरस्त होने पर आरोपितों ने ब्लैकमेल करके 25 लाख रुपये और ले लिए। काफी प्रयास के बाद जनवरी 2021 में नक्शा स्वीकृत करने के लिए दिए गए आवेदन में रामचंद्र और अन्य लोगों ने जीडीए में अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए हस्ताक्षर कर दिया, लेकिन इसके बाद फिर पूरी जमीन पर कब्जा नहीं दिया गया। बाद में मेरे कर्मचारियों से मारपीट शुरू कर दी। आरोप है कि अब उनसे 50 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। शाहपुर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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