पाक के ग्वादार में जन आंदोलन चीन के लिए भी सिरदर्द

                         (विशाल मोदी) 

 पाकिस्तान के ग्वादार में चल रहा जन आंदोलन पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ चीन के लिए भी बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। गुरुवार 18वां दिन था, जब ग्वादार में हजारों लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। ये लोग पीने के साफ पानी और ट्रॉलर माफिया को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन की कमान ‘ग्वादार को हकूक दो तहरीक’ नाम के संगठन के हाथ में है। खबरों के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों में ग्वादार के अलावा तुरबत, पिश्कान, जामरान, बुलेदा, ओरमारा और पासनी के निवासियों ने भी भाग लिया है।

ग्वादार को हकूक दो तहरीक का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी के नेता मौलाना हिदायतुर रहमान के हाथ में है। रहमान ने कहा है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा। उधर बलूचिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री जहूर अहमद बुलेदी ने कहा है कि राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा करने दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की मांग जायज है, इसलिए उनके नेता से राज्य सरकार ने तीन बार बातचीत भी की है।
ग्वादार में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव योजना के तहत बंदरगाह का निर्माण हो रहा है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसी निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों के जल स्रोत गंदे हो गए हैं। ट्रॉलर माफिया का उदय भी इसी दौरान वहां हुआ है। इसलिए कई रिपोर्टों में यह बताया गया था कि ग्वादार के पूरे इलाके में चीन विरोधी भावना है, जिसका इजहार आंदोलन के दौरान भी हुआ है। इन खबरों से चिंतित चीन ने इस बारे में औपचारिक खंडन जारी किया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मंगलवार को अपनी प्रेस वार्ता में आरोप लगाया था कि कुछ मीडिया घराने चीन - पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर और चीन-पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर दुर्भावनापूर्ण प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि चीनी परियोजना में स्थानीय विकास और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना अनिवार्य रूप से शामिल है। लेकिन बलूचिस्तान के योजना मंत्री बुलेदी ने यह स्वीकार किया है कि ग्वादार इलाके में गैर कानूनी ढंग से मछली मारने और इसमें ट्रॉलर के इस्तेमाल का धंधा चल रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने आठ ट्रॉवर्स को जब्त किया है। उन्होंने कहा कि ट्रॉवर्स के बारे में बलूचिस्तान सरकार ने सिंध प्रांत की सरकार से बातचीत की है।
आंदोलन के नेता रहमान ने पाकिस्तान के अखबार द डॉन से बातचीत में आरोप लगाया कि ग्वादार बंदरगाह का उद्घाटन सबसे पहले 2002 में हुआ था। जब इसे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) परियोजना का हिस्सा बनाया गया, तब फिर से इसका उद्घाटन हुआ। तब ग्वादार के लोगों से वादा किया गया था कि इस परियोजना से उनकी और पाकिस्तान की जनता की जिंदगी बदल जाएगी। रहमान ने कहा- ‘लेकिन आज ग्वादार के निवासियों के पास न तो पानी है, न बिजली, न ही शिक्षा, इलाज या रोजगार के अवसर उन्हें मिले हैं। सीपीईसी परियोजना का एक पैसा भी ग्वादार पर खर्च नहीं हुआ। उसके बदले हमें सिर्फ लाशें मिली हैं।’

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