हिंदू धर्म के पुनर्जन्म की प्रमुख शक्ति थे स्वामी विवेकानंद : अनूप खरे

 

                            (विशाल मोदी) 

 बस्ती (उ.प्र.) । स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो यात्रा के 128 वीं वर्षगांठ पर सी एम एस विद्यालय में स्वामी जी के चित्र पर प्रबंधक अनूप खरे प्रधानाचार्या नूपुर त्रिपाठी पूर्व मंडल अध्यक्ष अभिषेक राजभर एवं शिक्षकों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अनूप खरे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद समकालीन भारत में हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म की प्रमुख शक्ति थे।

इस अवसर पर प्रबंधक अनूप खरे ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को 1863 में हुआ था और 1902 में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे श्री रामकृष्ण परमहंस के महान अनुयायी थे। उनके जन्म के समय उन्हें नरेंद्रनाथ दत्ता का नाम दिया गया और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की नींव रखी। उन्होंने अमेरिका और यूरोप में वेदांत और योग जैसे हिंदू दर्शन की नींव रखी।
श्री खरे ने कहा कि स्वामी जी ने 19वीं शताब्दी के अंत में हिंदू धर्म के अनुसार विश्व धर्म की स्थिति पर काम किया। समकालीन भारत में हिंदू धर्म के पुनर्जन्म में उन्हें एक प्रमुख शक्ति के रूप में माना जाता है। उन्हें मुख्यतः "सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ़ अमेरिका" पर दिए उनके प्रेरणादायक भाषण के लिए सबसे अच्छी तरह से याद किया जाता है। इसके बाद ही वे 1893 में शिकागो में विश्व धर्मों की संसद में हिंदू धर्म को पेश करने में सक्षम हो सके।
प्रधानाचार्य नूपुर त्रिपाठी ने बताया कि उनका जन्म कलकत्ता के शिमला पाली में हुआ था। प्रारंभ में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता रखा गया था। विनम्र पृष्ठभूमि उन्हें विरासत में मिली थी, जहां उनके पिता कलकत्ता के उच्च न्यायालय में एक वकील थे। इस अवसर पर कोऑर्डिनेटर सोनिल मिश्रा, संध्या त्रिपाठी, सुषमा श्रीवास्तव, दीपक नायक, मोहम्मद आलम, हरेंद्र पांडेय, सूरज श्रीवास्तव, स्मिता अस्थाना, विमला सिंह, शशि कला सिंह एवं प्रिया गुप्ता आदि शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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