सेक्सटेक क्रांति, बढ़ रही सेक्स ट्वायज की बिक्री

 

                      (विशाल मोदी) 

कल्पना करिए कि आपके पास कोई पालतू जानवर हो और उसमें आपकी तरह दिमाग हो। वह बोल पाए और आप उससे अपनी सेक्स लाइफ के बारे में सवाल पूछें। तो कैसा और क्या जवाब मिलेगा? जवाब शायद कुछ ऐसा होगा - 

ये बेहूदे इंसान महीने में किसी भी दिन सेक्स करने लगते हैं। बारबरा उस रोज भी सेक्स के लिए उतावली रहती है, जब उसके गर्भवती होने की उम्मीद नहीं होती। पीरियड खत्म होने के तुरंत बाद भी। और जॉन की तो पूछिए ही मत, वह तो हर वक्त सेक्स के ही चक्कर में रहता है। उसे भी इसकी फिक्र नहीं रहती कि इससे बच्चा होने की संभावना बनेगी या नहीं। अगर आपको वाकई इन लोगों की सबसे बकवास हरकत के बारे में जानना हो तो बता दूं कि बारबरा जब प्रेग्नेंट थी, तब भी जॉन उनके साथ सेक्स करता रहा। एक अजीब बात यह है कि दोनों को जब भी सेक्स करना होता है, वे कमरे में बंद हो जाते हैं। अगर उनमें वाकई आत्म-सम्मान होता तो उन्हें यह काम अपने दोस्तों के सामने करना चाहिए, जैसे कि कोई भी स्वाभिमानी कुत्ता करता है।

ये लाइनें जाने-माने लेखक जेरेड डायमंड की किताब ‘वाय इज सेक्स फनः इवॉल्यूशन ऑफ ह्यूमन सेक्शुअलिटी’ की हैं। वह यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इंसान के अलावा सारे जीव सिर्फ संतान उत्पति के मकसद से सेक्स करते हैं। इन जीवों में सिर्फ इंसान का सेक्शुअल बिहेवियर ही अलग है। उसके लिए सेक्स अपने वंश को आगे बढ़ाने के साथ मजे की भी चीज है। सेक्स में मजे की तलाश ! तो कुदरत ने इंसानों को कभी भी सेक्स करने की जो आजादी बख्शी है, क्या वाकई लोग उसका फायदा उठाकर मौज-मजा कर रहे हैं? क्या वे इससे खुश हैं? सेक्स सर्वे में अक्सर दावा किया जाता है कि ज्यादातर दंपती की सेक्सुअल लाइफ बोरिंग है। वे लंबे गैप के बाद सेक्स करते हैं। यह उनके लिए फन नहीं रहा।

रिसर्च से यह बात भी सामने आई है कि सुखी दंपती वही है, जो सेक्स को लेकर नए प्रयोग करता है। इंसान की कुछ नया करने और अधूरी चाहतों को पूरा करने की ख्वाहिश से एक नया उद्योग पनप रहा है। यह उद्योग है सेक्सटेक यानी वैसी नई तकनीक का, जिनसे यौन सुख बढ़ता हो। इसमें सेक्स टॉयज सबसे कॉमन हैं। मुमकिन है आपने इनके बारे में सुन रखा हो। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि भारत में लॉकडाउन के दौरान सेक्स टॉयज की बिक्री में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 

पिछले दो दशक में तकनीक ने हमारी जिंदगी के हर पहलू को छुआ है। इसमें सेक्स भी शामिल रहा है। अगर आप सेक्सटेक में अब तक हुए इनोवेशन से हैरान हैं तो आने वाला वक्त तो आपके होश उड़ा सकता है। यहां कई नई दिलचस्प खोज की जा रही है, जिससे यौन सुख और भी बढ़े और वह असल जिंदगी की तरह के अहसास दे पाए। इस सिलसिले में मैं उस तकिये के बारे में आपको बताना चाहूंगा, जिसमें आपके पार्टनर की दिल की धड़कनें ट्रांसफर की जा सकती हैं। फर्ज कीजिए कि आप दिल्ली में हैं और आपकी पत्नी या प्रेमिका मुंबई में। तो आपके पार्टनर की धड़कनों वाला तकिया उस दूरी को मिटा देगा। जब आप उस पर सिर रखकर सोएंगे, तो आप उनकी धड़कनें सुन सकेंगे।

यौन सुख के लिए कुछ लोग सेक्स डॉल का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसका चलन खासतौर पर इधर विदेश में बढ़ा है। वहां इसके वेश्यालय तक खुलने लगे हैं। सेक्स डॉल में एक कमी है कि वह आपकी हरकतों के बदले रिएक्ट नहीं करती। इसलिए इनके साथ वास्तविक सेक्स जैसा अहसास नहीं होता। इस कमी को दूर करने के लिए सेक्सटेक इंडस्ट्री सेक्स रोबोट बनाने की कोशिश में है। ये आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर आधारित होंगे, जो इंसानों से बात करेंगे, बिल्कुल उनकी तरह। आपकी हरकतों पर जवाबी हरकत करेंगे। आप इन्हें अपनी पसंद के हिसाब से बनवा सकेंगे। चाहें तो बिल्कुल इंसानों की तरह के रोबोट आप बनवा सकते हैं। इन सेक्स रोबोट के अंदर हीटर लगे होंगे। यानी आप जब उन्हें छुएंगे तो आपको गर्माहट का अहसास होगा। कुछ उसी तरह से, जैसे सेक्शुअल पार्टनर की स्किन छुने पर होता है।

स्पर्श इंसान की एक बड़ी जरूरत है। स्किन जब स्किन से मिलती है तो ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है। इससे हम दूसरे शख्स से जुड़ाव महसूस करते हैं। हमें तसल्ली और सुकून मिलता है। क्या सेक्स रोबोट के त्वचा सहलाने पर ऑक्सिटोसिन रिलीज होगा? साइंस के पास अभी इस सवाल का जवाब नहीं है, लेकिन उसने ऑर्गेजम यानी चरम सुख तक पहुंचने का रास्ता तलाश लिया है। यह काम इलेक्ट्रोड्स इंप्लांट से होगा। इन इलेक्ट्रोड्स को रीढ़ की हड्डी के पास इंप्लांट किया जाएगा। इससे बस एक बटन दबाकर चरम सुख पाया जा सकता है। यह तकनीक खासतौर पर डिसएबल औरतों के काफी काम की हो सकती है, जो क्लाइमेक्स तक नहीं पहुंच पातीं। हम अपने तजुर्बे से यह भी जानते हैं कि तकनीक दोधारी तलवार की तरह होती है। यानी यह फायदे के साथ नुकसान भी लेकर आती है। इस तकनीक से ऐसा हो सकता है कि लोग पूरी यौन प्रक्रिया के बजाय सीधे क्लाइमेक्स तक पहुंचना चाहें।

अगर आपको लग रहा है कि ऐसी तकनीक से तो आज की दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी तो जरा ठहरिए। अभी आपका ध्यान उस सेक्सटेक की ओर नहीं गया है, जो जबरदस्त खलबली मचाने जा रही है। वह तकनीक है वर्चुअल रिएलिटी। जिसका जिक्र अब तक आप कंप्यूटर गेम के सिलसिले में सुनते आए होंगे। इंसानों की सेक्स लाइफ और फिर सोशल लाइफ पर इसका बहुत अधिक असर हो सकता है।

असल में, सेक्स के साथ फैंटेसी भी जुड़ी है और उनके पूरा न होने का अफसोस भी। वर्चुअल रिएलिटी में किसी भी इंसान की सारी फैंटेसी पूरी होगी। इसकी मदद से आप अपनी सारी यौन इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। वैसी इच्छाएं भी, जिनका आप अपने पार्टनर के सामने इजहार करने तक से हिचकते हैं। जिन्हें आप किसी के साथ शेयर नहीं करते, लेकिन पॉर्न सर्च करते वक्त गूगल के साथ शेयर करने में आपको कोई हिचक नहीं होती। वर्चुअल रिएलिटी पार्टनरों के बीच हजारों मील की दूरी भी मिटा देगी। जिस पत्नी को आप दिलोजान से चाहते हैं और वह आपका साथ छोड़कर दुनिया से चली गई हो, तो वर्चुअल रिएलिटी उसे भी आपकी एकदम निजी दुनिया का हिस्सा बना सकती है। इस तकनीक की मदद से आप खुद को अपने पसंदीदा फिल्म स्टार में बदल सकते हैं। उनके जैसा फिजिक और 8 पैक्स ऐब्स पा सकते हैं।

सोशल साइकोलॉजिस्ट और इंडियाना यूनिवर्सिटी के किन्जी इंस्टिट्यूट के रिसर्च फेलो जस्टिन लेमिलर सेक्शुअल बिहेवियर को स्टडी कर रहे हैं। उन्होंने ‘टेल मी वाट यू वॉन्ट: द साइंस ऑफ सेक्सुअल डिजायर एंड हाउ इट कैन हेल्प यू इंप्रूव योर सेक्स लाइफ’ नाम की किताब भी लिखी है। जस्टिन का कहना है कि वर्चुअल रिएलिटी से लोगों को अपनी सेक्शुअलिटी एक्सप्लोर करने में मदद मिलेगी। उन्हें लगता है कि इससे पत्नी या प्रेमिका या पति को धोखा देने के मामले भी कम होंगे। जस्टिन के मुताबिक, जब वर्चुअल रिएलिटी सारी फैंटेसी पूरी कर देगी तो रियल लाइफ में चीटिंग का जोखिम कोई क्यों उठाएगा।

उनकी बात आज के पारंपरिक सामाजिक ढांचे के हिसाब से तो ठीक लगती है, लेकिन अगर कोई शख्स किसी गैर के साथ वर्चुअल वर्ल्ड में रिश्ता बनाता है तो क्या उसे चीटिंग नहीं माना जाएगा? वह लड़की, जिसे आप बचपन से चाहते आए थे, लेकिन उसकी शादी कहीं और हो गई। या जिस लड़की से आप मन ही मन प्यार करते रहे और कभी उसका इजहार न कर पाए। या आप जिस लड़की से प्यार करते थे, वह किसी और को चाहती थी। असल जिंदगी में भले ही वह लड़की आपको ना मिली हो, लेकिन हो सकता है कि आपकी कल्पनाओं में वह अभी भी आती-जाती हो। अगर आप वर्चुअल वर्ल्ड में बिना उनकी इजाजत के उनके साथ अंतरंग रिश्ते बनाएं तो क्या उसे अवैध नहीं माना जाना चाहिए? जस्टिन ने एक और दिलचस्प सवाल यह उठाया कि अगर कोई शख्स वर्चुअल वर्ल्ड में जो करता है, उसे रियल वर्ल्ड में दोहराना चाहे तब क्या होगा?

सेक्सटेक की दुनिया में प्राइवेसी भी बड़ा मुद्दा हो सकता है। आप वर्चुअल वर्ल्ड में जो भी करेंगे, उसका डिजिटल फुटप्रिंट बनेगा. इनका एक्सेस किसके पास रहेगा? अगर आपका सेक्स डेटा हैक हो जाए और उसे सार्वजनिक कर दिया जाए तो...उसके परिणाम क्या होंगे? वहीं, अगर लोगों को वर्चुअल सेक्स की लत लग जाए और वे वास्तविक सेक्स से कतराने लगें तो...इसमें कोई शक नहीं है कि इन चीजों से सामाजिक ताना-बाना बिखरेगा। जिस सोशल कनेक्शन को इंसानों के सामाजिक होने की बुनियाद माना जाता है, उस पर भी सेक्सटेक का भारी असर हो सकता है। अभी ही सोशल मीडिया के कारण असल जिंदगी में यह कनेक्शन कमजोर हो रहा है। वर्चुअल कनेक्शन को ही रियल लाइफ कनेक्शन माना जाने लगा है। इससे अकेलापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

और सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर तकनीक इंसान की सबसे बुनियादी जरूरतों में से एक यानी सेक्स से जुड़ी हर चाहत पूरी कर दे तो उसका संतति पर क्या असर होगा। आखिर सारे जीव वंश बढ़ाने के लिए ही तो सेक्स करते हैं। कहीं इससे फर्टिलिटी रेट यानी प्रति महिला शिशु जन्म दर में गिरावट तो नहीं आएगी। आज दुनिया का एक हिस्सा पहले ही शिक्षा का स्तर बढ़ने और विकास के कारण इस चुनौती से गुजर रहा है। सेक्सटेक से यह समस्या कहीं बड़ी हो सकती है। जस्टिन जैसे लोगों को लगता है कि सेक्सटेक का इस्तेमाल लोग जिंदगी के खालीपन को भरने के लिए करेंगे। उनका कहना है कि रियल सेक्स को रिप्लेस करने के लिए इसका प्रयोग नहीं होगा। यह सेक्शुअल लाइफ में तड़के की तरह होगा। खैर, ये सवाल कुछ साल दूर हैं। सेक्सटेक महंगी तकनीक है। इसका व्यापक इस्तेमाल तभी हो पाएगा, जब इसकी लागत कम हो। कुछ जानकारों को लगता है कि लागत घटने से अगले 10-20 साल में कहीं बड़े पैमाने पर सेक्सटेक का इस्तेमाल होने लगेगा। इंसानी जिंदगी में तकनीक की वजह से पिछले दो दशक में जिस तरह के बदलाव हुए हैं, सेक्सटेक उससे कहीं बड़ा तूफान बेडरूम के अंदर और आपके सोशल लाइफ में लाने जा रहा है।                                         (साभार - NBT Gold)

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