कोरोना वैक्सीनेट किसी व्यक्ति की मौत नहीं, ताउम्र मिल सकती है सुरक्षा

 

                       (बृजवासी शुक्ल) 

वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना संक्रमित हुए 63 लोगों पर एम्स ने अप्रैल - मई में की स्टडी, इनमें से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है, इन 63 लोगों में 36 ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी जबकि 27 ने सिर्फ एक डोज

नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर अब भी कुछ लोगों में हिचक है। ग्रामीण इलाकों से जब-तब ऐसी तस्वीरें आती रहती हैं कि वैक्सीन लगवाने से बचने के लिए कोई नदी में कूद रहा है तो कोई कहीं छिप रहा है। इस बीच ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की एक स्टडी के नतीजे साबित कर रहे हैं कि क्यों कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन जरूरी है, क्यों कोरोना के खिलाफ किसी वरदान से कम नहीं है वैक्सीन। वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण के कुछ मामले जरूर सामने आ रहे हैं लेकिन एम्स की स्टडी के नतीजे बेहद उम्मीद जगाने वाले हैं। वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण की चपेट में आए जिन लोगों पर स्टडी की गई, उनमें से किसी की भी संक्रमण से मौत नहीं हुई ।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से की गई स्टडी में वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों में से किसी की भी अप्रैल से मई के दौरान मौत नहीं हुई। खास बात यह है कि अप्रैल से मई के बीच में ही कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और बड़ी तादाद में कोरोना मरीजों की मौत हुई थी। पूरी तरह वैक्सीनेट (यानी वैक्सीन की दोनों डोज लेने या सिंगल डोज वाली वैक्सीन की एक डोज) व्यक्ति अगर कोरोना से संक्रमित हो जाता है, तो इसे 'ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन' कहा जाता है। अप्रैल और मई के दौरान एम्स की तरफ से ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन पर की गई पहली स्टडी में पता चला कि वैक्सीन ले चुके कुछ लोगों में वायरल लोड बहुत हाई होने के बावजूद किसी की मौत नहीं हुई।

एम्स ने कुल 63 ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी की। इनमें से 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे जबकि 27 ने कम से कम एक डोज। 10 मरीजों ने कोविशील्ड ली थी जबकि 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थी। इनमें से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। हाल के समय की 2 और स्टडीज भी काफी उम्मीद जगाने वाली हैं। उसके मुताबिक, ऐसे संकेत मिले हैं कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों या कोरोना की वैक्सीन ले चुके लोगों को ताउम्र इस वायरस के खिलाफ सुरक्षा मिल सकती है। इसका मतलब यह नहीं कि इन दोनों श्रेणियों के लोग कोरोना से संक्रमित ही नहीं होंगे लेकिन उनके शरीर में इस वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज लंबे समय तक मौजूद रहेंगे। इन स्टडीज में वैज्ञानिकों को पता चला है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में कम से कम एक साल तक इसके प्रति इम्युनिटी रह सकती है। कुछ लोगों में यह इम्युनिटी दशकों तक रह सकती है।

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