कैसी होगी कोरोना की तीसरी लहर

                         (प्रशांत द्विवेदी) 

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन के साथ तमाम एक्‍सपर्ट्स कोरोना की तीसरी लहर के बारे में चेतावनी दे चुके हैं। इसके बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे, यह पहली और दूसरी लहर से कैसे अलग होगी ? देश में यह कब दस्‍तक देगी ?

नई दिल्ली। कोरोना का खतरा फिलहाल खत्‍म होता नहीं दिख रहा है। वायरस के नए-नए वैरिएंट्स की वजह से अब इसकी तीसरी लहर की बात होने लगी है। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन के साथ तमाम एक्‍सपर्ट्स इस बारे में चेतावनी दे चुके हैं। इसके बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे, यह पहली और दूसरी लहर से कैसे अलग होगी? देश में यह कब दस्‍तक देगी? ऐसे में सबसे जरूरी इन नए वैरिएंट की पहचान करना होगा। दुनियाभर के साइंटिस्ट वायरस के इन अलग-अलग वैरिएंट्स का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।

        तीसरी लहर से बच्‍चों को खतरा

वायरोलॉजिस्‍ट और कोविड एक्सपर्ट कमेटी, कर्नाटक के मेंबर डॉ. वी रवि सहित तमाम जानकारों ने आगाह किया है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्‍चों को ज्‍यादा खतरा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि जब तक देश में तीसरी लहर दस्‍तक दे, तब तक ज्‍यादातर वयस्‍कों को कोरोना का कम से कम एक टीका लग चुका हो। डॉ वी रवि ने कहा कि यह केंद्र और राज्‍य सरकारों के लिए मजबूत रणनीति बनाने का समय है। अक्‍टूबर और दिसंबर के बीच उन्‍हें स्थितियों को संभालने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।

तीसरी लहर के बारे में एक्सपर्ट बता रहे हैं कि वह आने वाली है। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी। अगर बच्चे अस्पताल जाएंगे तो फिर पैरेंट्स को भी साथ जाना होगा। इसी कारण वैक्सीनेशन इस ग्रुप के लोगों को जल्द दिया जाना चाहिए और वैक्सीनेशन समय पर पूरा किया जाए। इसके लिए साइंटिफिक तरीका अपनाया जाना चाहिए और इसका इंतजाम किया जाए। अगर हम अभी तैयारी करेंगे तो हम स्थिति से निपट पाएंगे।

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में अब तक 0 से 10 वर्ष के 1,45,930 बच्चे वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। राज्य में हर दिन करीब 300 से 500 बच्चे बीमार हो रहे हैं। राज्य में 11 से 20 साल के 3,29,709 बच्चे और युवा अब तक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ. मिन्नी बोधनवाला के अनुसार मुंबई से ज्यादा राज्य के ग्रामीण इलाकों में बच्चे बीमार हो रहे हैं।

  बच्चों में खांसी, जुकाम के साथ पेट की समस्याएं

कोरोना की मौजूदा लहर में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ नवजात शिशुओं में भी संक्रमण मिला है। गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रमुख और निदेशक डॉ. कृष्ण चुघ के अनुसार ज्यादातर बच्चे, जो कोविड-19 से प्रभावित हैं, उनमें मौजूद लक्षण हल्का बुखार, खांसी, जुकाम और पेट से संबंधित समस्याएं हैं। कुछ को शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी की भी शिकायत है। गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता का कहना है कि ऐसे भी कुछ मामले हैं, जिनमें निमोनिया भी देखा गया है. कुछ बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) जैसी अधिक गंभीर जटिलताएं भी देखने को मिल रही हैं। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सबसे अधिक खतरा है। इसकी वजह उनको वैक्सीन नहीं लगना है। ऐसे में अगले सेशन में स्कूल खोलने को लेकर सरकार को महत्वपूर्ण नीतिगत फैसला लेना चाहिए।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेरेंट्स बच्चों में हल्के लक्षणों को नजरअंदाज ना करें। माता-पिता को बच्चों में संभावित डायरिया, सांस लेने में समस्या और सुस्ती जैसे लक्षणों पर ध्यान रखना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार खासकर बुखार के साथ इस तरह के लक्षणों पर सतर्क रहने की सलाह दी गई है। बच्चों में ऐसी समस्याओं को पहचानने में माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिए। बिना डॉक्टर के सलाह कोई दवा जैसे एंटी वायरल ड्रग्स, स्टेरायड्स, एंटीबायोटिक आदि न दें।

       संक्रमण के दौरान बच्चों को रखें दूर

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बच्चों को भी मास्क पहनाएं। उन्हें खेलने के लिए घर से बाहर ना निकलने दें। जरूरी हैं कि बच्चों के साथ किसी भी सार्वजनिक स्थानों, फंक्शन या अन्य आयोजन में जानें से बचें। इन जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। घर में यदि किसी मेंबर को कोरोना हो गया है तो बच्चों को उनसे बिल्कुल दूर रखें। नवजात या बच्चे में कोरोना से जुड़े कोई भी लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

दिल्ली एम्स की डॉ झुमा शंकर के अनुसार घर पर बना हुआ खाना बच्चों को खिलाएं। इसके साथ ही फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं। अगर बच्चा बाहर के खाने के लिए जिद करता है तो उसे समझाए कि इस समय वो फूड उनके लिए कितना खतरनाक है। नानावटी हॉस्पिटल के सीनियर पीडिएट्रिक्स डॉ. रवि मलिक के अनुसार बच्चों को इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए मल्टी विटामिन दे सकते हैं। लेकिन कोई विटामिन ज्यादा देने से बचे।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश अय्यर के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर के बाद भी लोग जल्दी टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। मेडिकल से दवा लेकर घर में रह रहे हैं। समय पर टेस्ट नहीं करवाने के कारण घर के बच्चे भी रोग का शिकार हो रहे हैं। एक बार कोरोना से ठीक होने के बाद कुछ बच्चों को पोस्ट कोविड की परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

देश में बच्‍चों को कोरोना वैक्‍सीन देने की शुरुआत अब तक नहीं हुई है। कोविशील्ड का निर्माण करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि वह इस साल अक्टूबर तक बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर लेगी। वहीं, भारत बायोटोक की बच्चों की वैक्सीन अभी ट्रायल स्टेज पर है। हालांकि, कनाडा ने दवा कंपनी फाइजर को 12 से 15 आयु वर्ग के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी है। अमेरिका में इसे जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं। फाइजर के अलावा मॉडर्ना कंपनी भी बच्चों के लिए वैक्सीन पर काम कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, एक्सपर्ट बता रहे हैं कि कोविड की तीसरी लहर देश में आने वाली है। ये बच्चों को भी प्रभावित करेगी। बच्चे बीमार होंगे, तो जब वह अस्पताल जाएंगे, तो पैरंट्स को भी साथ जाना होगा। ऐसे में आपकी क्या तैयारी है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर सामने दिख रही है। इसका असर बच्चों पर भी पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से पहले वैक्सीनेशन के मौजूदा अभियान को तेजी से पूरा करने की जरूरत है।

    ढाई महीने बाद दस्तक देगी तीसरी लहर

अमेरिका, कोरोनावायरस की दूसरी और तीसरी लहर में केवल ढाई महीने का अंतर था। विशेष रूप से, दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर में अधिक मौतें हुईं। यदि वायरस अमेरिका की तरह ही व्यवहार करता है तो तीसरी लहर अगले ढाई महीनों में आ सकती है। यह भी संभव है कि दूसरी और तीसरी लहर में ज्यादा अंतर न हो। अमेरिका में कोरोनावायरस की दूसरी लहर 45 दिनों तक चली, जबकि भारत में यह 60 दिन से अधिक हो गई है। अभी भी, वैज्ञानिकों के अनुसार, देश में दूसरी लहर का पीक नहीं आया है।

  दूसरी लहर जितनी खतरनाक नहीं होगी अगली लहर

मशहूर वैक्सीन एक्सपर्ट गगनदीप कांग का कहना है कि इस महीने के आखिर तक कोरोना के केस कम होने शुरू हो जाएंगे। आगे मामलों में एक या दो और उछाल संभव है लेकिन वह मौजूदा दौर जैसा खतरनाक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह उन क्षेत्रों में जा रहा है जहां वह पिछले साल नहीं पहुंचा यानी मध्य वर्ग को अपना शिकार बना रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में अपना पैर पसार रहा है लेकिन वायरस के जारी रहने के आसार कम हैं।

      कोरोना के बाद की बीमारी बनेगी तीसरी लहर

पीजीआई, लखनऊ के सीवीटीएस हेड डॉ. निर्मल गुप्ता का कहना है कि जो कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए हैं उनमें पोस्ट कोविड डिजीज हमारे लिए अगली चुनौती है। नया म्यूटेंट जिस तरह से लोगों को फेफड़े संक्रमित कर रहा है और उससे दूसरे अंग प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए यह जरूर कहा जा सकता है कि पोस्ट कोविड इफेक्ट डॉक्टरों और मरीज दोनों के लिए तीसरी लहर बनने वाले हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा कि जो संक्रमण से ठीक हुए हैं पहले दो सप्ताह, फिर चार उसके बाद तीन-तीन महीने पर टेस्ट करवाएं। अगर टेस्ट में इंप्रूवमेंट नहीं हो रही है तो डॉक्टरी सलाह लें।

        यूके वैरिएंट से सबसे अधिक संक्रमण

इस समय उत्तर भारत में सबसे अधिक लोग वायरस के यूके वैरिएंट से संक्रमित हैं। वहीं, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में वायरस का 'डबल म्यूटेंट' प्रकार कहर बरपा रहा है। डबल म्यूटेंट को बी.1.617 के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एसीडीसी) के निदेशक सुजीत सिंह के अनुसार सार्स कोव-2 वायरस के बी1.1.7 प्रकार (ब्रिटिश प्रकार) से देश में संक्रमित होने वाले लोगों के अनुपात में बीते एक महीने में 50 फीसदी की कमी आई है।

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