यूपी सरकार और संगठन में हो सकता है बदलाव

                            (बृजवासी शुक्ल) 

लखनऊ । वैश्विक महामारी कोरोना (COVID-19) के दौर में जनता को होने वाली दुश्वारियों को लेकर मचे कोहराम और गंगा में तैरती लाशों से देश की छवि बिगड़ने से चिंतित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संगठन और सरकार में सीधे हस्तक्षेप करने का मन बनाया है। संघ ने बैठक बुलाई है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में मंथन किया। 

संघ ने योगी सरकार को मैदान पर काम करते दिखने के निर्देश दिए। योगी आदित्यनाथ को संघ का संरक्षण है, लेकिन इस बैठक से संकेत गया है कि भगवा संगठन बेहद चिंतित है। संघ को यह अहसास हो गया है कि बंगाल में अकूत संसाधन झोंकने के बावजूद नतीजे नहीं मिले। लिहाजा, यूपी का गढ़ कायम रखे बिना 2024 का महाभारत (चुनाव) नहीं जीता जा सकेगा। इसलिए यूपी कैबिनेट और संगठन में बदलाव हो सकता है। इसमें जिन तीन बदलावों की रुपरेखा बन रही है उसमें पहला यह कि एके शर्मा (एकेएस) को डिप्टी सीएम बनाकर कोविड कंट्रोल की कमान सौंपी जा सकती है। पूर्वांचल, खासतौर से प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में महामारी प्रबंधन में जुटे शर्मा को केंद्रीय नेतृत्व ने शाबाशी दी है। भूमिहार होने की वजह से वे अगले साल विधानसभा चुनाव में पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। दूसरा यह कि प्रदेश में महामारी के समय जमीन से गायब रहने वाले मंत्रियों, पदाधिकारियों पर कार्रवाई होने और तीसरा पार्टी संगठन और प्रशासन जिले-जिले में ही नहीं, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर पीड़ितों के बीच जाए और उनके दुख-दर्द बांटा जाना शामिल है। 

        इन 5 कारणों से बढ़ी चिंता

1 - लोकसभा में भाजपा के सबसे अधिक सांसद हैं और कोई भी बदलाव राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की किस्मत संवार या बिगाड़ सकता है। 2 - मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है, पर कोरोना से गरीबों-गांवों पर पड़ी मार राजनीतिक रूप से भारी पड़ सकती है। 3 - पार्टी विधायकों के भीतर बढ़ती बेचैनी, योगी आदित्यनाथ के सामने बात नहीं रख पाने की मजबूरी असली फीडबैक मिलने में बाधक बन रही है। 4 - पश्चिम बंगाल में मिली हार का यूपी भाजपा पर भी सीधा असर हुआ है। सपा-बसपा में मजबूती दिखाई दे रही है। 5 - अगर हालात नहीं संभले, तो कोरोना से होने वाला नुकसान और किसान आंदोलन भाजपा के गढ़ हिला सकते हैं।

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