दस लाख बच्चे कटे होठों की सर्जरी के इंतजार में : डॉ. लाहौटी

                    (राघवेन्द्र शुक्ल) 

चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 42वीं ई संगोष्ठी, कटे होंठों की सर्जरी के लिए देश मे जागरूकता की कमी - डॉ. चौबे

भोपाल (म. प्र.)। कटे हुए होंठ एवं तालू के साथ देश में दस लाख बच्चे इस समय सर्जरी की प्रतीक्षा में है।भारत में प्रतिएक हजार से बारह सौ बच्चों के मध्य एक बालक इस तरह की शारीरिक न्यूनता के साथ जन्म लेता है।इन बालकों को इस समस्या से मुक्त किया जा सकता है लेकिन कतिपय अंधविश्वास एवं जागरूकता के अभाव में लोग सर्जरी के लिए आगे नही आते है। छः हजार से ज्यादा सफल सर्जरी करने वाले ख्यातिनाम सर्जन डॉ कपिल लाहौटी ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 42वी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही।संगोष्ठी को सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय भोपाल स्थित सीआरसी के नित्यानन्द समल ने भी संबोधित किया।

डॉ. लाहौटी के अनुसार कटे होंठ एवं तालु बालकों के मानसिक एवं भावनात्मक विकास में बाधक है इसलिए जितना जल्द हो ऐसे बालकों की चरणबद्ध सर्जरी के लिए अभिभावकों को आगे आना चाहिये।उन्होंने बताया कि इस समस्या के साथ बालक का जन्म होना किसी दैवीय इच्छा का नतीजा नही है जैसा कि हमारे समाज मे यह प्रचलित है।उन्होंने बताया कि आनुवांशिक कारणों के साथ गर्भ के समय माँ में फोलिक एसिड एवं आयरन की कमी,बिलंब से गर्भावस्था की पहचान,समगोत्रीय विवाह संबन्ध एवं पोषण न्यूनता के चलते ऐसे बच्चों का जन्म होता है। डॉ. लोहिया ने बताया कि प्रतिबर्ष भारत मे 35 से 45 हजार बच्चे इस शारीरिक न्यूनता के साथ पैदा होते है लेकिन अधिकांश मामलों में अभिभावकों के द्वारा ही पर्देदारी की जाती है क्योंकि वे इसे दैवीय इच्छा मानकर चलते है।डॉ लोहिया के अनुसार जन्म के तत्काल बाद ऐसे बच्चों की जानकारी सक्षम चिकित्सकों को साझा की जानी चाहिए।16 बर्ष तक चरणबद्ध तरीके से ऐसे बच्चों की पांच हिस्सो में सर्जरी की जाती है।3 से 6 माह में होंठ की पहली सर्जरी आरम्भ होती है।इसके बाद डेढ़ साल,दस,बारह एवं सोलह साल की आयु में सर्जरी का काम पूरा होता है।इसके बाद कटे हुए होंठ या तालु वाले बच्चे सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार कर सकते है।

डॉ लोहिया ने बताया कि भारत में बड़ी समस्या यह है कि अभिभावक इस सतत सर्जरी प्रक्रियाओं का पालन नही करते है। इसके पीछे आर्थिक, सामाजिक कारण भी रहते है।उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों की सर्जरी के समानांतर सतत काउंसलिंग भी एक बहुत बड़ा कार्य है क्योंकि शारीरिक न्यूनता बच्चों के बीच एक स्वाभाविक हीनता की स्थिति निर्मित करता है।डॉ लाहोटी ने बताया कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर एवं बैतूल के पाडर में कटे होंठो की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।

सीआरसी भोपाल से जुड़े नित्यानन्द समल ने बताया कि 21 तरह की दिव्यांगता से लड़ने के लिए उनका मंत्रालय संकल्पबद्ध है इसके लिए सर्जरी एवं कृतिम अंग निर्माण के काम को देश भर में व्यवस्थित किया गया है।देश भर में सत्रह सीआरसी के अलावा हर जिले में डीडीआरसी बनाएं गए है जहां फिजियोथेरेपी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि कटे होंठ या दिव्यांगता के मामलों में सर्जरी एवं पुनर्वास के काम मे लगे विशेषज्ञ ईश्वरीय कार्य को पूर्ण करने वाले वंदनीय शख्स है।

फाउंडेशन के सचिव डॉ. कृपाशंकर चौबे ने संगोष्ठी का संचालन करते हुए बताया कि डॉ लाहौटी हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर भोपाल में प्रदेश के 40 से अधिक जिलों के बच्चों की सर्जरी की जाती है।इस सेंटर पर यह सुविधा पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध है।यहां तक कि गरीब अभिभावकों को यहां तक आने एवं सर्जरी अवधि की मजदूरी चार सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अलग से दी जाती है।

संगोष्ठी में मप्र., बिहार, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आसाम, महाराष्ट्र, गोवा एवं उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, तथा बाल कल्याण समिति संतकबीर नगर के अध्यक्ष अमित कुमार उपाध्याय ने भी प्रतिभाग किया। फाउंडेशन की 43वी ई संगोष्ठी अगले रविवार को बालकों के ह्रदय रोग से जुड़े मुद्दे पर होगी।

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