डॉक्टरों को दस वर्ष करनी होगी सरकारी सेवा वर्ना एक करोड़ जुर्माना
(विशाल मोदी)
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अब सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए बड़ा फैसला हुआ है। डॉक्टरों को अब पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद सरकारी अस्पतालों में 10 साल सेवा देना जरूरी होगा। सरकारी नौकरी पढ़ाई खत्म होने के ठीक बाद ही शुरू हो जाएगी। इस बीच अगर डॉक्टर नौकरी छोड़ते हैं तो 1 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। बताया गया है कि पोस्ट ग्रैजुएशन बीच में छोड़ने पर तीन साल तक दोबारा दाखिला नहीं मिलेगा।
बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से निपटने के लिए यूपी सरकार ने नीट में छूट की भी व्यवस्था की है। अभी ग्रामीण क्षेत्र में एक साल नौकरी करने के बाद एमबीबीएस डॉक्टरों को नीट प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों की छूट दी जाती है। वहीं, दो साल सेवा देने पर 20 और तीन साल पर 30 अंकों की छूट मिलती है। दूसरी तरफ अब डॉक्टर पीजी कोर्सेज के साथ डिप्लोमा कोर्सेज में भी साथ ही साथ दाखिला ले सकते हैं।पिछले हफ्ते ही सीएम आदित्यनाथ ने अफसरों को निर्देश दिए थे कि वे नवस्थापित मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा था कि कोरोनावायरस के समय में निर्धारित संख्या में चिकित्सकों की उपलब्धता से मरीजों को इलाज की बेहतर सुविधा प्राप्त होगी। सीएम योगी ने स्वीकृत मेडिकल कॉलेजों के निमार्ण की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
गौरतलब है कि हर साल सरकारी अस्पतालों में तैनात कई एमबीबीएस डॉक्टर्स पीजी में दाखिला लेने के लिए नीट की परीक्षा देते हैं। पीजी के बाद सरकारी डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंसी में रुकने पर भी रोक लगा दी गई है। नए नियम में कहा गया है कि विभाग की ओर से इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं जारी किया जाएगा।➖ ➖ ➖ ➖ ➖
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