भाई बहन के पवित्र प्रेम का पर्व भईयादूज


           (केके मिश्र) 


संत कबीर नगर (उ.प्र.) । राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बताया कि भैया दूज भाई बहन का एक पावन पर्व है भारत त्योहारों का देश है और यह त्यौहार यहां वर्ष भर चलते रहते हैं। दीपावली का उत्सव भी 5 दिन तक रहता है। दीपावली के पांचवे दिन भैया दूज के साथ ही यह उत्सव समाप्त होता है ।धनतेरस, छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा, और पांचवें दिन भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है। 



 यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है इस दिन बहनें अपने भाइयों की हाथ पर रक्षासूत्र बांधकर और उनके माथे पर रोली का टीका लगाकर उनके अच्छे स्वास्थ्य, लंबे जीवन, और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।बदले में भाई, बहन को हर बुराई से बचाने का वादा करता है और दक्षिण भारत में या त्यौहार यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। 



भैया दूज के पीछे एक प्रचलित कथा है कि भगवान सूर्यनारायण की पत्नी का नाम छाया था।उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बहुत स्नेह करती थी वह उससे बराबर निवेदन करती थी कि वह उनके घर आकर भोजन करें अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहता था। कार्तिक शुक्ल का दिन आया तो यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया उसे अपने घर पर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया । यमराज ने सोचा मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता बहन इतने सद्भावना से मुझे बुला रही है। उसका पालन करना मेरा धर्म है बहन के घर आते ही यमराज ने नर्क निवास करने वाले जीवो को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने स्नान कर पूजन कर व्यंजन परोस कर भोजन कराया । 



यमुना द्वारा भोजन कराया यमुना द्वारा किए गए स्वागत से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा भद्र आप प्रतिवर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो । मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार का टीका करें उसे तुम्हारा भय ना रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र, आभूषण देकर यमलोक की ओर चले गए । इसी दिन से इस पर्व की परंपरा की शुरुआत हुई यही मान्यता है कि जो अतिथिय स्वीकार करते हैं उन्हें यम का भय नहीं रहता इसलिए भैया दूज को यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।


 भाई दूज की पूजन विधि - इस दिन सुबह नहा धोकर अपने भाई को घर पर भोजन के लिए बुलाना चाहिए अगर वह साथ रहता है तो कोई बात नहीं फिर भी उसे एक बार खाने पर बुलाए और इसके बाद भाई को एक पाट पर बैठाकर बहन अपने भाई को रोली और चावल का टीका लगाती है। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल रखती है ।  



भाई के हाथ पर कलेवा बांधा जाता है उसका मुंह मीठा किया जाता है इसके साथ ही उसके लंबी आयु, स्वस्थ जीवन ,और सफलता की कामना की जाती है इसके बाद भाई की आरती उतारी जाती हैं फिर भोजन आदि करा या जाता है भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार को भाई दूज के नाम से जाना जाता है।


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