वृद्धजनों के कानूनी अधिकार : वृद्धजन दिवस पर विशेष


विश्व प्रौढ़ दिवस या अन्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस प्रतिवर्ष एक अक्टूबर को मनाया जाता है। वृद्धजनों के कानूनी अधिकारों की बात कर रहे हैं बस्ती जिले के प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम आनन्द गौरव शुक्ल 


जीवन भर हमारे भविष्य की चिन्ता करते हुए लालन पालन करने वाले बुजुर्ग माता पिता की सेवा करना हम सभी का अनिवार्य कर्तव्य है। सामाजिक विसंगतियों के चलते प्राय: ऐसा देखा जाता है कि देखभाल के अभाव में वृद्धजन को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों के अलावा वरिष्ठ नागरिक वृद्धजनों की बेहतरी के लिए कानून भी बनाए गये हैं।  



कानूनी अधिकार- माता-पिता की देखभाल करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है किंतु विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं में इसके लिए अलग-अलग जिम्मेदारियां कानून ने निर्धारित की हैं।  



(i) हिन्दू कानून- साधनविहीन माता-पिता अपने भरण-पोषण के लिए साधन-संपन्न बच्चों पर दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इस अधिकार को कानून आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 (1) (डी) तथा हिन्दू दत्तक भरण-पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20 (1 एवं 3) द्वारा मान्यता दी गई है। इस धारा से स्पष्ट है कि अभिभावकों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पुत्रों के साथ-साथ पुत्रियों की भी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस धारा के अंतर्गत सिर्फ वे ही अभिभावक आते हैं, जो भरण-पोषण करने में आर्थिक रूप से असमर्थ हैं। 


(ii) मुस्लिम कानून- तैयबजी के अनुसार माता-पिता या दादा-दादी आर्थिक विपन्नताओं की स्थिति में हनाफी नियम के अनुसार अपने पुत्र-पुत्रियों या नाती-नातिनों से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं एवं ये अपने माता-पिता की सहायता के लिए बाध्य हैं। 


(iii) ईसाई एवं पारसी कानून- ईसाई एवं पारसियों के अभिभावकों के भरण-पोषण के लिए कोई व्यक्तिगत कानून नहीं हैं। जो अभिभावक भरण-पोषण चाहते हैं, वे आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं। 


आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 एक धर्मनिरपेक्ष कानून है तथा ये सभी धर्मों एवं समुदायों पर लागू होता है। इस संहिता के तहत धारा 125 (1) में प्रावधान है कि जो माता-पिता अपने भरण-पोषण में असमर्थ हैं, यदि उनके पुत्र या पुत्रियां उनके भरण-पोषण से इंकार करते हैं तो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को अपने माता-पिता के भरण-पोषण के इंकार के प्रमाण के आधार पर मासिक भत्ता देने के आदेश दे सकता है।


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