विकल्प नहीं संकल्प है स्तनपान : डॉ. सीके वर्मा


स्तनपान सप्ताह पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया जागरूकता अभियान, कोविड काल में बचाव के साथ स्तनपान को बढ़ावा दिए जाने पर है विशेष जोर : डॉ. सीके वर्मा


(वन्दना शुक्ला)


बस्ती (उ.प्र.) । मां का दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है। स्तनपान का कोई विकल्प नहीं है। कोविड से बचाव के साथ ही स्तनपान को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है। इस संबंध में आशा कार्यकर्ताओं को दिशा - निर्देश जारी किए गए हैं। यह कार्यक्रम सात अगस्त तक चलेगा।  



यह बातें डिप्टी सीएमओ परिवार कल्याण डॉ. सीके वर्मा ने कहीं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। ‘स्तनपान विकल्प नहीं, संकल्प है’ थीम के साथ शुरु हुए स्तनपान सप्ताह में आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे धात्री महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें साफ सफाई के साथ मॉस्क लगाकर स्तनपान के लिए प्रेरित करें। इससे शिशुओं में संक्रमण की संभावना नहीं रहेगी। शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर पीला गाढ़ा दूध जरूर पिलाएं, क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार है। सभी आशा कार्यकर्ता को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए धात्री महिलाओं के घर जाकर शारीरिक दूरी रखते हुए स्तनपान पर जोर देने को कहा गया है। वे बताएं कि छह माह तक बच्चों को केवल स्तनपान ही कराएं। किसी भी प्रकार से पानी, शहद, घुट्टी आदि कदापि न पिलाएं, क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार है।  



       कोविड-19 में भी स्तनपान


यदि मां कोविड से संक्रमित है या उसकी संभावना है तब भी मां शिशु को स्तनपान करा सकती है। यदि बच्चा बीमार है और वह कोविड से संक्रमित है, लेकिन दूध पी सकता है, तो मां अवश्य स्तनपान कराएं। आशा व चिकित्सक की सलाह के अनुसार स्तनपान जरूर कराएं।


      स्तनपान से यह हैं लाभ 


डॉ. सीके वर्मा ने बताया कि मां के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते है। मां का दूध पचने में त्वरित और आसान होता है। यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह बच्चों को कई तरह के संक्रमणों से सुरक्षित करता है और बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाता है। उन्होंने बताया कि मां का दूध किफ़ायती और संक्रमण से पूरी तरह से मुक्त होता है। इसके साथ ही स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक सम्बन्ध को बढ़ाता है।  



विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एकसाथ करने का समर्थन देता है। इसका उद्देश्य यह भी है कि कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना साथ ही कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाना कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधाएं ना हों। नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ - साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। जब तक बच्चा दूध पीता है, तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है।


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