कोरोना काल में कामयाब रहा दस्तक अभियान


(नीतू सिंह) 


सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों ने दिया सही जवाब, राज्य की सफलता औसत 87 प्रतिशत रही


बस्ती (उ.प्र.) । स्वास्थ्य विभाग द्वारा जि़ले में चलाया गया दस्तक अभियान पूरी तरह से कामयाब रहा है। यूनिसेफ और पाथ जैसी स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्थाओं के सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों ने सही जवाब दिया है। विभाग का कहना है राज्य के औसत 87 प्रतिशत के मुकाबले जिले का रिजल्ट काफी बेहतर है। 



एईइस / जेई की रोकथाम के लिए 16 जुलाई से 31 जुलाई तक जागरूकता संबंधी दस्तक अभियान संचालित किया गया। इस अभियान के तहत में आशा कार्यकर्ताओं की टीम ने घर-घर जाकर लोगों को संचारी रोग की पहचान व उसकी रोकथाम से संबंधित जानकारी दी। इस बार के अभियान में कोविड से बचाव की जानकारी को भी विशेष रूप से शामिल किया गया था।अभियान के बाद यूनिसेफ और पाथ संस्था की टीम ने सैम्पल सर्वे में घरों पर जाकर लोगों से टीम के घर पर आने व टीम द्वारा बताई गई बातों के बारे में सवाल किए। 90 प्रतिशत घर वालों ने संतोषजनक जवाब दिया है।


          पिछले साल से कम है केस


जिला मलेरिया अधिकारी आईए अंसारी का कहना है कि ने बताया की पिछले साल की तुलना में इस साल एईइस व जेई के काफी कम केस सामने आए हैं। इस साल जनवरी से अब तक जेई का एक व एईइस के 12 केस रिपोर्ट हुए हैं, जबकि की वर्ष 2019 में जुलाई तक जेई के तीन व एईइस के 24 केस रिकार्ड किए जा चुके थे। स्वास्थ्य विभाग इसकी मुख्य वजह लोगों में जागरूकता के कारण आया व्यवहार परिवर्तन को मान रहा है।   



संचारी रोगों की रोकथाम में इस साल हुई ज़्यादा बारिश व कोरोना से बचाव के लिए अपनाई जा रही सतर्कता तदबीरें मददगार बनी हैं। जिला मलेरिया अधिकारी का कहना है कि की ज़्यादा बारिश में तालाब आदि में पलने वाले मच्छरों के लार्वा बह जाते हैं, जिससे मच्छर जनित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसी के साथ कोविड काल के कारण लोग स्वच्छता पर ध्यान दे रहे हैं और विशेषकर बच्चों को घरों से कम निकलने दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि की मार्च और जुलाई में दो बार अभियान चला है। इस बार के अभियान में सभी गांव में एन्टी लार्वा का छिड़काव कराया गया है।


       चार लाख घरों का किया सर्वे और पूछे सवाल


दस्तक अभियान में आशा कार्यकर्ताओं कत्रियों की टीम ने जिले के चार लाख घरों का सर्वे किया है। आशा के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कत्री भी शामिल रहीं। टीम घर पर पहुंचकर सवाल करती थी तथा जरूरी जानकारी उपलब्ध कराती थी। इस बार दस्तक में कोरोना को शामिल किए जाने के कारण परिवार के लोगों को कोरोना के लक्षण, उससे बचाव व बीमार पड़ने पर तत्काल करीबी अस्पताल मरीज को ले जाने या 108 एंबुलेंस को काल करने के लिए जागरूक किया गया।  



आशा द्वारा घर पहुंचने पर पूछा जाता था कि घर में कोई छोटा बच्चा है कि नहीं। छोटा बच्चा होने की दशा में टीकाकरण के बारे में आशा पूछती थी। एईएस/जेई के लक्षण व उससे बचाव के बारे में बताने के साथ घर पर जरूरी जानकारी से संबंधित पोस्टर भी चिपकाती थीं। घर में अगर किसी को बुखार है तो उसकी जानकारी लेती थी। घर वालों से पूछती थी कि कहीं पानी तो नहीं जमा है, अगर जमा है तो तत्काल उसका निस्तारण कर दें। पानी किस नल का पिया जा रहा है। अगर साधारण नल का पानी पिया जा रहा है तो क्या क्लोरीन की गोली इस्तेमाल की जा रही है। शौचालय घर में है कि नहीं, घर के लोग खुले में शौच के लिए तो नहीं जा रहे हैं।


      संचारी रोग के साथ चला दस्तक अभियान


संचारी रोग के साथ ही 16 जुलाई से 31 जुलाई तक जिले में दस्तक अभियान चलाया गया। इस कार्य में 2245 आशा व लगभग इतनी ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता / कत्री को लगाया गया था। आशा की टीम ने अपने क्षेत्र में पड़ने वाले घरों पर जाकर बिना कुंडी खटखटाए संचारी रोग व कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया। अभियान के पर्यवेक्षण के लिए ब्लॉक व जिले स्तर से अधिकारी लगाए गए थे, जो क्रास चेकिंग कर रहे थे। जिले के आला अधिकारी प्रत्येक दिन कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। इस बार के अभियान को अन्य वर्षों की अपेक्षा काफी सफल माना जा रहा है।


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