सप्तर्षि आरती मामले में काशी विश्वनाथ महंत परिवार को नोटिस

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


वाराणसी । श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सप्तर्षि आरती के विवाद के बाद प्रशासन ने महंत परिवार को नोटिस जारी कर दी है। इसमें महंत परिवार से पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है। शुक्रवार को बाबा की सप्तर्षि आरती मंदिर के अर्चक व पुजारियों ने ही संपन्न कराई। 
उधर, महंत परिवार का आरोप है कि उनके पूर्वजों की तीन सौ साल पुरानी परंपरा टूट गई। शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सप्तर्षि आरती से पहले एहतियातन अर्द्ध सैनिक बल और पुलिस तैनात कर दी गई। बाबा की आरती नियत समय से मंदिर के अर्चकों ने की।   



बता दें कि बृहस्पतिवार को सप्तर्षि आरती के अर्चकों को मंदिर प्रशासन ने आरती करने और मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके विरोध में अर्चकों ने गेट नंबर चार पर ही बाबा की सप्तर्षि आरती के विधान को पूर्ण किया था। उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें आरती की अनुमति नहीं मिली तो वह सड़क पर ही आरती करेंगे।
इस मामले में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि महंत परिवार को नोटिस जारी की गई है। महंत परिवार की तरफ से लगाए गए सभी आरोप जांच में निराधार मिले। उनका पक्ष जानने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे। वहीं, मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा- हमें तो पता ही नहीं है कि हम लोगों की क्या गलती है। आज हमारे पूर्वजों की तीन सौ साल से चली आ रही आरती की परंपरा टूट गई। हम इसके लिए बाबा विश्वनाथ से क्षमाप्रार्थी हैं।   



श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में लगातार दूसरे दिन मंदिर के सभी प्रधान अर्चक सत्य नारायण चौबे, नीरज कुमार पांडेय, टेक नारायण उपाध्याय, डॉ. श्रीदेव, राजेश कुमार पाठक, संजय कुमार पांडेय ओम प्रकाश मिश्र, श्रीकांत मिश्र ने सहयोगी शास्त्रियों के साथ मिलकर सप्तऋ षि आरती का पूजन संपन्न कराया। बाबा को दही, दूध, घी, शहद से स्नान कराकर उनका भव्य ऋंगार किया गया।
शृंगार के पश्चात बाबा की आरती उतारकर इस प्रक्रिया को पूरी तरह संपन्न कराया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह ने बताया कि मंदिर के सभी विद्वान अर्चकों की देखरेख में आरती संपन्न कराई जा रही है। विश्वनाथ मंदिर की किसी भी परंपरा को न तो रोका जाएगा ना ही उसमें बदलाव किया जाएगा। परंपरा के निर्वहन के लिए जिस भी व्यवस्था की जरूरत पड़ेगी मंदिर प्रशासन उसे समय पूर्व तैयारी करके उस परंपरा को सम्पन्न कराएगा। 
मंदिर के अर्चक और शास्त्री ने उतारी बाबा की आरती
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की आरती शुक्रवार को परंपरा अनुसार विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न की गई। मंदिर के अर्चकों और शास्त्रियों ने वैदिक रीति रिवाज से परंपरा का निर्वहन कराया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में लगातार दूसरे दिन मंदिर के सभी प्रधान अर्चक सत्य नारायण चौबे, नीरज कुमार पांडेय, टेक नारायण उपाध्याय, डॉ. श्रीदेव, राजेश कुमार पाठक, संजय कुमार पांडेय ओम प्रकाश मिश्र, श्रीकांत मिश्र ने सहयोगी शास्त्रियों के साथ मिलकर सप्तऋषि आरती कराई।
बाबा को दही, दूध, घी, शहद से स्नान कराकर भव्य शृंगार किया गया। इसके पश्चात बाबा की आरती उतारी गई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह ने बताया कि मंदिर के सभी विद्वान अर्चकों की देखरेख में आरती संपन्न कराई जा रही है। किसी भी परंपरा को न तो रोका जाएगा, न ही उसमें बदलाव किया जाएगा। परंपरा के निर्वहन के लिए जिस भी व्यवस्था की जरूरत पड़ेगी, मंदिर प्रशासन उसे समय से कराएगा।  
      स्टेट के पुजारियों ने मांगी माफी 
सप्तर्षि आरती को संपन्न कराने में सहयोग देने वाले स्टेट के पुजारियों ने मंदिर प्रशासन से लिखित रूप से माफी मांगी है। उन्होंने मंदिर प्रशासन को लिखे पत्र में कहा है कि हम सभी अर्चकों का महंत परिवार और उनकी संपत्ति से कोई संबंध नहीं है। हम लोग राजाओं द्वारा वंशानुगत रूप से बाबा श्री काशी विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती करते चले आ रहे हैं।
इस व्यवस्था में जो भूलवश कार्य हुए हैं, उसे क्षमा करते हुए पूर्व की भांति जनकल्याण के लिए सप्तऋषि आरती की अनुमति दी जाए। इसमें सिंधिया स्टेट के राजीव प्रकाश मिश्र, जाम नगर स्टेट के रामानंद दुबे, राजस्थान स्टेट के शिवजी मिश्र, मुंशी माधव स्टेट के संतोष दुबे, जूना अखाड़ा के अभिषेक कुमार चौबे, सुनील दुबे, ग्वालियर स्टेट के लक्ष्मीकांत भट्टï, नगौर स्टेट के अनिल चौबे, विकास चौबे, दयानंद दुबे शामिल हैं।    



केंद्रीय ब्राह्मïण महासभा ने विवाद को बताया चिंताजनक
केंद्रीय ब्राह्मïण महासभा के अध्यक्ष सतीश चंद्र मिश्र और महामंत्री चल्ला सुब्बा राव ने सप्तऋषि आरती के विवाद पर खेद जताया है। उन्होंने कहा कि यह आरती बाबा की परंपरा है। काशीवासियों के लिए श्रद्धा और सेवा का विषय है। परंपराओं में किसी भी तरह का व्यतिक्रम न करें और  गलतफहमियां दूर करें। काशी विद्वत परिषद के मंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि काशी और विश्वनाथ मंदिर की परंपरा की सुरक्षा व संरक्षण का दायित्व मंदिर प्रशासन का है। कोई गलतफहमी है तो उसे दूर कर लेना चाहिए। इस पूरे प्रकरण का देश भर में गलत संदेश जा रहा है।  
    काशीवासियों ने दीप जलाकर जताया विरोध
 श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सप्तऋषि आरती पर हुए विवाद के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय के आह्वान पर काशी वासियों ने दीप जलाकर विरोध जताया। हर-हर महादेव का जयघोष करते हुए सनातन परंपरा की रक्षा के लिए महादेव से प्रार्थना की गई। लहुराबीर स्थित पूर्व विधायक अजय राय के आवास पर परिवार ने दीप जलाया। दारानगर में महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, चांदपुर में जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, नाटी इमली में पूर्व जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा आदि ने भी दीप जलाए।
इसके अलावा सामनेघाट, गोदौलिया, बीएचयू, पियरी, लहरतारा, खोजवां, सेवापुरी, छावनी, जगतगंज, सिगरा, पानदरीबा समेत कई इलाकों में लोगों ने दीप जलाकर विरोध जताया। पूर्व विधायक ने कहा कि अर्चकों को मंदिर में जाने से रोकना मतलब सनातनी परंपरा को खंडित करना है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। अर्चकों द्वारा कैलाश मंदिर के टूटे शिखर की शिकायत करने और सही को सही कहने पर सरकार व मंदिर प्रशासन द्वारा यह अशोभनीय कृत्य किया गया है। 
 अफवाह की वजह से खड़ा हुआ विवाद
दरअसल, दो दिन पहले अचानक मंदिर परिसर में कैलाश मंदिर के शिखर के टूटने की अफवाह से तनाव फैल गया। इस मामले में मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने परिसर का निरीक्षण कर अफवाह को सिरे से खारिज किया। उन्होंने बताया कि अधिग्रहित मकान में कैलाश मंदिर का शिखर छिपा था। मकान के मलबे को हटाया गया और मंदिर को संरक्षित किया जा रहा है।
    बिना किसी प्रमाण के लगाए आरोप
मुझ पर बिना किसी प्रमाण के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए गए। जब मेरी माताजी ने आरोप सुने तो उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया। मैं चुनौती देता हूं कि कोई भी इस आरोप को साबित कर दे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। जहां तक परंपरा का सवाल है, उसमें किसी भी तरह का व्यवधान नहीं होगा। -विशाल सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास 
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