कोरोना इतिहास के पन्नो में रहेगा , हम जीतेंगे जंग - अशोक सिंह

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)  इतिहास से सीखकर और आत्मनियंत्रण से जीत सकते है कोरोना से जंग - अशोक सिंह
बस्ती। आज कोरोना बीमारी से पूरी दुनिया में त्राहिमाम त्राहिमाम मचा है चहुंदिश एकाएक नई परिस्थिति से रोजमर्रा की जिंदगी में आई बाधा ,बीमारी की भयावहता और उससे बचाव की ही चर्चा है दवा न बनने तक बचाव का सर्वोत्तम उपाय फिलहाल लाकडाउन , क्वैरनटीन और आइसोलेशन में ही दिख रहा है।  इन शब्दों से हमारा सदियों पुराना नाता रहा है। बात तब की है जब हमारे देश में  चेचक महामारी के रूप में अपना पाॅव पसार रहा था महामारी से लोगों का काल के गाल में समाना तो दुखद होता ही था जो लोग मृत्यु के चंगुल से बच निकलते थे उनको आजीवन कुरूपता का दंश सालता रहता था। जिस तरह अभी तक कोरोना महामारी से बचाव का कोई वैज्ञानिक उपाय नहीं है उसी प्रकार कई सदी तक चेचक से बचाव का कोई वैज्ञानिक उपाय नहीं था। लंबे अंतराल मे लोगों ने उस समय के ज्ञात जो भी वैज्ञानिक अवैज्ञानिक संसाधन थे  के साथ जीना सीख लिया था। 



     उक्त विचार बीसीडीए के महामंत्री अशोक सिंह ने व्यक्त करते हुए कहा कि जैसे ही किसी घर में किसी व्यक्ति को या गांव कस्बों मे व्यक्तियों में चेचक का लक्षण दिखता था सबसे पहले रोगी को घर में आइसोलेट कर दिया जाता था उस समय के स्वच्छता के सर्वोत्तम मापदंडों को बिना हिचक अपनाया जाता था कहीं आना जाना लगभग बंद हो जाता था लोकमंगल के लिए पूरे समाज की सामूहिक गतिविधियां स्वप्रेरणा से चरम पर पहुंच जाती थी  तब के बनाए नियमों को लोगबाग स्वेच्छा से कड़ाई से पालन करते थे न कहीं पुलिस का पहरा होता था न ही प्रशासन का डंडा। समय पा कर बीमारी आती थी और चली जाती थे। दैविक आपदा मानने के बावजूद जब इस बीमारी का विज्ञान सम्मत टीके का आविष्कार हुआ तो लोग दैविक आपदा के डर को भूल टीकाकरण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे आज वो बीमारी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है। सदियों की सीख आज के परिपेक्ष्य में काफी मौजूद हैं फिलहाल पूरी दुनिया मे कोरोना बीमारी के फैलाव से बचाव का जो सबसे कारगर उपाय दिख रहा है वह आइसोलेशन ही हैं।  यह शब्द इस देश के लोगों के अंतर्मन में इस कदर गहराई तक समाया हुआ है कि देश के एक ही आहवान पर देशवासी आइसोलेशन का वैसा ही पालन करने लगे जैसे सदियों पूर्व किया करते थे और परिणाम सुखद परिणाम के मामले में हम दुनिया की उन महा शक्तियों से जिनको अपने बेहतर संसाधनों पर , बेहतर जीवन शैली पर और अपने सैन्य बल पर गुमान था काफी आगे हैं। मृत्यु दर का प्रतिशत मात्र 3.2 है जबकि रिकवरी रेट 25ः  तक पहुंच गई है बीमारी के बढ़ने की रफ्तार पर भी अंकुश  लगा है ऐसा हम कर पाये क्योंकि हमें अपने देश के सीमित संसाधनों का ज्ञान था देश के 130 करोड़ देशवासियों के संकल्प शक्ति पर उनके आत्म नियंत्रण पर असंदिग्ध विश्वास था हमारी कार्यशैली से बीमारी की रफ्तार धीमी हुई देश को बिना तैयारी बीमारी से निपटने के बजाय पूरी तैयारी के साथ लड़ने का अवसर मिल गया सरकार की पूरी गाइडलाइन है कि किसको क्या करना है क्या नहीं करना है। लड़ाई लंबी है, डगर कठिन है। हमें निश्चिंत होकर नहीं बैठना हैं। सरकार के दिशा निर्देशों के प्रति हमारी निष्ठा ही हमारी सफलता को तय करेगी समय जो भी लगे हमारा संकल्प कि हम कोरोना बीमारी को हरायेंगे, हमारा विश्वास कि ये लड़ाई हम  जरूर जीतेंगे सच होगा और कोरोना!वह भी रहेगा या तो हमारी यादों में या इतिहास के पन्नों में।
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