शक्तिमान और एकता कपूर के बीच महाभारत

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


              (ऋषभ शुक्ल)
 बड़ों के ‘भीष्म पितामह’ और बच्चों के ‘शक्तिमान’ मुकेश खन्ना इन दिनों खूब चर्चा में हैं । वजह है 1988 में दूरदर्शन पर आने वाले ‘महाभारत’ का कोरोना लॉकडाउन के दौरान दोबारा टेलीकास्ट होना । इसके बाद उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को ट्रोल करके खुद को खबरों में बनाए रखा । अब उन्होंने फिल्म - टीवी प्रोड्यूसर एकता कपूर पर निशाना साधा है ।
बात ये है कि मुकेश खन्ना बच्चों के पॉपुलर टीवी शो ‘शक्तिमान’ को रीमेक करना चाहते हैं ।   


उनका मानना है कि अगर ये लॉकडाउन न हुआ होता, तो शायद अब तक वो नया ‘शक्तिमान’ अनाउंस भी कर चुके थे । लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब टीवी पर उनका वाला ‘शक्तिमान’ दोबारा आ गया है । इस ‘शक्तिमान’ के फेर में उन्होंने एकता कपूर को भी घसीट लिया । मुंबई मिरर को दिए एक इंटरव्यू में मुकेश ने कहा कि ”शक्तिमान का नया वर्ज़न वैसे नहीं बन सकता है, जैसे द्रौपदी के कंधे पर टैटू लगाकर एकता कपूर ने ‘महाभारत’ बनाया था । उन्होंने (एकता ने) ये कहा था वो महाभारत मॉडर्न लोगों के लिए बना रही हैं । संस्कृति कभी मॉडर्न नहीं हो सकती, पुत्री जिस दिन संस्कृति को मॉडर्न करोगे, खत्म हो जाएगी ।”
 ”अगर किसी सीरियल का नाम ‘क्योंकि ग्रीक भी कभी हिंदुस्तानी थे’ होगा, तब मैं एकता के ‘महाभारत’ को भी स्वीकार कर लूंगा । आपको महाकाव्यों से छेड़छाड़ करने का अधिकार किसने दे दिया ? उन्होंने ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ को बदलकर कुछ और ही कर दिया था । सत्यवती का किरदार किसी चुड़ैल जैसा गढ़ दिया । उन्होंने व्यास मुनि (महाभारत लिखने वाले) से ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश, जिस पर मुझे आपत्ति है । मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि रामायण और महाभारत महज़ मायथॉलजी नहीं हैं, वो हमारा इतिहास हैं ।”     
एकता कपूर की ‘महाभारत’ के पोस्टर पर पांचों पांडव 
मुकेश खन्ना जो भी कह रहे हैं, वो उनका सोचना है । पिछले दिनों ‘रामायण’ के री - रन की बात पर उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था - ”ये सोनाक्षी सिन्हा जैसे लोगों की भी मदद करेगा । जिन्हें हमारी मायथोलॉजी के बारे में कुछ नहीं पता है । उन्हें ये तक नहीं पता कि हनुमान किसके लिए संजीवनी लाने गए थे ।” इस पर सोनाक्षी सिन्हा ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन ‘महाभारत’ में कृष्ण का किरदार निभाने वाले नीतिश भारद्वाज ने मुकेश खन्ना को एक सलाह दी थी । उस सलाह के साथ हम आपको छोड़ जाते हैं ।
”हर चीज़ को कहने का एक बेहतर तरीका होता है । ये बात एक संतुलित, सौम्य और संवेदनशील तरीके से भी कही जा सकती थी, और तब इसे रिसीव भी उसी भावना के साथ किया जाता । सीनियर्स तभी सम्मान के लायक होते हैं, जब वो सहानुभूति के रास्ते पर चलते हैं ।
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