लॉकडाउन में ऑनलाइन कं.खोलकर बर्बाद न करे सरकार : अमरमणि

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


बस्ती  (उ.प्र.) ।  कोरोना  (COVID - 19) संक्रमण के कारण चल रहे लॉकडाउन - 2 के बीच सरकार द्वारा तीन ऑनलाईन बिक्री कम्पनियों को व्यापार की छूट दिये जाने का निर्णय बाजार में शुरू हुई मंदी के बीच स्थानीय दुकानदारों के कमर तोड़ने जैसा है । व्यापारियों के व्यापक नुकसान और अंधकार मय भविष्य को देखते हुए सरकार को ऑनलाइन कम्पनियों पर आने वाले कुछ समय तक लगातार प्रतिबन्धित रखे जाने की जरूरत है । यदि ऐसा नहीं किया गया तो हर जगह के स्थानीय बाजारों पर गर्त में जाने का खतरा बना रहेगा और कोरोना से निपटने में युद्ध स्तर पर योगदान देने वाला व्यापारी समाज दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाएगा ।   


   उक्त बातें मण्डल के वरिष्ठ व्यापारी नेता अमरमणि पाण्डेय ने कहीं । उन्होंने बताया कि सरकार ने 20 अप्रैल से फ्रिज , टीवी , कूलर , मोबाइल व रेडीमेड गॉरमेन्ट्स की बिक्री के लिए ओनलाईन मार्केटिंग कम्पनियों अमेजन , फ्लिप्कार्ट व स्नेपडील को बिक्री की छूट देने का जो निर्णय लिया है , यह व्यापारियों को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा । उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन महीनों से पूरे भारतवर्ष में प्रत्येक गांव , शहर में हर छोटे बड़े दुकानदारों ने अपने शोरुमो व गोदामों में जो माल भर कर रखा है उसका क्या होगा ?  एक-दो माह में फ्रिज - कूलर का सीजन भी खत्म हो जाएगा । एक ओर कमाई गई , तो दूसरी ओर पूंजी का भयंकर ह्रास हो रहा है । ऐसे में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने में तन मन धन से योगदान देने वाला व्यापारी समाज खड़े खड़े अपनी बर्बादी का तमाशा देखने को मजबूर होगा । जबकि इन ऑनलाइन कम्पनियों ने रत्ती भर भी मदद प्रधानमंत्री राहत कोष में नहीं की है । ऊपर से सरकार उन्हें पूरा व्यापार सौंपने जा रही है । श्री पाण्डेय ने दु:ख व्यक्त करते हुए सरकार से इन कम्पनियों के व्यापार पर लगी रोक को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए कहा  हम सभी व्यापारियों के पीठ में छुरा ना घोंपिये सरकार । उन्होंने व्यापारियों की समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि कोरोना से लड़ने में व्यापारी समाज दो माह से तन मन धन से दोनों हाथों से खुलकर मदद कर रहा है । इनके परिवार की रोजी - रोटी का ध्यान रखते हुए व्यापार को बचाना सरकार की बड़ी जिम्मेदारी है ।    



 अमरमणि ने कहा कि 20 अप्रैल से ऑनलाइन कंपनियां शुरू हो रही हैं । इस महामारी के समय इनमें से एक भी कंपनी ने एक रुपए भी भारत के लोगों के प्रति सहानुभूति के रूप में नहीं दिया है । लॉक डाउन में साथ देने वाले अपने घर मोहल्ले के आस पास के किराने वाले , दूध डेयरी वाले , मेडिकल स्टोर वाले इन सबका ही साथ मिला है । और तो और लोकल दुकानदारों ने अपनी दुकानें हमारे लिए बंद रखीं और सारे खर्चे चालू होने के बावजूद उन्होंने सेवा कार्य में वो सब किया, जो बन सका । सबके मन में एक ही विचार कौंधता रहा, चाहे कुछ भी हो जाए अपने देश को मुश्किलों से निकालना है । ऐसी स्थिति में जब ऑनलाइन कंपनियां चालू हो जाएंगी तब लोग इन विदेशी कम्पनियों से अपना सारा सामान खरीदेंगे और जब लॉक डाउन खुलेगा तब बाजारों की हालत खस्ता हो चुकी होगी । व्यापारी वर्ग आर्थिक मंदी का शिकार हो चुका होगा । दुकान वाला अपना किराया देना होगा , स्टाफ को वेतन देना होगा , बिजली बिल , होम लोन , गाड़ी के लोन और ना जाने कितने ऐसे ही खर्चे व्यापारियों के सिर पर होंगे । ऐसी दशा में जब व्यापार ही नहीं होगा , तो कहां से कर पाएंगे यह सब ।


अमरमणि पाण्डेय ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि जब तक लॉक डाउन ना खुले तब तक किसी भी ऑन लाइन कंपनी को चालू करने की परमिशन ना दें । नहीं तो अपने देश के छोटे बड़े सभी व्यापारियों की हालत बहुत खराब हो जाएगी और अपने देश की अर्थव्यवस्था जल्द उबर नहीं पाएगी ।
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