कोरोना पर 123 साल पुराना महामारी कानून

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


 कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत सरकार हर स्तर पर नागरिकों को संक्रमण से बचाने के प्रयास कर रही हैं। भारत में इस महामारी से निपटने के लिए 123 साल पुराना कानून लागू किया गया है जो 1897 में बना था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत द्विवेदी का कहना है कि एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1897 (महामारी अधिनियम 1897) को अंग्रेजों के ज़माने में लागू किया गया था, जब तत्कालीन बम्बई स्टेट में प्लेग ने महामारी का रूप लिया था। 


        क्या कहता है एक्ट 
इस अधिनियम का उपयोग उस समय किया जाता है जब किसी भी राज्य या केंद्र सरकार को इस बात का विश्वास हो जाए कि राज्य व देश में कोई खतरनाक बीमारी राज्य या देश में प्रवेश कर चुकी है और समस्त नागरिकों में फ़ैल सकती है। ऐसी स्थिति में केंद्र व राज्य दोनों इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं। कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्रीय सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस कानून लागू करने का निर्देश दिया है।


        कानून की खास बातें 
महामारी अधिनियम 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश की अवहेलना अपराध है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर इस अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें आईपीसी की धारा-188 के तहत सजा का प्रावधान है। यह कानून अधिकारियों को सुरक्षा भी प्रदान करता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष अधिकार देता है जिससे सार्वजनिक सूचना के जरिये महामारी प्रसार की रोकथाम के उपाय किये जा सकें। इसमें यात्रियों का निरीक्षण करने का अधिकार है। जिन लोगों पर निरीक्षक को यह संदेह होता है कि वह संक्रमित रोग से पीड़ित हैं, निरीक्षक उन लोगों को अस्पताल या अस्थाई आवास केंद्र पर ले जा सकते हैं। ऐसी बीमारी के संदिग्ध व्यक्तियों या किसी के संक्रमित होने पर अस्पताल में या अस्थायी रूप से अलग रखा जा सकता है।


उल्लघंन पर सजा का प्रावधान
महामारी एक्ट 1897 के सेक्शन 3 में जुर्माने का प्रावधान भी है जिसमें सरकारी आदेश नहीं मानना अपराध होगा और आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा भी मिल सकती है। इसके अंतर्गत 6 माह तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। 


इससे पहले भी लागू हुआ कानून
भारत में कई बार महामारी या रोग फैलने की दशा में यह एक्ट लागू किया जा चुका है। सन 1959 में हैजा के प्रकोप को देखते हुए उड़ीसा सरकार ने पुरी जिले में, साल 2009 में पुणे में स्वाइन फ्लू फैलने पर, 2018 में गुजरात के वडोदरा जिले के एक गाँव में 31 लोगों में कोलेरा के लक्षण पाये जाने पर, सन 2015 में चंडीगढ़ में मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के लिए, 2020 में कर्नाटक सरकार ने सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने के लिए महामारी अधिनियम, 1897 को लागू किया है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिये केन्द्र सरकार ने 14 अप्रैल तक सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, खेल, पारिवारिक प्रकृति के किसी भी आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 को पुनः लागू किया है।                   (आमोद उपाध्याय)


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