विधान सभा में गूंजा बस्ती महोत्सव का भ्रष्टाचार

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


बस्ती (उ.प्र.)। बस्ती महोत्सव में हुए भ्रष्टाचार का खेल का मामला विधानसभा तक पहुंच गया है । यह मामला रुधौली विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने विधानसभा तक पहुंचाया है।
विधायक श्री जायसवाल ने बस्ती महोत्सव में चंदे के नाम पर अवैध वसूली कराए जाने तथा संदेश में प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक न किए जाने के संबंध में मामला नियम  301 के  अंतर्गत विधानसभा में उठाया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि जनपद में 28 जनवरी 2020 से 2 फरवरी 2020 तक जिला प्रशासन बस्ती के द्वारा बस्ती महोत्सव का आयोजन किया गया था। विधायक ने बताया कि जहां तक मुझे जानकारी है कि शासन द्वारा महोत्सव के लिए अलग से कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया था । पिछले 2 वर्ष से बस्ती महोत्सव आयोजन समिति द्वारा कराया जा रहा है । प्रदेश सरकार ने पारदर्शिता के लिए टेंडर की व्यवस्था लागू किया । लेेेकिन पिछले 2 वर्षों से हो रहे बस्ती महोत्सव पर होने वाले ठेके का बस्ती आयोजन समिति द्वारा ना तो टेंडर कराया गया और ना ही महोत्सव में लिए गए चंदे अथवा स्थानीय अथवा बाहरी कलाकारों कवियों पर खर्च किये गये धन को सार्वजनिक किया गया । 



विधायक ने कहा है कि मेरे संज्ञान में आया है कि इस वर्ष सरकारी शराब की दुकानों से लगभग 10 से ₹15000 प्रति दुकान सभी 1365 कोटेदार से अलग-अलग 1015 ₹100 सभी ब्लॉकों के एससीएमआई में लगभग ₹20000 प्रति गोदाम जनपद के सभी पेट्रोल पंप पो से लगभग 10,000 रुपए जनपद के सभी इंट्रक्स लाइसेंसी मेडिकल स्टोर से लगभग ₹1000 सभी नगर पंचायतों से ₹100000 सभी भट्ठा व्यवसाई उसे लगभग 10 से ₹15000 जनपद के सभी नर्सिंग होम से लगभग 20 से ₹30000 जनपद के सभी सीएचसी सेंटर से लगभग ₹20000 जनपद में संचालित लगभग सभी बैंकों से ₹300000 राइस मिल एसोसिएशन से लगभग ₹15000 जनपद के 1249 के अधिकांश ग्राम पंचायतों से लगभग 5000 रुपये इसी प्रकार अन्य तमाम स्थानों व विभागों से वसूली की गई है।


संजय जायसवाल का आरोप है इस आधार पर बस्ती महोत्सव में करोड़ों रुपए खर्च किए जाने की जनपद में चर्चा है । इससे स्पष्ट होता है कि जिला प्रशासन की मंशा एजेंसी को आयोजन की जिम्मेदारी देकर महोत्सव के नाम पर धन एकत्र करने की खुली छूट देना है। विधायक ने कहा कि महोत्सव समिति में गठन में किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं रखा गया है । जनप्रतिनिधियों को आयोजन समिति में ना रखने के पीछे जिला प्रशासन की मंशा दूषित लगती है । यदि जन प्रतिनिधि बस्ती महोत्सव के आयोजन समिति में होते तो जिला प्रशासन मनमानी तरीके से चंदे के नाम पर शोषण नहीं कर पाता । उन्होंने इस बारे में जिला प्रशासन की कई कमियां गिनाईं । 
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