1960 में ही कोरोना आ चुका है सामने : डा. वीके. वर्मा

तारकेश्वर टाईम्स (हि.दै.)


आजकल हर जगह कोरोना वायरस की ही चर्चा है।लोग डरे हुए हैं कि कहीं वह भी इसकी गिरफ्त में ना आ जाएं।सरकार एवं चिकित्सा जगत इससे बचाव एंव उपचार के उपाय खोजने में लगातार लगा हुआ है जिससे की यह वायरस ज्यादा ना फैले। कोरोना वायरस एक प्रकार का आरएनए वायरस है। इसकी खोज सन 1960 में हुई थी। यह मुख्य रूप से पशु, पक्षी और मनुष्य में संक्रमण फैलाता है।



   प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ0 वीके. वर्मा ने कोरोना वायरस पर बातचीत में विस्तार से प्रकाश डाला । इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ऐरोसाल (ड्रापलेट) के द्वारा पहुंचता है यदि कोई संक्रमित व्यक्ति या पशु पक्षी खांसता य छींकता है, तब यह ड्रापलेट द्वारा वायुमंडल में एरोसाल के रूप में बिखर जाता है जिसमें जब दूसरा व्यक्ति सांस लेता है या उसके शरीर का अंग संपर्क में आता है और यह किसी भी प्रकार से शरीर में प्रवेश कर जाता है तब यह अपना प्रभाव लक्षण दिखाता है। इसके संक्रमण से मुख्य रूप से श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र एवं प्रजनन तंत्र संक्रमित होते हैं इसके संक्रमण होने पर मनुष्य में बिल्कुल वैसे ही लक्षण मिलते हैं जैसे कि जुकाम के मरीजों में मिलते हैं इन लक्षणों में नाक से पानी बहना, गले में खराश, खांसी, सिर दर्द, बुखार आदि प्रमुख हैं यह जरूरी नहीं है कि इस तरह के लक्षण होने पर कोरोना वायरस का संक्रमण ही है इस लिये घबराएं नही शुरुआती दौर में यदि इसका समुचित उपचार किया जाए तो यह ठीक अवश्य हो जाता है इसकी जांच के लिए मनुष्य की ऐसे स्थान पर जहां पर इसका एपिडेमिक हो यात्रा की गयी हो या या शक होने पर पीसीआर टेस्ट से भी पहचाना जाता है।


डॉ. वर्मा ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति वायरस से संक्रमित है तो इससे पर्याप्त दूरी बना करके रखना चाहिए। ऐसे मरीजों को आइसोलेशन में रखा जाता है। स्वयं को बचाने के अन्य तरीके हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहे, विटामिन सी युक्त फल खाएं, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें, मांस मछली और सी फूड न खाएं, बाहर का खाना न खाएं, ताजा खाना खाएं, कुछ भी खाने से पहले हाथ अवश्य धुलें, और बात करते समय खासते, छींकते समय मुंह पर मास्क लगाकर रखें या मुँह ढक करके रखें, सार्वजनिक स्थल पर जाने से बचें, हाथ मिलाने से बचें हाथ को आंख नाक और मुंह को ना छुएं, पशु वध शालाओं, पशु पक्षी पालन गृह में जाने से परहेज करें, बाहर से आने के पश्चात, सार्वजनिक स्थल से आने के बाद हाथ साबुन से धुले।यदि कोई रोगी है तो उसके वस्त्र, बर्तन,बिस्तर का प्रयोग ना करें। अभी तक इस बीमारी की कोई भी वैक्सीन य टीका नहीं बनी है ना ही कोई विशेष दवा की खोज हुई है। फिर भी कुछ चिकित्सक एंटीवायरल ड्रग देते हैं जिसका प्रभाव अभी तक स्थापित नहीं है।



इससे बचाव एवम उपचार के लिए होम्योपैथिक दवाइयों की कारगरता पर भी विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इसमे वायरस से होने वाली बीमारियों से बचाव की दवाएं उपलब्ध है परंतु यह औषधियां प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही प्रयोग करनी चाहिए। वर्तमान समय इस बीमारी का प्रकोप चीन में हुआ है। इसको दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने पूरे देश में एक अलर्ट जारी कर रखा है कि चीन से आने वाले समस्त यात्रियों को वायुयान के एयरपोर्ट पर क्वॉरेंटाइन में रखकर उनकी जांच की जाए तथा यदि वे जांच में निगेटिव पाए जाते हैं तभी उनको आम जनता में जाने की अनुमति दी जाए। अपने आम दिनों में स्वच्छता के नियमों का पालन करें एवं सदैव स्वस्थ रहें।
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