रोल मॉडल के तौर पर हो सभी न्यायालयों की सुरक्षा
तारकेश्वर टाईम्स (हि0दै0)
बाराबंकी ( उ0प्र0 ) । अधिवक्ता रितेश कुमार मिश्र समाजसेवी एवं मुख्य ट्रस्टी स्व0 श्री अवध बिहारी मिश्र सेवा ट्रस्ट ने जिला न्यायालयों की सुरक्षा के दृष्टिगत स्वयोजित PIL NO-2436/2019 में पारित आदेश दिनांक 18-12-2019 के परिपेक्ष में जारी पत्र 70/admin G-1/all दिनांक 03-01-2020 के विरुद्ध मुख्य न्यायाधीश महोदय उच्च न्यायालय प्रयागराज को जरिये जिला जज बाराबंकी 6बिंदु की आपत्ति प्रेषित किया तथा एक प्रति ईमेल व रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित करते हुए कहा कि जनपद न्यायालय बाराबंकी में पूर्व से प्रचलित सुरक्षा व्यवस्था जैसी व्यवस्था उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों के जिला एवं सत्र न्यायालयों सहित कलेक्ट्रेट व तहसील तथा प्राधिकरणो में रोल मॉडल के तौर पर प्रचलित की जानी चाहिए न कि उसके साथ छेड़छाड़ कर मात्र अधिवक्ताओ,जूनियर्स एवं प्रशिक्षण हेतु आने वाले अधिवक्ताओ, वादकारियों एवं पीड़ितों की परेशानियां व दुश्वारियाँ बढ़ाये जाने का प्रयास किया जाना चाहिए । ऐसी दशा में न्यायालय परिसर में नयी पद्धति लागू किया जाना उचित नही है।
अवगत हो कि माननीय न्यायालय द्वारा 07 दिसम्बर 2019 को जिला - बिजनौर के सी.जे.एम महोदय के कोर्ट में दिनदहाड़े बसपा नेता हाजी अहसान व उनके भांजे शादाब की हत्या को अंजाम देने वाले कुख्यात बदमाश शाहनवाज की गोलिया बरसाकर की गई सनसनी खेज व हृदयविदारक हत्या की वारदात का स्वतः संज्ञान लेकर PIL NO-2436/2019 योजित की गई और उक्त PIL में दिनांक 18 दिसम्बर 2019 को आदेश पारित करते हुए जनपद न्यायालयो में एडवोकेट आन रोल तैयार करने सहित न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था संबंधी पुख्ता इंतजामात के बावत निर्देश निर्गत किये गए जिसके क्रम में प्रत्येक जनपद न्यायालयो में पत्र 70/admin G-1/all दिनांक 03-01-2020 जिसके साथ आदेश दिनांक 18.12.2019 की प्रति संग्लन है भेजकर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करवाने हेतु निर्देशित किया गया जिसमे समाजसेवी अधिवक्ता मिश्र ने अपनी आपत्ति जरिये जिला जज प्रेषित करते हुए कहा कि सुरक्षा व्यवस्था काफी विलंब से लायी गयी है जबकि 23 नवम्बर 2007 को जनपद फैजाबाद के न्यायालय परिसर और उसके पश्चात लखनऊ व बनारस में आतंकवादियो द्वारा दिन दहाड़े सिलसिलेवार बम धमाकों की सनसनी खेज व हृदयविदारक घटना को अंजाम दिया था जिसमे कई लोगों की मौत व अन्य कई लोग घायल हुए थे तब ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेकर यदि पूर्व में ही ऐसी व्यवस्था लागू की गई होती तो शायद जिला न्यायालय बिजनौर की घटना कारित न होती ।
अतएव आपत्ति जनहित में प्रस्तुत कर रहा है-
1- जनपद बाराबंकी पूर्व से ही संवेदनशील न्यायालय परिसर की परिधि में रहा है तथा इस न्यायालय में आतंकवादियों सहित कुख्यात अपराधियो के मुकदमो का ट्रायल प्रचलित होता रहा है यही नही आतंकियों की पेशी पर उनकी उपस्थिति व इस दौरान किसी प्रकार की अनहोनी से बचाव हेतु भारी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम की भी पुख्ता व्यवस्था रहती है तथा यह सुरक्षा व्यवस्था संवेदनशीलता के चलते सतत जारी रहती है जिसके कारण न्यायालय बाराबंकी के तीनो गेटो मे से दो न्यायालय परिसर के मुख्य द्वार व एक छोटा द्वार तहसील व कलेक्ट्रेट प्रांगण आने जाने हेतु सुरक्षित है जहाँ न्यायालय प्रशासन, पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन की मुश्तैदी के चलते डिटेक्टर प्रणाली से लैश होकर परिसर में आने जाने वालों की सुरक्षाकर्मियों की सघन तलाशी अभियान प्रक्रिया से परिपूर्ण है जिसके चलते बाराबंकी न्यायालय परिसर पूर्णतया सुरक्षित स्थान है ऐसी दशा में नयी पद्धति लागू किया जाना मात्र जुनियर्स/प्रशिक्षण हेतु आने वाले अधिवक्ताओ,
वादकारियों व पीड़ितों का शोषण मात्र होगा चूंकि जिला बाराबंकी न्यायालय प्रांगण की सुरक्षा के प्रति न्यायालय प्रशासन, पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन हमेशा ही सतर्क रहा है लिहाजा इसमें किसी प्रकार की फेर बदल की आवश्यकता नही है।परन्तु इसके बाउजूद जनपद न्यायालय बाराबंकी में लागू की जा रही व्यवस्था अधिवक्ताओ व वादकारियों के कतई हित मे नही है,लागू की जा रही व्यवस्था के तहद अतिआवश्यक कार्य से आने जाने वाले व अपने प्रचलित वादों की पैरवी कर रहे वादकारियों सहित जुनियर्स/प्रशिक्षण हेतु आने वाले अधिवक्ताओ तथा पुलिस प्रताड़ना के शिकार फर्जी मुक़दमो से ग्रसित न्यायालय पर आत्मसमर्पण कर पुलिस उत्पीड़न से बचाव व न्याय प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले व्यक्तियो को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा जिससे "वादकारीहित सर्वोपरि" व "शिक्षा व प्रशिक्षड का अधिकार" बाधित होगा।
2- यहकि जनपद न्यायालय बाराबंकी की सुरक्षा व्यवस्था सुरक्षा कर्मियों की मुश्तैदी व जनपद न्यायधीश महोदय की सतर्कता के चलते पूर्व से ही पुख्ता है साथ ही लगभग प्रतिदिन जनपद न्यायाधीश द्वारा अन्य न्यायाधीशो व सी.जी.एम महोदय के साथ न्यायालय परिसर में भ्रमण कर व महीने में एक से दो बार जनपद न्यायाधीश महोदय द्वारा जिला अधिकारी व पुलिस अधीक्षक के साथ संयुक्त रूप से सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाता है जिसके चलते सुरक्षा व्यवस्था पर सन्देह किया जाना या बदलाव किया वादकारियों के लिए हितकर नही है जिसकारण सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव विचार योग्य नही है।
है। बल्कि न्यायालय परिसर में मात्र एक "न्यायालय पुलिस चौकी" की स्थापना की आवश्यकता है लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था के इंतजामात के साथ कोई छेड़ छाड़ न करते हुए मात्र पुलिस चौकी की स्थापना करवाई जाए तो सकारात्मक परिणामो में इज़ाफ़ा संभव है।
श्रीमान जी से निवेदन है कि प्रार्थी को जिला न्यायालयों की सुरक्षा के दृष्टिगत स्वयोजित PIL NO-2436/2019 में बतौर पक्षकार/आपत्तिकर्ता/जवाबदाता/सुझाव प्रस्तुतकर्ता बनाकर प्रार्थी की आपत्ति/जवाब/सुझाव स्वीकार कर उक्त PIL में शामिल करते हुए अग्रिम कार्यवाही किये जाने की याचना की है ।
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