गांधी स्मृति से महत्वपूर्ण तस्वीरें हटाने का आरोप

तारकेश्वर टाईम्स (हि0दै0)


बस्ती  ( उ0प्र0 ) । महात्मा गांधी की हत्या से करीब एक घंटा पहले ब्रेसन ने उनकी तस्वीरें खींची थीं । उन्होंने महात्मा के अंतिम संस्कार की तस्वीरों के साथ आम लोगों के दुख को भी अपने कैमरे में उतारा था । बिड़ला हाउस के जिस हिस्से में संध्या वंदना के बाद नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी थी, उसे संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है ।जहां ब्रेसन की तस्वीरों के साथ महात्मा गांधी की अन्य यादगार वस्तुएं और तस्वीरें लगाई गई हैं । महात्मा गाँधी के परपौत्र तुषार गांधी का कहना है कि कुछ महत्वपूर्ण तस्वीरों को वहां से हटा दिया गया है ।



गांधी स्मृति के निदेशक का कहना है कि कुछ बदला नहीं है । तस्वीरें अब भी वहीं हैं । फोटो गैलरी की बात करें तो बाकी सभी फोटो वैसी ही हैं । फोटोग्राफर हेनरी कार्तियर ब्रेसन की बापू की हत्या से संबंधित तस्वीरों को वहां से हटाया गया है । उसकी जगह पर 42 इंच की एलईडी स्क्रीन लगा दी गई है।    गांधी स्मृति के निदेशक दीपांकर श्री ज्ञान के अनुसार वो तस्वीरें भी हैं और एलईडी स्क्रीन भी हैं । आप चाहें तो दोनों को देख सकते हैं । दीपांकर ने बताया कि इस तरह के कुल 13 पैनल हैं जिन्हें किसी स्टोररूम में रखा गया है, जिसे हमें दिखाने से वो हिचकिचा रहे थे.  इसके बाद उन्होंने बताया कि डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत कुछ तस्वीरों को हटाया गया है और उन्हीं तस्वीरों को स्क्रीन पर 2-2 मिनट के अंतराल में दिखाया जाएगा । तस्वीरों को हटाने के कारण के बारे में उन्होंने कहा, ‘तस्वीरों को लोग, खासकर बच्चे छूते थे । अब डिजिटलाइजेशन करने से कोई छू नहीं पाएंगे । बैकग्राउंड में संगीत भी चलता रहेगा, जिससे लोगों को अच्छा लगेगा । उन्होंने कहा, ‘गांधी स्मृति एक स्वतंत्र निकाय' है । सरकार इसमें सिर्फ फडिंग करती है ।



 तुषार गांधी इस बदलाव से काफी हैरान हैं । उन्होंने गांधी की हत्या संबंधी तस्वीरों को हटाकर एलईडी स्क्रीन लगाए जाने पर रोष जताते हुए कहा, ‘वे फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तियर ब्रेसन की ली हुई तस्वीरें थीं । उन्होंने उनके प्रिंट्स बनाकर गांधी स्मृति को भेंट में दिया था । उन्होंने कहा कि ‘बापू की हत्या और उसके बाद की कहानी को प्रदर्शित करती बहुत ही उम्दा और जीवंत तस्वीरें थीं । उन तस्वीरों के जरिये उस दौर का इतिहास और उस घटना को अच्छे से समझाया गया था । लोग जब उन्हें देखते और पढ़ते थे, तब आसानी से समझ आता था कि क्या घटना हुई और क्या इतिहास था ।' तुषार गांधी का दावा है कि यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर किया गया है । उन्होंने कहा, ‘मैंने जब वहां इन तस्वीरों को हटाए जाने के बारे में तहकीकात की, तो पता चला कि नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां आए थे और उनके आदेश के मुताबिक उन तस्वीरों को हटाया गया है ।



उन्होंने यह भी कहा, सब चीजों को डिजिटलाइज नहीं करना चाहिए । कुछ चीजों के दार्शनिक महत्व को समझकर उन्हें वैसे ही रखना चाहिए । इससे मुझे दुख भी हुआ और ये शक भी हुआ कि उनकी ये मंशा थी कि उस इतिहास को लोग न समझ पाएं इसलिए इन तस्वीरों को हटाकर इतिहास को दबोचने की कोशिश की है । उन्होंने यह भी कहा, एलईडी स्क्रीन में सभी तस्वीरें आ तो रही हैं, लेकिन बहुत छोटे-छोटे आकार में हैं, जो आकर्षण उन तस्वीरों को बड़े-बड़े आकार में देखने में था, वो उसमें नहीं है । अब आप तस्वीर को जब तक समझ पाएं तब तक वह तस्वीर चली जाएगी । कई बार लोग वहां से निकल जाते थे, उनको पता भी नहीं चलता कि इन स्क्रीन पर तस्वीरें चलती हैं ।’



इस बहस के बीच केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने शुक्रवार को कहा कि गांधी स्मृति और दर्शन समिति में लगी जाने माने फोटोग्राफर हेनरी कार्टियर ब्रेसन द्वारा खिंची गई महात्मा गांधी के अंतिम क्षणों की मूल तस्वीर की जगह उनका प्रिंट लगाने का कोई सवाल ही नहीं है । पटेल ने पत्रकारों से कहा, ‘तस्वीरों को हटाने का कोई सवाल नहीं है । दोनों एलईडी स्क्रीन और तस्वीरें अलग-अलग जगहों पर एक ही समय में दिखाई जाएंगी । दर्शक एलईडी स्क्रीन पर तस्वीरों को देखेंगे जबकि बेहतर विस्तृत समझ के लिए फ्रांसीसी फोटोग्राफर की तस्वीरें भी दिखेंगी ।’
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