सत्येन्द्र मोहन सिंह "महल" का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण

तारकेश्वर टाईम्स  ( हि0दै0 )


दिव्यांग बच्चों की बदहाली , सीडब्ल्यूसी और सत्येन्द्र मोहन सिंह "महल" का इस्तीफा 


आदेश न मानने वाले अफसरों को कभी कटघरे में खड़ा करते थे, अब सिस्टम से हार मान सीडब्ल्यूसी चेयरमैन का पद छोड़ दिया है ।  कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने वाले लापरवाह अफसरों को कटघरे में खड़े करने वाले न्याय प्रिय ईमानदार न्यायिक अधिकारी हैं रिटायर्ड सेशन जज सत्येंदर मोहन सिंह ( महल ) । इनके जैसे अधिकारियों की बातों और सुझाव पर शासन को अमल करते हुए प्रोत्साहित भी करना होगा । जिससे कार्य करने में मन लगे और बच्चों / दिव्यांगों की सहायता की मंशा धरातल पर पूरी हो । इस तरह इस्तीफा देने की स्थिति दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है ।



कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने वाले लापरवाह अफसरों को कटघरे में खड़े करने वाले रिटायर्ड सेशन जज सत्येंदर मोहन सिंह महल ने खुद लालफीताशाही के शिकार सिस्टम से तंग आकर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के चेयरमैन पद से इस्तीफा देना बेहतर समझा । अगस्त 2018 में रिटायर्ड सेशन जज को महल को सीडब्ल्यूसी कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया था। उदासीन सिस्टम में कोई सुनवाई न होने पर उन्होंने करीब एक महीना पहले इस्तीफा दे दिया । उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के अधिकारों को लेकर कई बार जिला प्रशासन को लिखा । बीते 12 महीनों में प्रशासन की ओर से या फिर सरकार की ओर से कोई खास पहलकदमी नहीं हुई। दिव्यांग बच्चों को दिक्कतें आ रही हैं । सेंटर्स में केवल खानापूर्ति हो रही है। न्याय नहीं दिला पाने पर सीडब्ल्यूसी से इस्तीफा देना ही ठीक समझा ।


कमेटी में होते हैं चेयरमैन सहित पांच मेंबर : - दिव्यांग बच्चों को रहने, खाने, एजुकेशन और नौकरी तक में उनका अधिकार दिलाने के लिए सभी जिलों में अगस्त 2018 में सीडब्ल्यूसी का गठन हुआ था। कमेटी में 4 मेंबर (ज्यूरी ऑफ एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट) और एक चेयरमैन सहित पांच लोग होते हैं । कमेटी के सभी सदस्य जिले के प्रत्येक होम सेंटर पर महीने में दो बार जाना होता है । ये मेंबर बच्चों से मुलाकात करते हैं , उनकी समस्याओं को सुनते हैं । इसके बार चेयरमैन अपनी रिपोर्ट डीपीओ के माध्यम से सरकार को भेजते हैं । इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार बच्चों को सुविधाएं मुहैया कराती है ।


तीन सदस्यीय टीम कर रही सुनवाई : - सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन के इस्तीफा देने के बाद बच्चों के मामलों की सुनवाई तीन सदस्यीय टीम कर रही है। नए चेयरमैन की नियुक्ति कब तक होगी, इस पर अभी संशय बना हुआ है। सूत्र बता रहे हैं कि पूरे राज्य में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सरकार ने जल्द ही कोई कठाेर कदम नहीं उठाया तो एक-एक कर कमेटी के सभी मेंबर इस्तीफा दे सकते हैं।


जालंधर में चल रहे सबसे ज्यादा सात होम : - दिव्यांगों के लिए सबसे अधिक हाेम जालंधर में हैं। यहां 7 होम हैं। 3 सेंटर गांधी वनिता आश्रम में हैं। नारी निकेतन, मदर टेरेसा, मिशनरी होम, यूनिक होम और पिंगला घर हैं। लगभग 500 बच्चे रह रहे हैं।


15 महीने से नहीं मिला मानदेय : - अगस्त 2018 में सीडब्ल्यूसी का गठन होने के बाद से मेंबरों को एक रुपया भी नहीं मिला । प्रत्येक मेंबर को हर मीटिंग में 1500 के हिसाब से मानदेय मिलता है । चेयरमैन को करीब 500 रुपए अतिरिक्त मिलते हैं ।


इस तरह गठित हाेती है कमेटी : - किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 27 एवं पंजाब किशोर न्याय नियमावली 2017 के नियम 15 के अंतर्गत समिति गठित की जाती है । जिले में पांच सदस्यीय कमेटी है । चेयरमैन रिटायर्ड जज को बनाया जाता है । आमोद उपाध्याय
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