मिले चंद्रयान - 2 के विक्रम लैंडर के अवशेष
तारकेश्वर टाईम्स ( हि0दै0 )
( ऋषभ शुक्ल )
नई दिल्ली । नासा ने अपने लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (LRO) सैटेलाइट की खींची तस्वीरों को ट्वीट किया है । इनमें लैंडर के टकराने वाली जगह और मलबे वाले क्षेत्र को दिखाया गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने घटना के पहले और बाद की तस्वीरें भी पोस्ट कीं ।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक , चांद की परिक्रमा कर रहे उसके सैलेटलाइट्स ने भारतीय अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान - 2 के लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर तलाश लिया है ।
सात सितंबर 2019 को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कर रहे विक्रम लैंडर से मिशन पूरा होने के चंद सेकेंड पहले संपर्क टूट गया था ।
नासा ने अपने लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (LRO) सैटेलाइट की खींची तस्वीरों को ट्वीट किया है । इनमें लैंडर के टकराने वाली जगह और मलबे वाले क्षेत्र को दिखाया गया है । नासा ने एक बयान में कहा कि मलबा मेन क्रैश साइट से 750 ( सात सौ पचास मीटर ) मीटर उत्तर पश्चिम में मिला ।
अमेरिकी एजेंसी ने घटना के पहले और बाद की तस्वीरें भी पोस्ट कीं , जिनसे चांद की सतह पर लैंडर के टकराने के बाद हुए असर के बारे में पता चलता है।
भारतीय अंतरिक्ष इसरो ने चांद की सतह पर उतरने की कोशिश के बाद इसरो ने इस बात की पुष्टि की थी , कि उसका ऑर्बिटर से संपर्क पूरी तरह खत्म हो चुका है । बाद में नासा ने कहा था कि चंद्रयान - 2 के विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर 'हार्ड लैंडिंग' हुई थी । विक्रम लैंडर चंद्रयान - 2 स्पेसशिप के तीन प्रमुख हिस्सों में से एक था । चांद की सतह पर उतरने के 2 . 1 किमी पहले इससे संदेश आने बंद हो गए ।
अगर यह मिशन कामयाब होता तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया के चंद देशों में शुमार हो जाता । इस मिशन पर करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आया था । मकसद तो यही था कि विक्रम लैंडर के अंदर रखा प्रज्ञान रोवर एक चंद्र दिवस ( धरती के 14 दिन ) तक चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करता और जरूरी आंकड़े और तथ्य जुटाता।
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