कैब के विरोध में प्रशान्त किशोर

तारकेश्वर टाईम्स  (हि0दै0)     पटना  ( बिहार ) । जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पिछले पांच दिनों से लगातार नागरिकता संशोधन बिल पर पार्टी लाइन से हटकर बोल रहे हैं । ऐसा लगता है कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आर-पार करने का मूड बना लिया है । शुक्रवार (13 दिसंबर) को उन्होंने फिर ट्वीट किया , संसद में बहुमत कायम रहा । अब न्यायपालिका से परे भारत की आत्मा को बचाने का काम 16 गैर - भाजपाई मुख्यमंत्रियों के कंधों पर है , क्योंकि यह ऐसे राज्य हैं जिन्हें ये काम करने हैं ।”



प्रशांत ने लिखा कि “ तीन मुख्यमंत्रियों ( पंजाब , केरल और पश्चिम बंगाल ) ने नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी. को ना कहा है । अब दूसरों के भी रुख स्पष्ट करने का समय आ गया है ।” जेडीयू नेता ने एक दिन पहले लिखा था कि हमें भले बताया जाता है कि नागरिकता संशोधन विधेयक ( CAB ) नागरिकता देने के लिए है और किसी से नागरिकता छीनने के लिए नहीं । लेकिन सच्चाई एनआरसी. के साथ है ।यह है कि यह धर्म के आधार पर लोगों के साथ व्यवस्थित रूप से भेदभाव , और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक कॉम्बो में बदल सकता है ।  
प्रशांत ने ग्यारह दिसंबर को सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था । उन्होंने लिखा था कि कैब को समर्थन देते समय जेडीयू नेतृत्व को साल 2015 की उस घड़ी को भी याद कर लेना चाहिए , जब लोगों ने उनमें आस्था जताई थी और सत्ता सौंपी थी । उन्होंने लिखा , “हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे ।”


बता दें कि प्रशांत किशोर लंबे समय से पार्टी में हाशिए पर चल रहे हैं । इस बीच जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पीके को नसीहत और चेतावनी भी दी है , कि अगर उन्हें पार्टी लाइन से हटकर कुछ कहना है तो वो पार्टी फोरम के अंदर कहें ।
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