कहाँ सेफ हैं बेटियां : प्रासंगिक रचना

तारकेश्वर टाईम्स  (हि0दै0)



समाज में आज महिलाएं असुरक्षित हैं । बेटियों की सुरक्षा और उनके स्वाभिमान को लेकर हमारा समाज चिन्तित है । यह एक बड़ी चिन्ता का विषय है । नित नये महिला उत्पीड़न और विभिन्न उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं । हमारा समाज किस ओर जा रहा है । इसी विषय पर गाजियाबाद की कवियित्री अर्चना पाण्डेय की रचना आज के परिवेश में अत्यंत प्रासंगिक है । इसमें उन्होंने बेटियों के जन्म के समय से ही होने वाली चिन्ताओं को रेखांकित किया है । 
प्रस्तुत है अर्चना पाण्डेय की ये रचना : -
 तुझे दुनिया में लाऊं या , 
ये आस ही छोड़ दूँ ।
मैं ये सुनहरा स्वप्न , 
खुद ही आज तोड़ दूं ।
तुझे कैद कर रखूं  ,
मैं घर के इस पिंजरे में ।
ये नामुमकिन है गुड़िया ,
क्यों न मैं , तेरी तमन्ना ही छोड़ दूँ ।
कहाँ सेफ हैं बेटियां ।।
                अर्चना पाण्डेय
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