ज्ञानार्जन का सशक्त माध्यम है पुस्तक मेला : डाॅ0 वीरेन्द्र त्रिपाठी


बस्ती ( उ0प्र0 ) ।   ( ऋषभ शुक्ल )
    स्थानीय शहर में एक सप्ताह के लिए लगने वाला पुस्तक मेला सोलह नवम्बर से आरंभ होगा । इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं । पुस्तक मेले को अधिक से अधिक आकर्षक और उपयोगी बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है । सामाजिक कार्यों में रूचि रखने वाले तमाम बुध्दिजीवियों की सहभागिता से पुस्तक मेले के आयोजन में नवीन कार्यक्रमों का भी समावेश किये जाने पर विचार किया जा रहा है । 


        पुस्तक मेला आयोजन समिति से जुड़े और साहित्यिक - सामाजिक गतिविधियों में रूचि रखने वाले प्रख्यात चिकित्सक डाॅ0 वीरेन्द्र त्रिपाठी ने उक्त बातें कहीं । 
डाॅ0 त्रिपाठी ने इस मेले को बुद्धिजीवियों के ज्ञानार्जन और युवाओं के लिए प्रेरणा का श्रोत बताया है । इन्होंने एक छोटे से उदाहरण के माध्यम से पुस्तक मेले की उपयोगिता को बड़ी ही सरलता के बताने का प्रयास किया है । डाॅ0 त्रिपाठी ने कहा कि हम समय को AM और PM के रूप में जानते हैं और उपयोग में लाते हैं , परन्तु इसका शाब्दिक और वास्तविक अर्थ बहुत ही कम लोगों को पता होगा । उन्होंने कहा कि A.M. मतलब एंटी मेरिडियन (ante meridian) और P.M. का मतलब  पोस्ट मेरिडियन ( post meridian) होता है ।



डाॅ0 साहब बताते हैं कि  एंटी यानि पहले, लेकिन किसके ? और पोस्ट यानि बाद में, लेकिन फिर वही सवाल, किसके ? ये कभी साफ नही किया गया क्योंकि ये चुराये गये शब्द का लघुत्तम रूप था । किसके = जहां कारक खुद गौण है ।
हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियो में उड़ा दिया और अब, सबकुछ साफ साफ दृष्टिगत है ।



A.M. = आरोहनम मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
P.M. = पतनम मार्तण्डस्य Patanam Martandasya
  डाॅ0 वीरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौड़ कर दिया गया , कैसे गौड़ किया ये सोचनीय है और बेतुका भी। भ्रम इसलिये पैदा होता है कि अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नही इंगित करते जो कि वास्तविकता में हैं ।



उन्होंने स्पष्ट किया कि : - आरोहणम् मार्तडस्य् Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव) और पतनम् मार्तडस्य् Patanam Martandasaya यानि सूर्य का ढलाव ।
 दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है आरोहनम मार्तण्डस्य (AM), बारह के बाद सूर्य का अवसान, पतन होता है 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
 इसलिए कहा जाता है की संस्कृत कई भाषा की जननी है।



            आओ लौट चले भारत की ओर
  डाॅ0 वीरेन्द्र त्रिपाठी ने ऐसी तमाम दुर्लभ जानकारियों वाली पुस्तकें भी इस तरह के मेलों में उपलब्ध होती हैं , इसलिए ऐसे कार्यक्रमों की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है । उन्होंने मेले में अधिक से अधिक लोगों से अपनी सहभागिता का योगदान देकर पुस्तक मेले को सफल बनाने का आग्रह किया है । 
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