कानून की नजर में राम नाबालिग, सीएम योगी ने किया हवन यज्ञ


                      (प्रशान्त द्विवेदी )


नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमें की सुनवाई अंतिम दौर में है। इस मुकदमें में अन्य पक्षों के अलावा रामलला विराजमान और जन्मस्थान की ओर से अलग से मुकदमा दाखिल कर जन्मभूमि पर मालिकाना हक का दावा दिया गया है। मुकदमें में दोनों को अलग अलग देवता और न्यायिक व्यक्ति बताते हुए निकट मित्र की ओर से मुकदमा किया गया है। हिन्दू पक्ष का पूरा जोर दोनों को देवता और न्यायिक व्यक्ति साबित करने पर है जबकि मुस्लिम पक्ष जन्मभूमि को देवता और अलग से न्यायिक व्यक्ति मानने का विरोध कर रहा है। राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इस मुकदमें में दोनों ओर से किये जा रहे प्रतिस्पर्धी दावे को देखते हुए देवता के बारे में कानूनी स्थिति पर विचार करना अहम हो जाता है।
कानून की निगाह में मूर्ति यानी हिन्दू देवता न्यायिक व्यक्ति माना जाता है और उसे वही सारे अधिकार प्राप्त होते है जो कि किसी जीवित व्यक्ति के होते हैं। लेकिन देवता के संबंध में सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि कानून की निगाह में देवता हमेशा नाबालिग होते हैं। देवता के नाबालिग होने के कारण उनकी संपत्ति को लेकर सामान्य बालिग व्यक्ति की संपत्ति पर लागू नियम से भिन्न नियम लागू होते हैं।


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      दुर्गा अष्टमी के अवसर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने गुरू गोरक्षनाथ मन्दिर में किया हवन यज्ञ 
गोरखपुर ( उ0प्र0 ) । श्रीगोरखनाथ मन्दिर में शारदीय नवरात्र में चल रहे दुर्गा पूजन के अवसर पर आज प्रातः सप्तमी को माँ कालरात्रि का पूजन हुआ एवं विधिवत् आरती गोरखनाथ मन्दिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ जी द्वारा सम्पन्न हुई। नाथ सम्प्रदाय की परम्परा के अनुसार हवन एवं महानिशा पूजा रात्रि में अष्टमी होने पर ही होता है, इसलिए आज सायं से अष्टमी लगने के कारण परम्पूज्य गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज द्वारा गौरी गणेश पूजन, वरूण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, स्थापित माँ दुर्गा की विधिवत् पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोडसोपचार पूजन, भगवान कृष्ण एवं गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादस ज्योर्तिलिंग-अर्धनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, वटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ हुआ। तत्पश्चात् सायं 7.00 बजे वेदी पर उगे (जमे) जई (जौ के पौधे) को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं आचार्यगण द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच काटा गया तत्पश्चात् हवन वेदी पर ब्रहा्र, विष्णु, रूद्र तथा अग्नि देवता का आह्वान एवं पूजन किया गया। इसके उपरान्त दुर्गा सरस्वती के सम्पूर्ण पाठ के साथ हवन किया गया। सात्विक बलि के रूप में नारियल, गन्ना, केला, जायफर आदि का सात्विक बलि देकर पूज्य महन्त जी महाराज द्वारा शक्ति आराधना का कार्य सम्पन्न हुआ। अन्त में आरती एवं क्षमायाचना के बाद प्रसाद वितरण हुआ।
रात्रि में अष्टमी की विशेष महानिशा पूजा विधिविधान से गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा नाथ परम्परा के अनुसार वैदिक मंत्रों के बीच सम्पन्न कराया गया।
इस अवसर उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए परम् पूज्य महन्त जी महाराज ने कहा कि शारदीय नवरात्र शक्ति संग्रह का महापर्व है इस नवरात्र में विधि पूर्वक महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती की समष्ठी रूप, अष्टभुजा दुर्गा के प्रत्यक्ष रूप से विधि पूर्वक पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। महाष्टमी का महानिशा पूजा एवं सात्विक पंचबलि से न केवल शारीरिक एवं मानसिक क्लेश दूर होते है अपितु शक्ति संचय के साथ-साथ यश एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।


हवन, पूजन एवं पाठ का सम्पूर्ण कार्यक्रम मठ पुरोहित पं0 रामानुज त्रिपाठी वैदिक के नेतृत्व में डाॅ0 अरविन्द कुमार चतुर्वेदी, डाॅ0 रोहित कुमार मिश्र, पुरूषोत्तम चैबे, डाॅ0 दिग्विजय शुक्ल, बृजेश मणि मिश्र एवं अन्य श्री गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ के अन्य आचार्यगण तथा वेद पाठी छात्रों द्वारा सम्पन्न कराया गया।


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