बुराई पर अच्छाई की विजय है विजय दशमी, न कि महाज्ञानी रावण पर राम की


🎯  बुराई पर अच्छाई की विजय है विजय दशमी, न कि महाज्ञानी रावण पर राम की


महात्मा रावण में सिर्फ बुराई ही क्यों ढूंढ़ी जाती है यह समझ में नहीं आता, यद्यपि उन्होंने कुछ बुरे कार्य किए जो कि निंदनीय हो सकते है, उन कार्यों की प्रसंसा नहीं की जा सकती परंतु फिर भी बुरे होने के साथ-साथ उनमे बहुत सी अच्छाइयां भी थी, जो लोग नहीं देख पाते।
      महापंडित रावण दुनिया के प्रथम समाजवादी व समस्त वेदों के ज्ञाता सारी गुप्त विद्याओं तंत्र-मन्त्र औषधियों सहित वर्तमान भूत भविष्य के ज्ञाता त्रिकालदर्शी भगवान भोले के शिष्य और नाथ सिद्धो में से एक महाप्रतापी तो थे ही साथ ही उन्होंने संसार की हर तरह की निधि और ज्ञान धारण करने के कारण जब ये महसुस किया कि अब उनको या उनके वंश को कोई समाप्त नही कर सकता तो उन्होंने ही अपने और अपने कुल के उद्धार हेतु श्री हरी को विवश किया धरती पर जन्म लेने के लिए, क्योकि उन्हें मालुम था कि ऐसा नही किया गया तो प्रकृति का नियम बिगड़ जाएगा और कोई भी ज्ञानी पंडित इतना बड़ा इतिहास द्रोही कार्य करके अपने को इतिहास में कलंकित नही कर सकता था।
      अस्तु भगवान के हाथो अपने कुल के सभी महारथियों को मोक्ष दिला कर अंत में खुद भी प्रभु के हाथो मोक्ष प्राप्त किया।
      महाज्ञानी रावण इतने शक्तिशाली थे कि वो अपना भविष्य खुद लिखते थे, वो अपने हिसाब से ग्रह नक्षत्रों को रखते थे, रावण परम् सिद्ध थे, इसलिए उनको नाथ सम्प्रदाय के 84 सिद्ध महात्मो में भी इनका नाम है नाथ सम्प्रदाय में इनका नाम लंकनाथ है, रावण इतने ज्ञानी थे कि जब रावण का अंतिम समय चल रहा था तब भगवान श्रीराम जी ने लक्ष्मण जी को उससे ज्ञान प्राप्त करने को कहा था।
      प्रभु श्रीराम का आचरण सहित हमारे सभी धर्म ग्रंथ भी हमें किसी की अच्छाइयों को ही ग्रहण करने हेतु प्रेरित करते हैं, किन्तु हमारे समाज के ठेकेदारो ने अपनी पेट पूजा के लिए जातिवाद का जो विष वृक्ष लगा रखा है उसको सींचने के लिए रावण जेसे महापराक्रमी महाज्ञानी जिसके पराक्रम व ज्ञान के खुद भगवान श्रीराम कायल हो गए थे, उसको समाज में एक तुक्ष रूप में पेश किया, जिससे उनके स्वार्थ की सिद्धि होती रहे, रावण को आज जलाने वाले रावण के अंश मात्र भी नही है, शायद रावण से अधिक निंदनीय कार्य तो हम अपने दैनिक जीवन में करते ही रहते हैं तो हम किस आधार पर उसका हर साल पुतला जलाते है?
      स्मरण रहे श्रीराम जी ने जब लंका विजय प्राप्त की थी तब भी उसका पुतला नही जलाया गया था कुछ लोगो ने अपनी तरफ से गलत परम्परा स्थापित कर दी है जो नर्क के दरवाजे पर खड़ा कर रही है, महाज्ञानी रावण को समझने के लिए शायद कई जन्म कम पड़ सकता है।
      रावण की बुराई को जलाया जाता है जो हर समय बोलते दिखेंगे, गौर कीजियेगा, रावण का जिक्र बहुत ही सुंदर छवियों में लिया जाता है।  
      रामेश्वरम में राम के आचार्य रहे थे रावण कययन की समस्त संसार मे बड़े पंडितों में अंकित है नाम।


नरेन्द्र पंडित
  (पत्रकार)


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रमंति इति राम: , राम जीवन का मंत्र

बस्ती : चुनाव में क्षति पहुचाने वाला भाजपा पदाधिकारी निष्कासित

सो कुल धन्य उमा सुनु जगत पूज्य सुपुनीत