समाजसेवा ही वैभव के जीवन का लक्ष्य


    (के. के. मिश्र) 


सन्त कबीर नगर (उ.प्र.) । विभिन्न उपलब्धियों के साथ धरती से लेकर आसमान तक की सफलताओ मे जिस बुलन्द इरादे और दृढ़ इच्छा शक्ति की देन है वह शक्ति प्रभा देवी ग्रुप के डायरेक्टर और समाजसेवी वैभव चतुर्वेदी के रग - रग मे देखा जा रहा है। चारों तरफ से उन अनेकों रुकावटों से घिरने के बावजूद अपने लक्ष्य और जीवन उद्देश्य को टूटने नही दे रहे है जो उन षड्यंत्रों का हिस्सा है जो कही न कही कमजोर व्यक्ति को केवल सत्कर्म से ही नही डिगाता है बल्कि आत्महत्या जैसे उस कृत्य के भंवर जाल मे डालने का काम करता है जिसे मानव जीवन की सबसे बड़ी भूल कही जाती है ।   



बता दें कि जबसे प्रभा देवी ग्रुप के डायरेक्टर वैभव चतुर्वेदी शिक्षा जगत मे अपनी एक पहचान बनाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर ब्लूमिंगबड्स शिक्षा संस्थान को बेहतर शिक्षण के रूप मे ख्यापित कर सामाजिक स्तर पर उतर कर समाजसेवा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होने लगे हैं तबसे ऐसे अनेको षड्यंत्रो का शिकार बनाये जाने लगे है जो जीवन लक्ष्य से भटकाता ही नही है बल्कि दुनिया से उदासीन बना देता है । लेकिन जैसा कि इस देश में सत्कर्म आदि करने वाले पुण्यात्माओं का इतिहास कसौटी पर खरा उतरने का विभिन्न रूप मे मिलता है, चाहे सत्य पालन करने वाले राजा हरिश्चन्द्र की बेहद कठिन सत्य की अग्निपरीक्षा हो चाहे , दया की कसौटी पर कसे गये राजा शिवि हो , चाहे वेदांत मार्ग को प्रशस्त करने वाले जगद्गुरु आदि शंकराचार्य हो , चाहे सामाजिक स्तर पर सुधार लाने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती हो , चाहे मानवता का पाठ पढ़ाने वाले सूफी सन्त कबीर दास आदि हो । हर उन महापुरुषो पुण्यात्माओं को कसौटी से गुजरना पड़ा है जो एक बेहतर सुखमय जीवन के रूप मे मानव जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश किये हैं जीवन का लक्ष्य बनाये है । ऐसे मे अगर शिक्षा जगत मे बेहतर शिक्षा के रूप मे शिक्षण संस्थान को राष्ट्रीय पहचान देकर समाजसेवा के पथ पर कदम रखने वाले युवा नेक दिल वैभव चतुर्वेदी के साथ हो रहा है तो कौन सी बड़ी बात है । यह और बात है कि समाजसेवी बनने के लिए एकमात्र पवित्र भावना सेवा का होना काफी होता है लेकिन इसका रास्ता इतना आसान तो नही है । वैसे भी सत्कर्म के सभी मार्ग बड़े कठिन है सत्य पर चलना कौन सा सरल है ? दया का जीवंत भाव रखना कौन सा आसान व्रत है ? अहिंसा को जीवन सार समझना एवं क्षमा , शान्ति को धारण करना कौन सा सरल गुण है इनमे से किसी एक गुण को धारण करने वाला ऐसा कौन रहा है जिसे अग्निपरीक्षा से गुजरना नही पड़ा है ? और फिर समाजसेवा मे सभी गुणों का समावेश होता है ऐसे मे भला कसौटी से बचना कहां मुमकिन है । बहरहाल नामुमकिन भी नही है जिनके इरादे नेक नीयत से बुलन्द हो और लक्ष्य पर अर्जुन जैसी दृष्टि हो उसे वह वक्त भी नही झुका सकता है जो किसी मिले अवसर मे तोड़ने मे कोई कोर कसर नही छोड़ता । वह दिन दूर नही जब वैभव चतुर्वेदी का वैभव समाजसेवा के रूप मे चारों तरफ फैला दिखायी देगा । आज जो वक्त षड्यंत्र के साथ मिला हुआ नजर आ रहा है कल वही वक्त कहेगा वैभव तुम्हारा वैभव चहुंओर फैले हम तुम्हारे साथ हैं ।


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