आत्महत्या रोकने में कारगर है किरण, रोकथाम दिवस मनाया गया


(विशाल मोदी) 


 बस्ती (उ.प्र.) । राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम - बस्ती के साइक्रेटिक सोशल वर्कर डॉ. राकेश कुमार द्वारा लोगों को विश्व आत्महत्या दिवस के बारे में जागरूक करते हुए 10 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (World Suicide Prevention Day 2020) विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विकास भवन सभागार में में ग्राम प्रधानों को जागरूक किया गया। आजकल लोगों में अवसाद लगातार बढ़ रहा है, इसी वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं दुनिया भर में खुदकुशी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। कोरोना काल में आत्महत्या का रेट लगातार बढ़ रहा है, लोगों में हताशा और निराशा बढ़ रही है. भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य रीहेबिलेशन हेतु “किरण” नामक हेल्पलाइन 1800-500-0019 आरम्भ की गयी है। इस हेल्प लाईन द्वारा लोगों काउन्सलिंग सेवाए प्रदान की जा रही हैं। आजकल हर उम्र एवं वर्ग के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। कई सारी चीजों से लोगों का मोह भंग हो रहा है। इस साल वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की थीम ‘वॉकिंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड’ यानी आत्महत्या की रोकथाम के लिए साथ काम करना है, रखी गई है। आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकने के लिए इसे 2003 में शुरु किया गया था। इसकी शुरुआत आईएएसपी (इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी।  



कार्यक्रम के नोडल अधिकारी / उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ सी.के.वर्मा द्वारा लोगों को आत्महत्या की रोकथाम के साथ-साथ विश्व स्तर पे हो रही आत्महत्या के आंकड़े दिए। आंकड़ों के मुताबिक लोगों में पारिवारिक समस्याओं के चलते अपना सफर खत्म कर लेते हैं। कई सारे लोग अपनी नौकरी या फिर शादीशुदा समस्याओं की वजह से परेशान होकर ऐसा कदम उठाते हैं। वहीं कुछ एग्जाम और बेरोजमागरी जैसी चीजें भी इस लिस्ट में हैं। अकेलेपन का शिकार होने की वजह से व्यक्ति आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। हर साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। यह स्थिति बहुत डराने वाली है। इससे पता चलता है कि आज के टाइम में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव है। इस डेटा के मुताबिक दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं। जब कोई मानसिक तौर से परेशान रहता है तो ऐसे में उसके व्यवहार में कुछ समय से आपको बदलाव देखने को मिलेंगे। ऐसे लोग अक्सर चीजों से और लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं। साथ ही ऐसे लोग सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं।  



गैर संचारी रोग कार्यक्रम के प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी आनन्द गौरव शुक्ल ने इस बार की थीम “आत्महत्या की रोकथाम के लिए साथ काम करना है” को विस्तार से बताया। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने है। देश-दुनिया में रोजाना कई लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए इसके शुरुआती लक्षणों का पता होना बहुत जरूरी होता है। आत्महत्या के शुरुआती लक्षणों का पता होने पर हम किसी की जान बचाने में सफल हो सकते हैं।   



आत्महत्या जैसा बड़ा कदम कोई भी अचानक नहीं उठाता है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बहुत लंबे समय से सुसाइड करने के बारे में सोच रहा होता है।


     आत्महत्या करने के कारण :-


• प्रिय व्यक्ति के निधन के कारण व्यक्ति आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा सकता है • हमेशा दुखी रहने वाला व्यक्ति • सोशल मीडिया / अपने लोगों से मित्रों और रिश्तेदारों से दूरी बना लेते हैं आत्महत्या करने वाले लोग • व्यवहार में बदलाव आने लगता है • किसी चीज से डर भी हो सकता है आत्महत्या का कारण • व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है 


           किसानो के लिए विशेष


आपका जीवन न केवल आपके लिए बल्कि हमारे लिए भी लाखों की कीमत का है। इसे ऐसे ही ना गंवाए। तुम्हारे दुख हमारे भी हैं। अपने आप को कभी उपेक्षित महसूस न करें, हजारों हाथ मदद के लिए आगे आएंगे। इसमें किसानों को सशक्त बनाने के लिए आत्मनिर्भर अभियान के तहत और उपभोक्ताओं के लिए 'वोकल फाॅर लोकल' के तहत न भूतो न भविष्यति की बात कही। उत्तर प्रदेश में किसानो के आत्महत्या की बड़ी संख्या का भी जिक्र किया और अपेक्षा की हमारे किसान भाई बहुत ही बहादुर है। हर स्थिति एवं परिस्थितियों में वो अपने श्रम का शत प्रतिशत समाज और राष्ट्र को देते हैं, फिर भी उनकी आत्महत्या की घटना राष्ट्रीय क्षति है। जिसको समाज एवं शासन की जिम्मेदारी को रोकथाम हेतु हर संभव प्रयास करना होगा। जागरूकता कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सत्यम मिश्र , डी.सी.पी.एम. दुर्गेश मल्ल, डी.डी.एम. विनय सिंह, डी.सी.पी सुधीर यादव, ए.सी.ओ. सत्यप्रकाश शुक्ल, दिनेश कुमार भास्कर, सतीश चन्द्र, विनय कुमार मिश्र एवं विश्व दीपक आदि मौजूद रहे।


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